सांभर में अजमेर निगम की बसें पुनः चालू करवाने में अनदेखी

सांभर लेक । कोरोना काल में बंद की गई राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की सांभर से अजमेर चलने वाली चार बसें आज तक दोबारा चालू नहीं हो सकी है। इससे सांभर से पुष्कर, अजमेर ख्वाजा साहब व अन्य कामों से जाने वालों, मां शाकंभरी मंदिर, देवयानी तीर्थ स्थल, दादू दयाल की छतरी आने वाले श्रद्धालुओं व जायरिनों के अलावा पर्यटकों व आम लोगों के लिए सडक मार्ग से यात्रा करने का अब कोई सहज सरकारी साधन उपलब्ध नहीं है। आश्चर्यजनक पहलू तो यह भी है कि गत सरकार के आगामी निर्देश के बाद भी अजमेर रोडवेज आगार मुख्यालय से स्वतः ही इस संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया जा रहा है। 

जानकारी के अनुसार यहां पर कोरोना काल से पहले शाकंभरी माता मंदिर से अजमेर के लिए सुबह 7:15 बजे, किशनगढ़ रेनवाल वाया सांभर से अजमेर सुबह 8:15 बजे, डायरेक्ट सांभर से अजमेर सुबह 11:45 बजे इसके बाद दोपहर 2:30 बजे अजमेर के लिए बसें संचालित होती थी, उससे प्रतिदिन सैकडों मुसाफिर इसमें सफ़र कर निगम को अच्छा राजस्व भी देते थे। बताया जा रहा है कि निजी वाहन मालिकों से सांठगांठ के चलते इस रूट पर बसे नहीं चलाई जा रही है। वर्तमान में श्रीमाधोपुर से अजमेर जाने वाली रोडवेज की एक बस का टाइम सुबह करीब 11 बजे के आसपास का है लेकिन वह वापस अजमेर से सांभर कब आएगी इस बात की कोई गारंटी नहीं है। 

फुलेरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विद्याधर चौधरी ने भी गहलोत सरकार के समय सांभर से अजमेर सुबह 8 से शाम 4 बजे तक दो-दो घंटे के अंतराल से बसों का आवागमन तथा कोरोना काल से बंद पडी निगम की बसों को चालू करवाने के लिए परिवहन मंत्री को चिट्ठी भिजवाई थी, लेकिन चिट्ठी ठंडे बस्ते में चली गई। कांग्रेस सरकार चली गई प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद अथवा उसके पहले भी समस्या का समाधान करवाने के लिए जनप्रतिनिधियों की भी पूरी अनदेखी साबित हुई है। 

डिप्टी सीएम और सीएम तक ताल्लुक रखने वाले प्रभावशाली लोगों ने भी छोटी-छोटी समस्याओं को दूर करवाने के लिए कोई प्रयास नहीं किए जिसके चलते आमजन पहले भी परेशान था और आज भी दुखी है। लोगों का कहना है कि हम जब नेताओं से बात करते थे तो भाजपा के नेता बोलते थे कांग्रेसी सरकार है, और अब कांग्रेस के नेता बोलते हैं भाजपा की सरकार है तो आम जन अपनी  समस्या का समाधान करवाने के लिए किस प्लेटफार्म पर जाए या केवल उनकी चुनाव के दौरान ही वोट लेने के लिए याद आती है।