सीएम भजनलाल के फैसले ‘फ्लावर नहीं बल्कि फायर’..अब ‘भ्रष्ट और निकम्मे सरकारी दामाद’ होंगे जबरन रिटायर!


प्रदेश में अब भ्रष्ट कर्मचारी और अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की तैयारी, सूची तैयार करने की कवायद शुरू; मुख्य सचिव के निर्देश सनसनी

आचार संहिता खत्म होते ही शुरू विभागों को भेजनी होगी सूची, इधर-तृतीय श्रेणी अध्यापकों के भी डेपुटेशन खत्म करने के आरी, प्रति-नियुक्ति के सभी आदेश होंगे वापस देश जा

जयपुर। प्रदेश के भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों की अब खैर नहीं है, क्योंकि उनके भ्रष्ट आचरण और प्रशासनिक कर्तव्य निभाने में असमर्थता को देखते हुए राज्य की भजनलाल सरकार उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की प्रक्रिया शुरू करने जा रही है। इसके लिए संबंधित विभागों को नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई कर संबंधित प्रशासनिक विभाग को प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए गए हैं। दरअसल, भ्रष्ट आचरण और काम में लापरवाही बरतने वाले सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ अब राज्य की भजनलाल सरकार सख्त एक्शन लेने जा रही है। मुख्य सचिव सुधांशु पंत के 16 मई को सीनियर ऑफिसर्स के साथ हुई बैठक में सरकारी सिस्टम में सर्विस डिलीवरी को मजबूत करने के लिए अहम निर्देश दिए गए थे। साथ ही अब भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारियों की सूची तैयार की जा रही है। वहीं, अब राज्य सरकार ऐसे कर्मचारियों और अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देगी। इसको लेकर जारी निर्देश में साफ कर दिया गया है कि जो अधिकारी और कर्मचारी अपने कर्तव्यों का निर्वहन निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ नहीं कर रहे हैं, उन्हें सरकारी सेवा से बाहर का रास्ता दिखाया जाए।
जानकारी के अनुसार यह भी साफ कर दिया गया है कि भ्रष्ट आचरण, राजकाज में अरुचि, प्रशासनिक काम में असमर्थता दिखाने वाले कर्मियों को अब अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाएगी। इसको लेकर संबंधित प्रशासनिक विभाग को प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश भी दिए गए हैं। इसके अलावा यह भी कहा गया है कि सभी कर्मी निष्पक्षता, पारदर्शिता और अपने उत्तरदायित्व को समझते हुए काम करें, इसलिए ये निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के 17 ए सेक्शन के तहत एसीबी के प्रकरणों की जांच संबंधी कार्मिक विभाग या संबंधित विभाग 31 मई तक लंबित प्रकरणों का निपटारा करें।


आचार संहिता खत्म होते ही शुरू हो जाएगा एक्शन, सीएस ने जारी किए निर्देश 
बैठक में लिए गए फैसलों के अनुसार ए श्रेणी के विभागों को मंत्री से अनुमोदित कराकर तबादला नीति जल्द भेजनी होगी, साथ ही इन विभागों को जल्द कैबिनेट नोट का मसौदा तैयार करना होगा। आचार संहिता हटते ही मुख्यमंत्री को यह मसौदा भेजना होगा। बी श्रेणी के विभागों को 8 दिनों में नीति का मसौदा भेजना होगा। बता दें कि मुख्य सचिव का यह आदेश सरकार के सभी विभागाध्यक्षों को भेजा गया है। इस आदेश में राजस्थान सिविल सेवा नियम 1996 के नियम 53(1) का हवाला दिया गया है। कर्मचारी और अधिकारी की स्क्रीनिंग की जाए, जिन्होंने 15 वर्ष की सेवा अथवा 50 वर्ष की आयु जो भी पहले पूर्ण कर ली है और असंतोषजनक कार्य निष्पादन के कारण जनहितार्थ आवश्यक उपयोगिता खो चुके हैं।


जबरन रिटायरमेंट के प्रावधान पहले से ही है, लेकिन किसी सरकार ने हिम्मत नहीं की
राज्य सरकार ने राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1996 के नियम 53(1) के तहत अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के प्रावधान पहले से हैं। ऐसा नहीं है कि मौजूदा भजनलाल सरकार ही भ्रष्ट और लापरवाह कर्मचारियों और अधिकारियों पर एक्शन लेने की तैयारी में है। इससे पहले वसुंधरा सरकार के समय में भी जून 2017 को भ्रष्ट सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को जबरन रिटायरमेंट देने का आदेश जारी हुआ था। तत्कालीन मुख्य सचिव ओपी मीणा ने यह आदेश जारी किए थे। हालांकि, कर्मचारी संगठनों की नाराजगी के डर से बाद में आदेश ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। वहीं, कुछ कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति दी गई थी, वो भी जबरन नहीं।

एक और बड़ा फैसला, थर्ड ग्रेड टीचर्स अब नहीं कर सकेंगे अन्य पदों पर काम

राजस्थान सरकार ने पिछली कांग्रेस की सरकार और हालिया भाजपा सरकार में अब तक हुई थर्ड ग्रेड टीचर्स के समस्त डेप्यूटेशन को समाप्त कर दिया है। इस बारे में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने भी रिपोर्ट मांगी है। गौरतलब है कि शिक्षा विभाग प्रति-नियुक्ति या कार्य व्यवस्था के लिए थर्ड ग्रेड टीचर्स को दूसरे विभागों में लगाया जाता रहा है। इन शिक्षकों के डेप्यूटेशन उनके निवास के शहर या शहर के पास किसी स्कूल, चुनाव शाखा, ब्लॉक आफिस, डीईओ, एसडीएम कार्यालय या कलेक्ट्रेट में होती हैं। कुछ टीचर्स दूसरे विभागों में भी लगे हैं। शिक्षा मंत्री कार्यालय ने प्रति-नियुक्ति पर चल रहे अध्यापकों के सम्बन्ध में शिक्षा विभाग से सूचना मांगी है। इसके साथ ही समस्त डेप्यूटेशन निरस्त कर प्रति-नियुक्ति पर चल रहे अध्यापकों वापिस उनके मूल स्थान पर भेजने के आदेश दिए हैं।

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