27 साल बाद देश की राजधानी में ‘भगवा लहर’...
48 सीटें जीतकर भाजपा ने जीता दिल्ली का दिल, केजरीवाल ने खो दिया आम आदमी का भरोसा; 22 सीटों पर सिमटी ‘आप’, कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला, भाजपा को 71 फीसदी स्ट्राइक रेट के साथ 40 सीटों का फायदा
जेल जाने वाले अरविंद केजरीवाल, सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया नहीं बचा सके अपनी-अपनी सीटें, जैसे-तैसे जीती सीएम आतिशी सिंह, भाजपा कार्यकर्ताओं में दिख रहा गजब का उत्साह
अब दिल्ली के भावी नए सीएम पर सभी की निगाहें, केजरीवाल को हराने वाले प्रवेश वर्मा दौड़ में आगे, अगले दस दिनों में तय होगा मुख्यमंत्री का नाम
नई दिल्ली। दिल्ली की सत्ता पर अब भाजपा की दमदार एंट्री हो चुकी है। 27 साल का वनवास समाप्त करते हुए भाजपा ने दिल्ली में भगवा लहरा दिया है। दिल्ली वालों ने आम आदमी पार्टी को ऐसे नकारा कि पार्टी के नंबर-1 नेता अरविंद केजरीवाल, नंबर-2 नेता मनीष सिसोदिया, सौरभ भारद्वाज तक चुनाव हार गए। दिल्ली में भाजपा को मिली प्रचंड जीत पर पीएम मोदी ने कहा कि विकास और सुशासन की जीत हुई। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि हम दिल्ली के विकास में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे, यह गारंटी है। दूसरी ओर अरविंद केजरीवाल ने हार स्वीकार कर ली। केजरीवाल ने कहा हम हार स्वीकार करते हैं। चुनाव में भाजपा ने आप के कई महारथियों को धूल चटा दी है। अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, सौरभ भारद्वाज, अवध ओझा सहित कद्दावर नेता हार गए। हालांकि कालकाजी सीट पर लगातार पिछडऩे के बाद भी आतिशी चुनाव जीत गई। नतीजों की बात करें तो भाजपा 48 सीटों पर विजयी रही वहीं आप के खाते में 22 सीटें आई। उधर, कांग्रेस का खाता भी नहीं खुल सका। इस बार भाजपा की 71 फीसदी स्ट्राइक के साथ 40 सीटें बढ़ीं। पार्टी ने 68 पर चुनाव लड़ा, 48 सीटें जीतीं। वहीं आम आदमी पार्टी को 40 सीटों का नुकसान हुआ। आप का स्ट्राइक रेट 31 फीसदी रहा। भाजपा ने पिछले चुनाव (2020) के मुकाबले वोट शेयर में 9 प्रतिशत से ज्यादा का इजाफा किया। वहीं आप को करीब 10 प्रतिशत का नुकसान हुआ है। कांग्रेस को भले ही एक भी सीट नहीं मिली, लेकिन वोट शेयर 2 फीसदी बढ़ाने में कामयाब रही।
कांग्रेस जीरो पर सिमटी लेकिन आप को 14 सीटों पर पहुंचाया नुकसान
राहुल गांधी की कांग्रेस दिल्ली में जीरो थीं, जीरो ही रही। लेकिन आम आदमी पार्टी को जरूर हरवा दिया। 14 सीटों पर आम आदमी पार्टी की हार का अंतर, कांग्रेस के मिले वोटों से कम है। यानी अगर आप और कांग्रेस का गठबंधन होता, तो दिल्ली में गठबंधन की सीटें 37 हो जातीं और भाजपा 34 सीटों पर सिमट सकती थी। बहुमत के लिए 36 सीटें चाहिए। दिल्ली में परंपरागत तौर पर भाजपा और कांग्रेस एक-दूसरे को टक्कर देते रहे हैं। यहां कांग्रेस को एंटी-भाजपा वोट मिलता रहा। लेकिन 2013 में आप की एंट्री हुई और कांग्रेस के एंटी-भाजपा वोट पर कब्जा कर लिया। 2013 में आप को 30 फीसदी वोट मिले, जो 2020 में बढक़र 54 प्रतिशत हो गए। वहीं 2013 में कांग्रेस को 25 फीसदी वोट मिले थे, जो 2020 में घटकर 4 प्रतिशत रह गया। जबकि बीजेपी के अपने करीब 35 फीसदी वोट बरकरार हैं। यानी ये माना जा सकता है कि कांग्रेस और आप के वोटर कमोबेश एक जैसे हैं। अगर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी एक साथ लड़ते तो आज आंकड़े अलग हो सकते थे। आप को जो नुकसान हुआ है, वह कांग्रेस की ही देन है।
औंधे मुंह गिरे आप के दिग्गज, केजरीवाल-सिसोदिया के अलावा कई हॉट सीटें बेहाल
आम आदमी पार्टी को यहां बड़ा झटका लगा है। नई दिल्ली सीट से पूर्व सीएम और आप प्रत्याशी अरविंद केजरीवाल हार गए। भाजपा के प्रत्याशी प्रवेश वर्मा जीत गए हैं। कांग्रेस ने इस सीट से संदीप दीक्षित को चुनावी मैदान में उतारा था। प्रवेश वर्मा ने केजरीवाल को 4089 से हराया है। कालकाजी सीट से आप प्रत्याशी आतिशी चुनाव जीत गई। