जेडीए जोन-12 में एक और ‘सेटिंग उजागर’..‘अवैध प्रेमनगर’ बसाने की दे दी खुली छूट!

फिर सुर्खियों में कुख्यात भैरव गृह निर्माण सहकारी समिति..

ग्राम बोयतावाला के खसरा नम्बर-38, 39 और 53 में कृषि भूमि पर सृजित की जा रही अवैध कॉलोनी, भूमि रूपांतरण तो दूी बल्कि हर नियम की उड़ाई धज्जियां

जेडीए के जिम्मेदारों की मिलीभगत एक बार फिर उजागर, पहले बिना हस्ताक्षर भेजा यूएनओ नोट फिर भूमाफिया से मिला लिए हाथ, अवैध निर्माण की दी मूक सहमति


जयपुर। जेडीए का सबसे बदनाम जोन यानि जोन 12 एक बार फिर चर्चाओं में है। इस बार भी यह जोन-12 किसी अच्छे काम की जगह मिलीभगत के लिए सुर्खियों में बना हुआ है। मामला एक बार फिर भूमाफिया से मिलीभगत का है और भूमाफिया भी कुख्यात भैरव गृह निर्माण सहकारी समिति है। इस समिति पर पहले भी कई आरोप लग चुके है और अब एक बार फिर यह गृह निर्माण समिति जेडीए अधिकारियों की मिलीभगत से बड़े कारनामे को अंजाम दे रही है। इस बार मामला है भैरव गृह निर्माण सहकारी समिति द्वारा सृतिजत की जा रही प्रेम नगर आवासीय कॉलोनी का। इस प्रेम नगर में जोन-12 के प्रवर्तन अधिकारी द्वारा उक्त योजना पर पूर्ण मेहरबानी की जा रही हैं तथा कोलोनाईजर के साथ मिलकर उक्त योजना को बचाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है तथा इसमें भ्रष्टाचार की बू आ रही हैं।
पूरे प्रकरण के अनुसार जयपुर विकास प्राधिकरण के जोन-12 में ग्राम बोयतावाला के खसरा नम्बर-38, रकबा 0.6450, खसरा नम्बर-39 रकबा 0.3162, खसरा नम्बर-53 रकबा 2.9213 में से 34 कुल रकबा 1.3012 हैं। यहां भैरव गृह निर्माण सहकारी समिति द्वारा प्रेम नगर के नाम से आवासीय योजना सृजित की जा रही हैं। लेकिन, हर बार की तरह इस बार भी जोन-12 के प्रवर्तन अधिकारी द्वारा भूमाफिया से मिलीभगत की जा रही है। जानकारी के अनुसार जयपुर विकास प्राधिकरण के जोन-12 द्वारा एक यूएनओ नोट जारी किया गया लेकिन यूएनओ नोट को भुगतान प्राप्त होने पर रोक लिया गया तथा औपचारिक रूप से दिखावटी रूप में उक्त योजना में तोडफ़ोड़ कर दी गई। इस औपचारिकता के बाद प्रेम नगर को पुन: विकसित करने काम तेजी के साथ शुरू हो जाता हैं और प्रवर्तन शाखा अपनी आंखें मूंदकर निर्माण कार्य में पूरा सहयोग कर रही है। मौके पर चल रहे निर्माण कार्य से तथा संलग्न फोटोग्राफ से स्पष्ट दर्शित होता है कि किस प्रकार से प्रवर्तन शाखा द्वारा प्रेमनगर पर प्रेम बरसाया जा रहा है। जो कि जोन-12 के अधिकारियों तथा प्रवर्तन अधिकारियों की भ्रष्टाचारिता को उजागर कर रहा है। 


हर कदम पर हो रहा फर्जीवाड़ा, मूक सहमति से जोन-12 में पनप रहे भूमाफिया

इस मामले में भी जेडीए के जिम्मेदारों द्वारा बिना हस्ताक्षर ही कोलोनाईजर को यूएनओ नोट भेजा गया। और, उसके बाद उस जमीन पर कोई कार्यवाई नहीं की जाती हैं क्योंकि कोलोनाईजर आकर इनसे मिल लेता है। इस कारण इनके द्वारा कृषि भूमि पर योजना सृजित करने की काल्पनिक एनओसी जारी कर दी जाती हैं। उस काल्पनिक एनओसी को ईमानदारी की भाषा में भ्रष्टाचार कहा जाता है। जो कि प्रवर्तन शाखा तथा जोन-12 उपायुक्त की भ्रष्टाचारी नीतियों को स्पष्ट बयां करती है। जेडीए में हालात यह है कि मुख्य प्रवर्तन अधिकारी कितने भी ईमानदारी के अथक प्रयास कर ले, परन्तु प्रवर्तन शाखा के लोग अपनी जेब भरने में लगे हुए जबकि एसीएस एवं जेडीसी द्वारा इस दिशा में ईमानदारी से कार्य करने के लिये अथक प्रयास किये जा रहे हैं।