अवैध बजरी परिवहन पर नहीं लग पा रही लगाम, रोजाना सैकड़ों की संख्या में अवैध डंपर बिना किसी रोक-टोक के सडक़ों पर दौड़ रहे, विधायक से की जा रही शिकायतें भी नाकाम
जयपुर। राज्य सरकार समय समय पर अवैध खनन और बजरी माफिया के खिलाफ अभियान चलाने के आदेश जारी करती है। पकड़ा-धकड़ी के इस अभियान में पुलिस की भूमिका अधिक रहती है। कुछ पुलिस वाले अपनी जान पर खेलकर बजरी से भरे कुछ डंपर और ट्रैक्टर ट्रॉली पकड़ लेते हैं तो कुछ पुलिस वाले इस कार्रवाई में अपनी जान भी गंवा देते हैं। प्रदेश में ऐसी दर्जनों वारदातें हो चुकी हैं जिनमें बेखौफ बजरी माफिया ने पुलिस वालों पर ही बजरी के डंपर चढ़ा दिए। इन वारदातों में कई पुलिस वालों की जान भी जा चुकी है। इसके बावजूद राजस्थान में पुलिस इन बजरी माफिया की कमर नहीं तोड़ सकी है। इसकी वजह खुद वे चुनिंदा पुलिस वाले हैं जो इन बजरी माफिया के लिए रीढ़ की हड्डी बने हुए हैं। सूत्रों के अनुसार ऐसे भ्रष्ट पुलिस वाले इन बजरी माफिया के मुखबिर से कम नहीं। कुछ ने तो बकायदा उनसे पार्टनरशिप भी कर रखी है। कुछ ने खुद ही बेनामी डंपर और ट्रैक्टर ट्रॉलियां खरीद रखी हैं जो बिना नम्बरी दौड़ रही हैं। ये गाडिय़ां धड़ल्ले से बजरी ढोने के काम ली जा रही हैं। दरअसल, राजधानी की यह खबर एक गंभीर मुद्दे की ओर इशारा कर रही है। इस ज्वलंत मुद्दे में अवैध बजरी खनन और परिवहन पर पुलिस की मिलीभगत या लापरवाही पर सवाल उठाए जा रहे हैं। जानकारी के अनुसार जयपुर जिले का माधोराजपुरा थाना क्षेत्र अवैध बजरी माफियाओं का गढ़ बनता जा रहा है। पुलिस और खनन विभाग पर लगातार आरोप लग रहे है कि पुलिस और बजरी माफियाओं के बीच गहरी सांठ-गांठ है, जिसकी वजह से करीबन रोजाना सैकड़ों की संख्या में अवैध डंपर बिना किसी रोक-टोक के सडक़ों पर दौड़ रहे हैं। इन डंपरों की ओवरलोडिंग के कारण सडक़ों का बुरा हाल हो रहा है और लगातार सडक़ हादसों की संभावना बढ़ रही है।
चाकसू विधायक को की जा रही लगातार शिकायतें, ठोस कार्रवाई का इंतजार
आमजन का ये भी आरोप है कि पुलिस कार्रवाई सिर्फ ट्रैक्टर-ट्रॉली तक सीमित रहती है, जबकि बजरी के डंपर धड़ल्ले से शहरों में प्रवेश कर रहे हैं। रेनवाल मांजी थाना के सामने से इन डंपरों का गुजरना सामान्य हो गया है और पुलिस इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रही। इसके परिणामस्वरूप करोड़ों रुपये की सडक़ें टूट रही हैं और अनगिनत हादसों का सामना करना पड़ रहा है। यह कहानी एक ओर सार्वजनिक सुरक्षा और कानून व्यवस्था पर सवाल उठाती है, जो अधिकारियों और पुलिस विभाग की लापरवाही का पर्दाफाश करती है। ग्रामीणों ने कई बार चाकसू विधायक राम अवतार बैरवा से भी बजरी माफियाओ की शिकायत की है लेकिन प्रशासन पर विधायक की नाराजगी भी बेअसर नजर आ रही है। अब बड़ा बडा सवाल ये है $िक आखिर पुलिस मूकदर्शक क्यों बनी हुई है?
इधर, बजरी माफियाओं को पकडऩे गई पुलिस पर फायरिंग, पुलिसकर्मी बाल-बाल बचे
इस बीच मंगलवार को धौलपुर के कोतवाली थाना क्षेत्र में एनएच 44 स्थित सागरपाड़ा चेक पोस्ट के पास एक बार फिर पुलिस और बजरी माफिया आमने-सामने हो गए। पुलिस ने नाकाबंदी कर बजरी माफियाओं को रोकने का प्रयास किया, लेकिन तेज रफ्तार ट्रैक्टर-ट्रॉली और फायरिंग करते हुए आरोपी फरार हो गए। सीओ मुनेश मीणा ने बताया कि देर रात मध्य प्रदेश के मुरैना जिले से चंबल बजरी से भरे आधा दर्जन से अधिक ट्रैक्टर-ट्रॉली धौलपुर में दाखिल होने की सूचना मिली थी। इसके बाद एनएच 44 पर सागरपाड़ा चौकी पर पुलिस की टीम द्वारा नाकाबंदी की जा रही थी। पुलिस को देख बजरी माफियाओं ने अवैध हथियारों से पुलिस टीम पर फायरिंग कर दी। पुलिस ने घेराबंदी करने की कोशिश की तो फिर से माफियाओं ने फायरिंग की और अंधेरे का फायदा उठाकर फरार हो गए। गनीमत यह रही कि इस फायरिंग में कोई भी हताहत नहीं हुआ।