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी रमेश बिधूड़ी को 3521 वोटों से हराया है। बता दें कि कालकाजी सीट सबसे चर्चित सीटों में शामिल है। इस बार आम आदमी पार्टी ने कालकाजी सीट से मुख्यमंत्री आतिशी को टिकट दिया। वहीं कांग्रेस ने पूर्व विधायक अलका लांबा को उतारा। इन चेहरों के कारण कालकाजी सीट एक बार फिर हॉट सीट बन गई। जंगपुरा सीट से आप प्रत्याशी मनीष सिसोदिया 675 वोटों से हार गए हैं। भाजपा के प्रत्याशी तरविंदर सिंह मारवाह ने यहां जीत दर्ज की है। करावल नगर सीट से भाजपा के कपिल मिश्रा जीते है। आम आदमी पार्टी के मनोज त्यागी को उन्होंने 23355 वोटों से हराया। पटपडग़ंज सीट पर भाजपा के अवध ओझा 28072 वोटों से हार गए हैं। भाजपा के रवींद्र सिंह नेगी ने यहां जीत दर्ज की। दिल्ली सरकार में मौजूदा कैबिनेट मंत्री इमरान हुसैन बल्लीमारान सीट से जीत दर्ज की हैं। भाजपा के प्रत्याशी कमल बागड़ी को उन्होंने 29823 वोटों से हराया हैं। बाबरपुर विधानसभा सीट के रुझानों में आप के प्रत्याशी गोपाल राय जीते है। उन्होंने भाजपा के प्रत्याशी अनिल वशिष्ठ 18994 वोटों से हराया। गोपाल राय पिछले 10 साल से केजरीवाल की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे। ग्रेटर कैलाश विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी सौरभ भारद्वाज हार गए। भाजपा की शिखा राय ने उन्हें 3188 वोटों से हराया है।
केजरीवाल ने स्वीकार की हार, आतिशी बोलीं-तानाशाही के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैं बीजेपी को जीत की बधाई देता हूं। उन्होंने कहा कि हमने बिजली पानी से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर के सुधार के लिए काम किया। केजरीवाल ने कहा कि हम रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि राजनीति लोगों की सेवा का जरिया है। हम इसी तरह जनता के सुख-दुख में काम आते रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं आप कार्यकर्ताओं को बधाई देना चाहता हूं जिन्होंने बेहद शानदार चुनाव लड़ा। दिल्ली में जीत का सीएम आतिशी ने कहा कि दिल्ली की जनता का जनादेश स्वीकार है। उन्होंने कहा कि मेरी भले ही जीत हुई है लेकिन यह जीत का समय नहीं है। यह बीजेपी के खिलाफ जंग जारी रखने, तानाशाही के खिलाफ लड़ाई जारी रखने का समय है।
दिल्ली के नए सीएम की दौड़ में तीन नाम, वर्मा दौड़ में सबसे आगे
अब जब बीजेपी ने दिल्ली चुनाव में जीत हासिल कर ली है और रमेश बिधूड़ी भी चुनाव हार गए हैं। ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि बीजेपी दिल्ली की कमान किसे सौंपेगी। माना जा रहा है कि भगवा पार्टी की सीएम पद की लिस्ट परवेश वर्मा, विजेंद्र गुप्ता और बांसुरी स्वराज जैसे नेताओं के नाम शामिल हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव में परवेश वर्मा ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। उन्होंने नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से अरविंद केजरीवाल को हराया.परवेश वर्मा राष्ट्रीय राजधानी के सबसे प्रभावशाली राजनीतिक परिवारों में से एक से आते हैं। उनके पिता साहिब सिंह वर्मा दिल्ली के मुख्यमंत्री थे। बात करें दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता और भाजपा के मौजूदा विधायक विजेंद्र गुप्ता की तो उन्होंने रोहिणी सीट पर आम आदमी पार्टी के प्रदीप मित्तल को हराया। उन्होंने 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में भी यह सीट जीती थी। वह दिल्ली भाजपा प्रमुख के पद पर रह चुके हैं। वीरेंद्र सचदेवा दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष हैं। उन्होंने 23 मार्च 2023 को यह पद संभाला था। उनके नेतृत्व में भाजपा ने 2025 का दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ा, जिसमें बहुमत हासिल किया और राजधानी में आम आदमी पार्टी का दबदबा खत्म किया। पहली बार सांसद बनीं और भाजपा की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज भी दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की दावेदार के रूप में उभरीं। लोकसभा चुनाव में बांसुरी स्वराज ने नई दिल्ली सीट जीती, जो कभी अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के पास थी।
दिल्ली सचिवालय सील, फाइलें, कंप्यूटर डाटा चोरी होने का डर!, उपराज्यपाल के आदेश पर एक्शन
दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी बहुमत हासिल कर चुकी है। भाजपा ने आम आदमी पार्टी (आप) को दिल्ली में जीत का चौका लगाने से रोक दिया। दिल्ली में सत्ता परिवर्तन की लहर को देखते हुए उपराज्यपाल वीके सक्सेना के निर्देश पर दिल्ली सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने एक आदेश जारी किया है। इसमें सचिवालय के दस्तावेजों की सुरक्षा संबंधी चिंताओं का जिक्र करते हुए कहा गया है कि विभाग की अनुमति के बिना कोई भी फाइल, दस्तावेज, कंप्यूटर हार्डवेयर आदि दिल्ली सचिवालय परिसर के बाहर नहीं ले जाया जा सकता है। साथ ही सभी विभागों, एजेंसियों और मंत्रिपरिषद के कैंप कार्यालयों को निर्देश दिया गया है कि वे विभाग की अनुमति के बिना कोई भी रिकॉर्ड या फाइल न हटाएं।