डीग@ प्रदेश में राज्य सरकार अब मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष से राज्य में कार्यरत सेक्स वर्कर्स को ड्राई राशन किट उपलब्ध करवाने जा रही है। इस दौरान सेक्स वर्कर्स की पहचान गोपनीय रखी जाएगी। कोविड-19 की परिस्थितियों के मद्देनजर असहाय व निराश्रित परिवारों को दी जाने वाली सूखी खाद्य सामग्री को अब सेक्स वर्कर्स को भी वितरित करने के सरकार की ओर से लिए गए निर्णय के बाद का शासन सचिव खाद्य एंव नागरिक आपूर्ति विभाग सिद्धार्थ महाजन ने सभी कलेक्टर्स को निर्देश जारी किए हैं। प्रदेश में अब सेक्स वर्कर्स को भी ड्राई राशन किट का लाभ देने का यह निर्णय राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश की पालना में लिया है। रजिस्टर्ड सेक्स वर्कर्स की पहचान गोपनीय रखते हुए खाद्य सामग्री का वितरण प्रतिमाह 15 तारीख तक पात्र एनजीओ के माध्यम से होगा। विभागीय आंकड़ों के अनुसार राज्य के 21 जिलों में 12018 सेक्स वर्कर्स को इस किट का लाभ मिलेगा।
ड्राई राशन किट में सेक्स वर्कर्स को 5 किलोग्राम आटा, एक किलोग्राम चावल, 1/2 किलोग्राम खाद्य तेल, 1 किलोग्राम दाल, 1/2 किलोग्राम नमक उपलब्ध करवाया जाएगा। किट वितरण व्यवस्था की देखरेख राज्य एवं विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा की जाएगी।
21 जिलों में हैं 12 हजार से अधिक सेक्स वर्कर्स
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन से एनजीओ के आधार पर जारी डाटा के अनुसार प्रदेश के 21 जिलों में 12 हजार से अधिक सेक्स वर्कर्स की संख्या है। आंकड़ों पर नजर डालें तो भरतपुर में 300, अलवर में 773, बांसवाड़ा में 631, भीलवाड़ा में 477, बूंदी 869, चित्तौडगढ़ 339, चूरू 305, डूंगरपुर 556, गंगानगर 727, हनुमानगढ़ 374, जयपुर 602, जैसलमेर 807, झालावाड़ 373, झुंझनू 600, जोधपुर 825, कोटा 612, नागौर 859, पाली 631, राजसमंद 403, सीकर 424, उदयपुर 531 फीमेल सेक्स वर्कर्स हैं।
वितरण में निर्देशों की करनी होगी पालना, सूची से होगा वितरण
खाद्य विभाग के दिशा-निर्देशों के अनुसार सेक्स वर्कर्स को ड्राई राशन किट वितरण के दौरान सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना में दी जाने वाली सहायता उनकी पहचान गोपनीय रखते हुए उपलब्ध कराई जानी है। लिहाजा, राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन ने भी सहायता वितरण के दौरान इनकी पहचान छिपाने के विशेष रूप से निर्देश दिए हैं। किट्स तैयार कर चिकित्सा विभाग को उपलब्ध कराई जाएंगी, जो उनके पास उपलब्ध सर्वे सूची के अनुसार सेक्स वर्कर्स को संबंधित एनजीओ के माध्यम से वितरित करवाकर खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग को प्रमाण-पत्र उपलब्ध कराए जाएंगे। वितरण पर व्यय होने वाली पूरी राशि का भुगतान मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष से किया जाएगा। इसके लिए जिला कलेक्टर व्यय राशि की मांग मुख्यमंत्री कार्यालय से दी गई।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना
राज्य सरकार ने यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश की पालना में लिया है। जारी निर्देशों में बताया कि आपराधिक अपील संख्या 135/2010 बुद्धदेव करमास्कर बनाम पश्चिम बंगाल सरकार व अन्य में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश 29 सितंबर 2020 की पालना में सेक्स वर्कर्स को ड्राई राशन किट उपलब्ध करवाई जानी है। इसी आदेश की अनुपालना में 14 अक्टूबर को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में प्रदेश में सेक्स वर्कर्स को ड्राई राशन किट वितरण करने का निर्णय लिया गया है।
नहीं ली जाएगी वितरण की पावती
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख शासन सचिव अखिल अरोरा ने भी जिलेवार इस कार्य को कर रही स्वयंसेवी संस्थाओं तथा उनके अधीन सेक्स वर्कर्स की संख्या का विवरण के साथ जिला स्तर पर कलेक्टर व जिला रसद अधिकारी द्वारा निर्धारित अवधि के लिए वितरित कराई जाएंगी। वितरण के बाद संस्था से मात्र प्रमाण-पत्र लिया जाएगा, जिसमें रजिस्टर्ड सेक्स वर्कर्स की संख्या का उल्लेख होगा। जिला स्तर पर सेक्स वर्कर्स की पहचान एवं व्यक्तिगत रूप से दिए गए वितरण की पावती भी नहीं ली जाएगी।