राजस्थान का सबसे बड़ा रिश्वत कांड..100 फर्जी नियुक्तियां; करोड़ों का खेल!

एसीबी ने घोटाले में लिप्त अफसरों के खंगाले दस्तावेज तो हाथ लगे सोना-चांदी, करोड़ों के गुप्त खाते और 131 भूखंड, सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक में भर्ती घोटाले में पूर्व एमडी पर साढ़े तीन करोड़ की रिश्वत लेने का आरोप

अदालत के स्थगन आदेश के बावजूद 100 संविदा कर्मचारियों को नियमविरुद्ध नियमित कर व्यवस्थापक बनाया, 4 से 5 लाख रुपए प्रति कर्मचारी के हिसाब से ली मोटी रिश्वत

जयपुर/जालोर। सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक में करोड़ों के घोटाले की जांच तेज हो गई है। सिरोही एसीबी की टीम ने बैंक के दस्तावेजों को खंगालते हुए इस बहुचर्चित फर्जीवाड़े से जुड़े अहम सुराग जुटाए हैं। जांच के दौरान 2021 से 2023 के बीच हुई स्क्रीनिंग प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं उजागर हुई हैं। टीम ने इस दौरान 60 व्यवस्थापकों (2022) और 31 व्यवस्थापकों (2023) की फाइलों को कब्जे में लिया है। इस घोटाले के मुख्य आरोपी पूर्व एमडी केके मीणा हैं, जिन्होंने अदालत के स्थगन आदेश के बावजूद 100 संविदा कर्मचारियों को नियमविरुद्ध नियमित कर व्यवस्थापक बना दिया। आरोपों के मुताबिक, इस अनियमितता के पीछे 4 से 5 लाख रुपए प्रति कर्मचारी के हिसाब से मोटी रिश्वत ली गई, जिससे मीणा ने करीब 3.5 करोड़ रुपए की अवैध कमाई कर ली। एसीबी अब इस मामले में गहराई से जांच कर रही है और जल्द ही अन्य आरोपियों पर भी शिकंजा कसने की तैयारी में है। इस घोटाले से पूरे बैंकिंग सेक्टर में हडक़ंप मचा हुआ है। यह कार्रवाई 2021 से 2023 के बीच हुई स्क्रीनिंग प्रक्रिया में अनियमितताओं को लेकर की गई। जांच एजेंसी ने स्क्रीनिंग से जुड़े व्यवस्थापकों के आवेदन और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज अपने कब्जे में लिए हैं। एसीबी को जांच में 50 ट्रांजेक्शन के जरिए 40 लाख रुपये के लेन-देन की पुष्टि हुई। इनमें जसाराम मीणा के खातों से 38 ट्रांजेक्शन में 26.23 लाख रुपये ट्रांसफर हुए वहीं प्रवीण मीणा के खाते से 12 ट्रांजेक्शन में 13.79 लाख रुपये भेजे गए। घोटाले की गंभीरता इसी से समझी जा सकती है कि स्क्रीनिंग प्रक्रिया में केवल 17 पात्र कर्मचारियों की ही जांच होनी थी, लेकिन केके मीणा ने शाखा प्रबंधकों पर दबाव बनाकर 100 कर्मचारियों को नियम विरुद्ध नियमित कर दिया। उन्होंने शाखा प्रबंधकों को विशेष रूप से उन उम्मीदवारों के आवेदन भेजने के लिए मजबूर किया, जिन्हें वे स्क्रीनिंग में शामिल करना चाहते थे।

कौन है जालोर सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक घोटाले का मुख्य आरोपी 
इस घोटाले के मुख्य आरोपी बैंक के पूर्व एमडी केके मीणा हैं, जिन्होंने अदालत के स्थगन आदेश के बावजूद 100 संविदा कर्मचारियों की अवैध स्क्रीनिंग कर उन्हें नियमित कर दिया था। इस प्रक्रिया में भारी अनियमितताएं बरती गईं और शिकायतों के अनुसार, मीणा ने प्रत्येक कर्मचारी से 4.5 लाख रुपये की रिश्वत लेकर उन्हें नियमित किया। सूत्रों के मुताबिक, इस घूसखोरी के जरिये केके मीणा ने 3.5 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध कमाई की थी। इस घोटाले में उनके साथ पूर्व सीनियर मैनेजर जसाराम मीणा और उनके संविदाकर्मी बेटे प्रवीण मीणा भी शामिल थे।


राजस्थान की एसीबी टीम ने किए चौंकाने वाले खुलासे
एसीबी की प्रारंभिक जांच में यह खुलासा हुआ कि इस स्क्रीनिंग प्रक्रिया में सिर्फ 17 कर्मचारियों को ही नियमित करने की अनुमति थीए लेकिन केके मीणा ने शाखा प्रबंधकों पर दबाव डालकर 100 कर्मचारियों की भर्ती कर दी। उन्होंने अपनी पसंद के उम्मीदवारों को जबरन प्रक्रिया में शामिल करवाया और नियमों की अनदेखी की। पिछले साल एसीबी ने आरोपियों के घरों पर छापेमारी की थीए जिसमें कई वित्तीय अनियमितताओं के सबूत मिले थे। जांच में सामने आया कि जसाराम और प्रवीण मीणा ने घूस की रकम को केके मीणा के रिश्तेदारों और परिचितों के खातों में ट्रांसफर किया।


केके मीणा के घर से करोड़ों की संपत्ति बरामद, हैरान रह गई एसीबी टीम
एसीबी की छापेमारी में केके मीणा के जयपुर स्थित आवास से भारी संपत्ति बरामद हुई, जिसमें 131 भूखंडों के पट्टे, 740 ग्राम सोना और 3.90 किलो चांदी के आभूषण, 7 लाख रुपये की डायमंड ज्वेलरी, 1 बैंक लॉकर और 5 बैंक खात मिले। एसीबी अब इस मामले में बैंक के अन्य अधिकारियों की भूमिका की भी जांच कर रही है। फिलहाल बैंक से जुड़े सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त कर लिए गए हैं और घोटाले की परतें धीरे-धीरे खुल रही हैं। मामले में और भी गिरफ्तारी हो सकती है।