कोटा में पढ़ने वाले ओड़िशा के शोएब आफताब ऑल इंडिया टॉपर, 720 में से 720 नंबर आए

जयपुर@ नेशनल टेस्ट‍िंग एजेंसी नीट (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट) का रिजल्ट 16 अक्टूबर को जारी हुआ। राजस्थान के कोटा में पढ़े ओड़िशा के शोएब आफताब 720 में से 720 अंक हासिल कर ऑल इंडिया टॉपर रहे हैं। शोएब अपने परिवार में ऐसे पहले शख्स हैं, जो मेडिकल की पढ़ाई कर डॉक्टर बनेंगे। वह डॉक्टर बनें, ये खुद शोएब के अलावा उनके पिता का भी सपना है।शोएब ने जेईई-मेंस की परीक्षा भी दी और इसमें 99.7 पर्सेन्टाइल भी हासिल किए। खास बात यह है कि शोएब ढाई साल से अपने घर नहीं गए। यहां तक कि लॉकडाउन में भी उन्होंने कोटा में ही रहकर पढ़ाई की।शोएब ने बताया कि वह 2018 में कोटा आए और एलन में एडमिशन लिया। यहां उन्हें बेस्ट कॉम्पीटिशन मिला। वह कोटा में मां और छोटी बहन के साथ पीजी में रहते थे। इसी साल 12वीं में 95.8 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं। केवीपीवाई में ऑल इंडिया 37वीं रैंक और 10वीं में 96.8 प्रतिशत अंक आए थे।

टीचर्स की गाइडेंस से मिली सफलता शोएब ने कहा- एलन के टीचर्स की गाइडेंस से ही मैंने यह सफलता प्राप्त की है। लॉकडाउन का फायदा यह मिला कि मैं रुका नहीं, मैंने अपनी कमजोरियां दूर कीं, मैं नीट के सिलेबस में कमजोर टॉपिक्स को बार-बार रिवाइज करता गया। इससे डाउट्स भी सामने आते गए। जो टॉपिक्स मजबूत थे, उन पर ज्यादा फोकस नहीं किया।

पढ़ाई में नियमित रहा, शेड्यूल बनाकर की पढ़ाई कोचिंग के दौरान क्लासरूम का होमवर्क डेली करता था और तीनों विषयों को बराबर समय देता था। मैं रोजाना शेड्यूल बनाकर पढ़ाई करता हूं। हर सब्जेक्ट को अलग-अलग समय देता हूं। एलन के मोड्यूल्स और वीकली टेस्ट से काफी हेल्प मिली।

लॉकडाउन में भी घर नहीं गया शोएब अपने लक्ष्य के प्रति कितना गंभीर हैं, यह इस बात से पता चलता है कि एक बार घर से कोटा आने के बाद ढाई साल तक शोएब घर नहीं गए। शोएब ने कहा, कई मामले आए जब पापा ने कहा घर आ जाओ कुछ दिन, लेकिन मैं नहीं गया। दीपावली और ईद की छुट्टियां भी थीं लेकिन मैं कोटा ही रहा और पढ़ाई में व्यवधान नहीं आने दिया।

लॉकडाउन में अच्छी पढ़ाई का मौका मिला कोरानाकाल में भी कोटा में ही रहा। लॉकडाउन में भी जब सब घर गए तो मैं यहीं रुका। इससे मेरी तैयारी और अच्छी हो गई। मैंने सारा रिवीजन कर लिया। कोटा से बेहतर फैसिलिटी आपको कहीं नहीं मिल सकती। मम्मी साथ रहती हैं, इसलिए खाने-पीने की परेशानी नहीं आई।वैसे भी बोर्ड एग्जाम के बाद इतना समय नहीं मिल पाता कि नीट के पूरे सिलेबस को रिवाइज कर लिया जाए। इसलिए मैंने लॉकडाउन के 5 महीनों का पूरा उपयोग किया। टॉपिक्स का मल्टीपल रिवीजन किया ताकि कहीं कोई गुंजाइश नहीं रह जाए।

लाइलाज बीमारी का इलाज ढूंढना चाहता हूं शोएब ने बताया- एम्स से एमबीबीएस करने के बाद कार्डियोलॉजी में स्पेशलिस्ट बनना चाहता हूं। इसके साथ ही एक और सपना है कि मैं ऐसी बीमारियों का इलाज ढूंढना चाहता हूं, जिनका इलाज अभी तक उपलब्ध नहीं है। ऐसी रिसर्च के क्षेत्र में जाना चाहता हूं।

इसलिए बनना चाहता हूं डॉक्टर

शोएब ने बताया- उनके मम्मी और पापा दोनों के परिवार में कोई डॉक्टर नहीं है। पिता बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का काम करते हैं और बीकॉम तक पढ़े हैं। मां सुल्ताना रिजया गृहिणी हैं और बीए पास हैं। दादा बेकरी चलाया करते थे। मेरी रूचि भी साइंस में थी और मेडिकल क्षेत्र में जाना चाहता था। पापा भी कहते थे कि मेडिकल की तैयारी करो डॉक्टर बनो तो मैंने बायलॉजी ली।

बायलॉजी के साथ मैथ्स की भी पढ़ाई शोएब ने बायलॉजी के साथ मैथ्स की भी पढ़ाई की। फिजिक्स और केमिस्ट्री स्ट्रांग करने के लिए जेईई स्तर की तैयारी की। शोएब ने जेईई-मेंस की परीक्षा भी दी और उसमें 99.7 पर्सेंटाइल भी हासिल किए। शोएब ने कहा कि जेईई-मेंस देने से मुझमें कान्फीडेंस आया और मैं और अच्छा परफोर्म कर सका।