4 में से 3 सीटों पर बगावत का झंडा बुलंद करने वाले नेताओं ने चुनाव नहीं लडऩे का किया ऐलान, अब सिर्फ देवली-उनियारा सीट पर भाजपा को करनी पड़ रही है मशक्कत
कांग्रेस की एकला चालो की रणनीति फंसा सकती है पेंच, गठबंधन पर फैसला करेगा आलाकमान, इस बार रोचक होने जा रहा है चुनावी संघर्ष
जयपुर। विधानसभा उपचुनावों में टिकट बंटवारे के साथ बीजेपी मेें शुरू हुई बगावत की आग ठंडी पड़ती दिखाई दे रही है। बीजेपी में 4 सीटों पर शुरू हुई बगावत से उत्साहित दिखाई दे रही कांग्रेस को कम से कम अभी तो मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अपने रणनीतिक कौशल से मात दे दी है। कांग्रेस को उम्मीद थी कि बीजेपी के बागी नहीं मानेंगे लेकिन हुआ इसका उल्टा। सीएम भजनलाल शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने मामले को सीधे अपने हाथ में लिया और नतीजा सामने है। 4 में से 3 सीटों पर बगावत का झंडा बुलंद करने वाले नेताओं ने चुनाव नहीं लडऩे का ऐलान कर दिया है। अब सिर्फ देवली-उनियारा सीट पर पार्टी को मशक्कत करनी पड़ रही है।
दरअसल, झुंझुनू, रामगढ़, देवली-उनियारा और सलूंबर विधानसभा सीटों पर टिकट के दावेदारों और उनके समर्थकों ने नाराजगी जाहिर करते हुए बगावती तेवर दिखाए थे। अब रूठे नेताओं के मानने के बाद केवल बीजेपी के लिए देवली-उनियारा चिंता का विषय बना हुआ है।
बबलू चौधरी ने छोड़ी बगावत, सीएम से मुलाकात के बाद बन गई बात
झुंझुनूं से टिकट नहीं मिलने के बाद बगावत पर उतरे बबलू चौधरी ने चुनाव नहीं लडऩे का ऐलान कर दिया है। बीजेपी के मंत्री सुमित गोदारा उन्हें लेकर जयपुर आए। इसके बाद सीएमआर में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से उनकी मुलाकात हुई। सूत्रों के मुताबिक इस मुलाकात के बाद बबलू चौधरी भी मान गए हैं और भाजपा के प्रचार में जुट जाने का आश्वासन दिया है। इस मुलाकात के बाद पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी राजेंद्र भाम्बू को बड़ी राहत मिली है। जबकि कांग्रेस की चुनावी रणनीति इससे डगमगाती दिखाई दे रही है।
जय आहूजा ने महापंचायत में किया समर्थन का ऐलान, यहां भी भाजपा को फायदा
वहीं, रामगढ़ से पिछले चुनावों में भाजपा उम्मीदवार रहे जय आहूजा भी मान गए हैं। उन्होंने मंगलवार को बकायदा अपने समर्थकों की महापंचायत बुलाई थी। जिसमें उन्होंने बागी चुनाव नहीं लडऩे और पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के समर्थन का ऐलान कर दिया। आहूजा को उनको मनाने के लिए मंत्री जवाहर सिंह बेढ़म और गौतम कुमार दक पहुंचे थे। दोनों मंत्री इस महापंचायत में जनता के सामने उनको मनाने में सफल भी हो गए हैं। अपने समर्थकों के सामने आहूजा भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि संघर्ष हमारे खून में है, संघर्ष हमारी फितरत में है। इसलिए हम संघर्ष से कभी भागे नहीं है। अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए अपने बुजुर्गों की बात नहीं मानू, ऐसी नालायक संतान मानते हो क्या मुझे? आहूजा साहब ही हमारे हाईकमान है, जैसा वे कहेंगे, वैसा मैं करूंगा।
नरेंद्र मीणा भी अब पार्टी के साथ, एक मुलाकात के बाद बन गई बात
