यहां हर शाख पर उल्लू बैठा है..अंजाम-ए-गुलिस्ता क्या होगा? तहसीलदार-पटवारी ने भूमाफिया से मिलाया हाथ..ग्राम पंचायत की बेशकीमती भूमि हड़पने की साजिश!

कालवाड़ तहसील की ग्राम पंचायत हाथोज में हुआ अवैध कब्जे और अतिक्रमण के बड़े मामले का खुलासा, पहले सीमा ज्ञान से बचते रहे जिम्मेदार; अब कागजों में ही कर दिया बड़ा खेला

ग्राम पंचायत की करीब एक बीघा भूमि को खुर्द-बुर्द करने का प्रयास, सरपंच द्वारा लगातार शिकायतों के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं; भूमाफिया को मिल रहा खुला संरक्षण

जयपुर। जब बाड़ ही खेत को खाने लगे तो उस खेत का क्या अंजाम होगा यह आप भली-भांति समझ सकते है। ऐसा ही कुछ राजधानी से जुड़े क्षेत्रों में हो रहा है जहां अतिक्रमण रोकने के जिम्मेदार ही भूमाफिया की गोद में जाकर बैठ गए है और हर नियम-कानून को तांक पर रखकर उन्हें खुला संरक्षण दे रहे है। लगातार ऐसे मामले बढ़ते जा रहे है और इस बार ताजा मामला सामने आया है कालवाड़ तहसील की ग्राम पंचायत हाथोज में। यहां ग्राम पंचायत की भूमि पर अतिक्रमण और अवैध निर्माण का प्रयास किया जा रहा है और इसे पटवारी और तहसीलदार का पूरा संरक्षण हासिल है। इस बाबत हाथोज सरपंच द्वारा बार-बार पत्र लिख जा रहे और ज्ञापन सौंपे जा रहे है लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है। 
इस पूरे प्रकरण के अनुसार जयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा खातेदारी भूमि खसरा संख्या 382/1 में से ग्राम पंचायत हाथोज के प्रशासन गांव के संग अभियान 2010 के अंतर्गत एक बीघा की भूमि में से 500 वर्ग मीटर भूमि आंगनबाड़ी को सेट अपार्ट की गई थी। इस बारे में पूर्व सरपंचो ने भी समय-समय पर कुछ अधिकारियों को सीमा ज्ञान व तरमीम के लिए पटवारी, तहसीलदार और उपखंड अधिकारी को पत्र द्वारा अवगत करवा करवाया गया और वर्तमान हल्का पटवारी को अवगत कराकर ग्राम पंचायत भूमि कब्जा लेने की मांग की गई लेकिन आज तक कोई भी कार्रवाई नहीं की गई। प्रशासन गांव के संग से सम्बंधित अधिकारियों द्वारा गाडिय़ा लुहारो को इस भूमि में रहने के लिए जगह उपलब्ध करवाई गई है। जिसमे ग्राम पंचायत द्वारा शौचालय पानी बिजली कनेक्शन उपलब्ध करवाए गए है तथा मौके पर ये लोग कच्चे घर बना कर वर्तमान में रह रहे है। लेकिन इसी वर्ष की 31 मई को को कुछ लोगों द्वारा इस भूमि पर गृह निर्माण सहकारी समिति के फर्जी पट्टे लाकर बाउंड्री वॉल बनाना प्रारम्भ कर दिया गया। जब पटवारी को मौके पर बुलवाने के लिए सरपंच द्वारा मोबाईल पर संपर्क किया गया तो पटवारी ने फोन नहीं उठाया और ना ही ना मौके पर आया। पंचायत प्रशासन द्वारा मौके पर पुलिस थाना कालवाड़ को सूचना देकर अतिक्रमण को रुकवाया गया। 


वर्तमान पटवारी और तहसीलदार की संदिग्ध भूमिका, अब उठी कार्रवाई की मांग
सरपंच द्वारा लिखे गए पत्र के मुताबिक वर्तमान पटवारी व तहसीलदार द्वारा खसरा नंबर 382 के नजरी नक्शे में काट-छांट कर इससे लगते खसरा नंबर 385 के खातेदार के वारिस नामी से मिली भगत कर ली गई। इसके तहत खसरा नंबर 385 के खातेदार रामेश्वर पुत्र मथुरा लाल द्वारा अपनी खातेदारी भूमि 1.27 क्षेत्र भूमि को सत्र 1995 की महावीर स्वामी सहकारी समिति लिमिटेड को बेचान कर गोविन्द विहार के नाम से एक आवासीय योजना बसा दी गई है जिसमें मौके पर पक्के मकान बने हुए है। लेकिन वर्तमान पटवारी ने तथा भू-माफियो ने खसरा नं 385 के वारिसनामों से मिलकर षडयंत्र पूर्वक योजना बना कर आवासीय योजना बसी हुई अगभग 20-25 वर्ष बाद दिनांक 10/06/2024 को पटवारी व कालवाड़ तहसील द्वारा स्वीकृत नामांतरण को विरासत राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज कर दिया गया। इसकी आड़ में स्वयं हल्का पटवारी द्वारा दिनांक 19/06/2024 को मौके पर आए बिना और ग्राम पंचायत को बिना सूचना दिए हुए नाप कर तार बाउंड्री कब्जा इस खसरा नं 382/1 भूमि पर करवा दिया गया, जिसमें ग्राम पंचायत की भूमि भी है।