जोन-8 के जिम्मेदारों ने कर दी हर हद पार.. कॉलोनी में आने-जाने का रास्ता ही नहीं..जेडीए अधिकारियों ने कर दिया नियमन!

तहसील सांगानेर स्थित ग्राम शिकारपुरा में विकसित की जा रही हनुमान नगर आवसीय योजना में बड़े स्तर पर मिलीभगत की आशंका

 

जयपुर। जेडीए के जिम्मेदार अधिकारी किस कदर अपनी ‘जिम्मेदारी’ निभाते है यह किसी से छिपा नहीं है। विशेषकर जब मामला किसी अवैध कॉलोनी का हो या ऐसी ही किसी कॉलोनी के नियमन का तो इन अधिकारियों से इमानदारी की उम्मीद करना ही पूरी तरह बेमानी है। ताजा मामले में भी जेडीए अधिकारियों ने मिलीभगत से एक ऐसी खातेदारी आवासीय कॉलोनी का नियमन कर दिया जिसमें आने-जाने तक रास्ता ही नहीं है। नियमों के अनरुसार किसी भी योजना के नियमन से पहले सबसे पहले जरूरी होता है उस योजना का मौका मुआयना करना और यह तय करना कि वह योजना सभ्ज्ञी मानकों पर खरी उतरती है या नहीं। लेकिन, जोन-8 के जेडीए अधिकारियों ने बिना मौका-मुआयना किए ही एक एसी आवासीय योजना का नियमन कर दिया जिसमें आने-जाने का रास्ता ही नहीं था। कागजों में डवलपर ने जिसे रास्ता दर्शाया था दरअसल वह किसी अन्य का खेत था। ऐसे में अब ना सिर्फ जेडीए अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे है बल्कि पूरी योजना को निरस्त करने की भी तैयारी की जा रही है। 
पूरे प्रकरण के अनुसार जोन-8 स्थित तहसील सांगानेर के ग्राम शिकारपुरा में  स्कीम डवलपर ने मौके पर बिना रास्ते के ही योजना सृजित कर जेडीए में पेश नक्शे में दूसरे खातेदार के खसरे में सडक़ बता दी और जेडीए ने बिना भौतिक सत्यापन किए ही योजना का नियमन कर दिया। नियमन के लिए जिस खसरे में 30 फीट सडक़ बताई वो खसरा मौके पर मौजूद ही नहीं है। मामला का खुलासा जब हुआ जो अब नियमन के बाद डवलपर ने खातेदार की खेत से सडक़ निकालनी चाही। इस पीडि़त खातेदार ने जेडीए ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की गई। 

पूरी योजना होनी चाहिए थी निरस्त, सिर्फ रहन भूखंड मुक्त नहीं करने का हुआ फैसला
याचिका पर सुनवाई करते हुए ट्रिब्यूनल ने खातेदार के पक्ष में फैसला देते हुए रास्ते नहीं निकालने के आदेश दिए। ट्रिब्यूनल आदेश और पीडि़त खातेदार की अपील पर 18 जून को इस मामले को लेकर बीपीसी मीटिंग में चर्चा हुई। इसमें बीपीसी की मीटिंग में गलत तथ्य पेशकर दर्शायी गई 12 मीटर सडक़ को अमान्य कर दिया और डवलपर को 12 मीटर पहुंच मार्ग उपलब्ध करवाने तक 12.5 फीसदी भूखंडों को रहन मुक्त नहीं करने का निर्णय लिया। जबकि नियमन निरस्त नहीं किया गया। वहीं, इस मामले में एसडीएम कोर्ट सांगानेर ने भी पीडि़त खातेदार के खसरे में किसी प्रकार के निर्माण में कोई रोक नहीं लगाते आदेश दिए थे, इसके बावजूद तारबंदी नहीं होने दी जा रही। पीडि़त ने मामले में पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाते हुए मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव को भी ज्ञापन दिया है।

पूरे प्रकरण में जेडभ्ए अधिकारियों की मिलीभगत उजागर, उठी कार्रवाई की मांग
जानकारी के अनुसारद जेडीए जोन-8 में शिकारपुरा रोड स्थित खसरा नम्बर 252, 1255 /241, 241/1142/1 में हनुमान नगर निजी खातेदारी आवासीय योजना सृजित की। इस योजना के नियमन के लिए 12 मीटर की सडक़ को खसरा नम्बर 540/1120 में दर्शा दिया। इस खसरे को 540/1108 का दिया। जेडीए जोन ने भी बिना भौतिक सत्यापन किए मिलीभगत कर 24 जुलाई 2017 को योजना का नियमन कर 14 पट्टे भी जारी कर दिए।