प्रदेश में वॉर्ड पुनर्गठन की ‘डेडलाइन हुई तय’..आबादी के हिसाब से होगा फाइनल डिसिजन!

15 मई तक किया जाएगा वार्डों का पुनर्गठन, 15 हजार की आबादी तक 20 वार्ड बनेंगे; एक होंगे जयपुर, जोधपुर और कोटा निगम, 15 हजार तक की आबादी पर 20 वार्ड का गठन होगा

25 लाख से 35 लाख तक की आबादी पर 150 वार्ड का गठन किया जाएगा, साथ ही ग्राम पंचायत बनाने के लिए भी नया फार्मूला; अब जरूरी नहीं 3 हजार की जनसंख्या

जयपुर। राजस्थान सरकार पंचायती राज संस्थाओं के बाद शहरी निकायों का भी पुनर्गठन करने जा रही है। नगर निगम, नगर परिषदों और नगर पालिकाओं की सीमाओं में बदलाव होगा। जयपुर, जोधपुर और कोटा में दो की जगह एक नगर निगम होगा। इसके लिए 16 फरवरी से 15 मई तक वार्डों का पुनर्गठन किया जाएगा। इस पुनर्गठन के बाद ही प्रदेश में निकाय चुनाव होंगे। इससे पहले स्वायत्त शासन विभाग ने 22 नवंबर को अधिसूचना जारी कर 1 दिसंबर से 1 मार्च तक वार्डों के परिसीमन की घोषणा की थी। आखिरी वक्त पर परिसीमन की प्रक्रिया को स्थगित कर दिया गया था। अब नए सिरे से इसकी घोषणा की गई है। पिछले महीने मंत्रिमंडल उपसमिति का भी गठन हो चुका है, जो स्वायत्त शासन विभाग द्वारा किए गए परिसीमन का अध्ययन कर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को रिपोर्ट देगी। इसके बाद ही सरकार के स्तर पर राजस्थान की नगर पालिका, नगर परिषद और नगर निगम के वार्डों के परिसीमन में बदलाव पर मुहर लगेगी। 
स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक इंद्रजीत सिंह बताया कि राजस्थान में 2011 की जनसंख्या को आधार मानते हुए वार्डों का पुनर्गठन और परिसीमन किया जाएगा। प्रदेश में 15 हजार तक की आबादी पर 20 वार्ड का गठन होगा। 25 लाख से 35 लाख तक की आबादी पर 150 वार्ड का गठन किया जाएगा। वार्डों के पुनर्गठन की घोषणा के साथ ही राज्य सरकार ने जयपुर, जोधपुर और कोटा नगर निगम को एक करने की तैयारी भी शुरू कर दी है। जल्द ही तीनों शहरों में पिछले कांग्रेस शासन में बनाए गए दो-दो निगम को फिर से एक करने की आधिकारिक घोषणा की जाएगी। स्वायत्त शासन विभाग ने भर्ती सचिव अमृता चौधरी को प्रदेशभर में वार्डों के परिसीमन और पुनर्गठन के लिए नोडल अधिकारी बनाया है। इसके साथ ही जिला स्तर पर कलेक्टर की देखरेख में नगर निकायों के आयुक्त और अधिशासी अधिकारी वार्डों के पुनर्गठन और परिसीमन का प्रस्ताव तैयार करेंगे, जिसको लेकर 15 फरवरी को प्रदेश भर में अधिकारियों और कर्मचारी के लिए विशेष ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन किया जाएगा। स्वायत्त शासन विभाग द्वारा शहरी निकायों के पुनर्गठन और परिसीमन के लिए यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा की अध्यक्षता में बनाई गई मंत्रिमंडल उपसमिति को प्रस्ताव भेजा जाएगा। यह समिति समीक्षा के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।


यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा की अध्यक्षता में बनाई गई मंत्रिमंडल उपसमिति
डीएलबी के पूर्व लीगल सेक्शन के डायरेक्टर अशोक सिंह ने बताया कि वार्डों का परिसीमन होने के बाद आम जनता को और ज्यादा सहूलियत मिल सकेगी। क्योंकि वर्तमान में जिस तरह से वार्डों का परिसीमन हुआ है। उसके बाद शहर के कुछ वार्डों की भौगोलिक स्थिति पूरी तरह से बिगड़ चुकी है। ऐसे में वहां पर्याप्त संख्या में कर्मचारी तक तैनात नहीं है। इसकी वजह से सफाई के लिए आम जनता को परेशान होना पड़ रहा है। अगर सरकार द्वारा वार्डों की भौगोलिक स्थिति में सुधार कर उन्हें बड़ा किया जाता है। प्रत्येक वार्ड में पर्याप्त कर्मचारी तैनात हो सकेंगे। वहीं, वार्डों के पुनर्गठन और नगर निगम को एक करने का सबसे ज्यादा आर्थिक फायदा सरकार को होगा। क्योंकि वार्डों की संख्या कम करने के साथ ही निगम को एक करने से अतिरिक्त अधिकारी कर्मचारी और प्रशासनिक भवन की जरूरत नहीं होगी, जिससे सीधे तौर पर सरकार को आर्थिक लाभ होगा। वहीं यह राशि आम जनता से जुड़े विकास कार्यों पर खर्च की जा सकेगी।


ग्राम पंचायत बनाने के लिए जरूरी नहीं 3 हजार की जनसंख्या, बढ़ेगी पंचायतों की संख्या
प्रदेश में ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के दायरे में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। नए आदेश के बाद अब 3 हजार से कम आबादी पर भी ग्राम पंचायत का निर्माण हो सकता है।अब राज्य में ग्राम पंचायतों की संख्या में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। सरकार ने अब ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के पुनर्गठन व सीमांकन की समय सीमा बढ़ा दी है। सरकार की ओर से तीन आदेशों में ये निर्णय लिया है। नवनिर्मित या पुनर्सीमांकन वाली ग्राम पंचायत में जनसंख्या के मानदंड के अनुसार तैयार करने में परेशानी आ रही है। ऐसी परिस्थिति में निर्धारित जनसंख्या से 15 फीसदी तक कम जनसंख्या वाली ग्राम पंचायत का भी प्रस्ताव भिजवाया जा सकता है। पहले नवनिर्मित, पुनर्गठित या पुनर्सीमांकन वाली ग्राम पंचायत में जनसंख्या 3000 से 5500 तक निर्धारित की थी। वहीं, सहरिया क्षेत्र तथा 4 मरुस्थलीय जिलों में ग्राम पंचायतों में जनसंख्या न्यूनतम 2 हजार और अधिकतम 4 हजार निर्धारित थी।


नए आदेश के बाद बढ़ी मरूस्थलीय जिलों की संख्या, भेजे जाएंगे प्रस्ताव
नए आदेश में मरुस्थलीय जिलों की संख्या बढ़ी है। बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर के साथ चूरू, बालोतरा और फलोदी को भी जोड़ा गया है। नए आदेश के बाद 3 हजार की निर्धारित सीमा से 15 प्रतिशत तक कम आबादी पर ग्राम पंचायत का प्रस्ताव भेजा जा सकता है। राज्य सरकार ने प्रदेश में ग्राम पंचायत और पंचायत समितियों के सीमांकन करने की समय सीमा बढ़ाई है। पुराने आदेशों में जिला कलेक्टर्स को सीमांकन का प्रस्ताव तैयार करने के लिए 20 जनवरी से 18 फरवरी तक का समय दिया था, जिसे बढ़ाकर अब 25 मार्च कर दिया है। आपत्तियां अब 25 अप्रैल तक मांगी जा सकेंगी। आपत्तियों के निपटारे की समय सीमा 5 मई निर्धारित की है। राज्य सरकार को फाइनल प्रस्ताव भिजवाने के लिए 15 मई और सरकार के स्तर पर मंजूरी देने के लिए 30 मई तक का समय सीमा निर्धारित है।