इससे पहले सलूंबर विधानसभा से टिकट ना मिलने से नाराज चल रहे भाजपा नेता नरेंद्र मीणा ने सोमवार को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से सीएमआर में मुलाकात की थी। इस मुलाकात में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने नरेंद्र मीणा को मना लिया था। सीएम भजनलाल शर्मा से बातचीत के बाद नरेंद्र मीणा ने कहा था कि वह पूरी मेहनत से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को सलूंबर सीट से जीत दिलाएंगे। बता दें, भाजपा नेता नरेंद्र मीणा की मान-मनौव्वल के लिए जयपुर से स्पेशल चार्टर प्लेन सलूंबर भेजा गया था।
सीएम भजनलाल ने बनाई शानदार रणनीति, हर मोर्चे पर मिली सफलता
प्रदेश में हो रहे उपचुनाव दरअसल, भजनलाल शर्मा सरकार के लिए भी लिटमस टेस्ट हैं। हालांकि पार्टी के पास 7 में से महज एक ही सीट थी लेकिन प्रदेश में अब बीजेपी सरकार होने के कारण दबाव इस बात का है कि सीटों की संख्या में इजाफा किया जाए। यही सोचकर टिकट वितरण में जीतने वाले चेहरों पर दाव लगाया गया लेकिन बगावत ने रंग में भंग डाल दिया। इसके बाद सीएम भजनलाल शर्मा और प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने खुद बगावत को थामने का जिम्मा लिया। उन्होंने सभी सीटों पर एक भी बागी नहीं रहे, इसके लिए प्रभारी मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं को टास्क दिया। झुंझुनूं में प्रभारी मंत्री अविनाश गहलोत और सुमित गोदारा, देवली-उनियारा में मंत्री हीरालाल नागर और रामगढ़ में गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढ़म और गौतम दक को ये जिम्मेदारी सौंपी। इसके अलावा सलूंबर से नरेन्द्र मीणा को मनाने के लिए श्रीचंद कृपलानी और उदयलाल डांगी को सक्रिय किया गया। इसके अलावा, कुछ वरिष्ठ नेताओं को भी पर्दे के पीछे से बागियों को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। अधिकांश सीटों पर बगावत को थाम कर सीएम भजनलाल शर्मा ने पहला पड़ाव तो सफलतापूर्वक पार कर लिया है।
कांग्रेस नहीं कर बैठे हरियाणा वाली गलती, फूंक-फूंक कर उठा रही कदम
बीजेपी के टिकट वितरण के साथ ही हुई बगावत के चलते कांग्रेस को लगने लगा था कि बीजेपी खुद ही अपना माहौल बिगाडऩे लगी है। बीजेपी की बगावत के चलते कांग्रेस की जीत आसान हो जाएगी। लेकिन कुछ इसी तरह की रणनीति पर कांग्रेस ने हरियाणा में काम किया था और वहां उसे करारी हार का सामना करना पड़ा। हरियाणा में भी बीजेपी ने पहले टिकटों का ऐलान किया, जिसके बाद पार्टी में जबर्दस्त बगावत हुई। नेताओं में पार्टी छोडऩे की होड़ सी लग गई। इससे कांग्रेस अति उत्साह में आ गई और टिकट वितरण में सिर्फ हुड्डा गुट की चली। नतीजा ये हुआ कि कांग्रेस में बीजेपी से भी भारी बगावत हुई। चुनाव आते-आते बीजेपी ने तो अपनी बगावत को थाम लिया लेकिन कांग्रेस ऐसा नहीं कर सकी और नतीजा सभी के सामने है। यही स्थिति राजस्थान में भी बनती दिख रही है। बीजेपी की सूची आ चुकी है और बगावत को पार्टी ने लगभग संभाल भी लिया है। अब इंतजार है कांग्रेस की सूची का। टिकट वितरण से पहले ही इंडिया गठबंधन प्रदेश में टूट चुका है। बीएपी और आरएलपी कांग्रेस को भाव देने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में अब कांग्रेस को तीन तरफा लड़ाई लडऩी होगी। पहले तो टिकट वितरण में सामंजस्य बनाना होगा, ताकि बगावत नहीं हो। दूसरे बीएपी और आरएलपी से होने वाले संभावित नुकसान से पार पाना होगा। तीसरे बीजेपी की चुनौती का मुकाबला करना होगा।