फुलेरा तहसील की ग्राम पंचायत चैनपुरा के राजस्व ग्राम मोरसर का मामला, हाईकोर्ट ने चारागाह भूमि मानते हुए 30 पक्के और 23 कच्चे मकानों को अतिक्रमण बताते हुए हटाने के दिए आदेश
लेकिन स्थानीय निवासियों ने किया पंचायत और जागीरी पट्टे होने का दावा, ऐसा ही मामला जालोर में सामने आया था जहां कोर्ट ने दी थी दस्तावेजों की जांच के लिए मोहलत
जयपुर। फुलेरा तहसील की ग्राम पंचायत चैनपुरा के राजस्व ग्राम मोरसर में वर्षों से यहां निवास कर रहे स्थानीय लोगों के आशियाने पर संकट मंडरा रहा है। दरअसल, यहां खसरा नं. 180 95/1, 250 और 144 को चारागाह भूमि मानते हुए हाईकोर्ट ने 2022 में यहां बसे अतिक्रमणों को हटाने के आदेश जारी किए थे। हाईकोर्ट के आदेशों की पालना में प्रशासन द्वारा कुल 53 लोगों को नोटिस जारी करते हुए अतिक्रमण हटाने के नोटिस जारी किए है जिनकी मियाद गुरुवार को पूरी हो गई। अब 53 नोटिस में शामिल कुल 30 पक्के और 23 कच्चे आशियानों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। जबकि यहां वर्षों से निवास कर रहे लोगों का कहना है कि उनके पास जागिरी समय के तथा पंचायत के द्वारा जारी किए गए पट्टे है। ग्रामीणों का कहना है कि वे वर्षों से यहां पर रह रहे थे और उनके पास पंचायत के पट्टे भी हैं लेकिन पट्टों को निरस्त माना जा रहा है। ऐसे में उनके आशियानों को नहीं उजाड़ा जाना चाहिए। ग्रामीणों का कहना है कि उनके पास पट्टे होने के बावजूद पटवारी, तहसीलदार, सरपंच, गिरदावर आकर रोजाना खाली करने की बात कह रहे हैं।
गौरतलब है कि ठीक ऐसा ही प्रकरण जालोर के ओडवाड़ा में भी सामने आया था जहां कुछ साल पहले दो भाइयों के बीच जमीनी बंटवारे को लेकर विवाद हुआ था, जो कि कोर्ट तक पहुंच गया। कोर्ट ने उन जमीनों की जांच करवाई तो गांव के 440 घर भी नप गए। ये सभी घर भी ओरण भूमि में पाए गए। इसके बाद राजस्थान हाई कोर्ट ने 7 मई को ओरण में बने 440 घरों को तोडऩे का आदेश दे दिया। आदेश आते ही प्रशासन ने मकानों को चिह्नित करके क्रॉस का निशान लगाने का काम पूरा किया। अभियान के पहले दिन कई मकान तोड़ भी दिए गए लेकिन राजस्थान हाई कोर्ट अतिक्रमण हटाने पर रोक लगा दी है। जस्टिस विनीत माथुर ने आदेश जारी करते हुए प्रशासन को सबसे पहले दस्तावेजों का वेरिफिकेशन करने के लिए कहा। कोर्ट ने साफ किया था कि जांच पूरी होने तक किसी प्रकार का अतिक्रमण नहीं हटाया जाएगा।
इंदिरा आवास योजना में बना मकान लेकिन अब बन गया अतिक्रमण
जानकारी के अनुसार यहां स्थानीय लोग कई दशकों से निवास कर रहे है। अधिकांश का जन्म भी यहीं हुआ और तभी से वे यहां रहते आए है। सभी के पास जागीरी और पंचायत द्वारा जारी पट्टे भी और इन्हीं पट्टों के आधार पर यहां इंदिरा आवास योजना के तहत मकान बनाने की स्वीकृति भी मिली और कई मकान इस योजना के तहत बनाए भी गए। वही स्वच्छ भारत अभियान के दौरान बनाए गए शौचालय भी यहां बने हुए हैं। साथ ही बिजली विभाग की ओर से सभी मकानों पर विद्युत कनेक्शन जारी किए गए हैं। ऐसे में स्थानीय लोगों का कहना है कि अब आखिर वे जाए तो कहां जाए। उनके पास सिर छिपाने के लिए कोई दूसरी जगह भी नहीं है। लोगों का कहना है कि उनके आशियाने उजाड़े जाने से पहले कम से कम उनके लिए दूसरी व्यवस्था करनी चाहिए ताकि कम से कम उन्हें सिर छिपाने के लिए छत तो मयस्सर हो सके।
जालोर में पीडि़तों को सीएम और पूर्व सीएम का मिला था साथ, मोरसर मामले में अब तक चुप्पी
जालोर के ओडवाड़ा में हुए ठीक ऐसे ही मामले में भी जमकर हंगामा हुआ था। तब मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उनके पुत्र वैभव गहलोत सहित कई पक्ष और विपक्ष के नेताओं ने इंसाफ के लिए पीडि़त परिवारों का साथ दिया था लेकिन ग्राम मोरसर के मामले में अब तक कोई पीडि़तों की मदद के लिए सामने नहीं आया है। पीडि़तों ने भी रुंधे गले से कहा है कि इस संकट की घड़ी में कोई उनके साथ खड़ा नहीं है। उनके आशियानों पर बुल्डोजर चलने वाला है लेकिन उन्हें ना तो किसी का सहयोग ही मिल रहा है और ना ही किसी प्रकार की सहायता।