प्रदेश में एक साल से लापता 451 बच्चियां..अब तक नहीं मिल सका एक भी सुराग!
प्रदेश में पिछले एक साल में 7339 बच्चे हुए थे लापता, इनमें 501 बच्चों का अब तक पता नहीं, गायब होने वालों में 451 लड़कियां,
7339 गायब बच्चों में 6196 लड़कियां हैं. जो कुल गायब बच्चों का 84 प्रतिशत, बाल तस्करी के 17 मामले दर्ज, सीमावर्ती जिलों से सबसे ज्यादा गुमशुदगी के मामले
जयपुर। प्रदेश में लापता बच्चों के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आ हैं। प्रदेश में पिछले एक साल में 7339 बच्चे लापता हो गए। इनमें 501 बच्चों का अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है। विधानसभा में बूंदी विधायक हरिमोहन शर्मा के सवाल के जवाब में गृह विभाग ने यह जानकारी दी। गुरुवार को हरिमोहन शर्मा ने गृह विभाग से प्रदेश में बीते एक साल में बच्चों के लापता होने से जुड़ा सवाल पूछा था। उन्होंने विभाग से जिलेवार प्रति महीने गायब हुए बच्चों का विवरण मांगा था। सरकार ने बताया कि 7339 में से 6838 बच्चे बरामद कर लिए गए। सरकार ने यह भी बताया कि इस दौरान बाल तस्करी के 17 मामले दर्ज किए गए।
आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि गायब होने वाले बच्चों में लड़कियों की संख्या काफी ज्यादा है। 7339 गायब बच्चों में 6196 लड़कियां हैं, जो कुल गायब बच्चों का 84 प्रतिशत है। 501 बच्चे ऐसे हैं जिनका अब तक पता नहीं चला है, इनमें भी 451 लड़कियां हैं। बच्चों के गायब होने के सबसे ज्यादा मामले सीमावर्ती जिलों से आ रहे हैं। गुजरात, मध्यप्रदेश और पंजाब की सीमा से सटे जिले हॉटस्पॉट बने हैं। भीलवाड़ा में बीते एक साल में 414 लड़कियां और 58 लडक़े गायब हुए हैं। उदयपुर में 404 लड़कियां और 45 लडक़े गायब हुए हैं, श्रीगंगानगर में 251 लड़कियां और 26 लडक़े गायब हुए हैं। बांसवाड़ा में 209 लड़कियां और 4 लडक़े, चित्तौड़ में 243 लड़कियां और 14 लडक़े गायब हुए हैं वहीं झालावाड़ में 166 लड़कियां और 19 लडक़े गायब हुए हैं, यह सभी सीमावर्ती जिले हैं।
हाइवे से मजबूत कनेक्टिविटी वाले जिलों में गुमशुदगी के ज्यादा मामले
जिन जिलों की हाइवे से मजबूत कनेक्टिविटी है, वहां भी ज्यादा मामले सामने आते हैं। दिल्ली से उदयपुर को जोडऩे वाली राष्ट्रीय राजमार्ग से सटे जिलों में बच्चों के गायब होने के ज्यादा मामले दर्ज होते हैं। अलवर, भिवाड़ी में 228 लड़कियां और 50 लडक़े गायब हुए हैं। अजमेर से 259 लड़कियां और 58 लडक़े गायब हुए हैं, वहीं ब्यावर से 172 लड़कियां और 20 लडक़े गायब हुए हैं। जयपुर और कोटपुतली में भी हजार से अधिक मामले दर्ज हुए हैं। इन आंकड़ों ने नए सवालों को जन्म दिया है कि आखिर बच्चों की गुमशुदगी के पीछे कोई गिरोह सक्रिय है या फिर फिर किसी बड़ी साजिश को अंजाम दिया जा रहा है।
एक्सपर्ट के मुताबिक प्रेम प्रसंगों से जुड़े गुमशुदगी के मामले अधिक
बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने इन मामलों के पीछे प्रेम प्रसंग को एक बड़ी वजह बताया है। वहीं ऐसे मामलों से जुड़े जानकारों के अनुसार अपहरण या गुमशुदगी के इन मामलों में आप आरोपियों की उम्र और अपहृत बच्चे की उम्र देखेंगे तो आपको दिखेगा कि ज्यादातर हमउम्र हैं। यह ऐसे मामले हैं जिनमें बच्चे प्रेम प्रसंग के साथ गए और घरवालों ने एफआईआर दर्ज कर दी। हालांकि कुछ मामले तस्करी और अपहरण के भी हैं लेकिन ज्यादातर मामले आपसी सहमति से साथ जाने के हैं। इसलिए हमें यह भी सोचना चाहिए कि क्या हम इन मामलों में कई बच्चों को जबरन अपराधी बना रहे हैं?