सरकारी कर्मचारियों के लिए ‘अहम है विकेंड’..
‘मिलेगी पुरानी पेंशन या जारी रहेगी एनपीएस’..आज फैसले की घड़ी; ‘होगा फाइनल डिसीजन’!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे स्टाफ साइड की जेसीएम के प्रतिनिधियों से बातचीत, पीएम आवास पर बुलाई गई बैठक, हालांकि इससे पहले ही कर्मचारी संगठनों में दो फाड़
कई संगठनों को ओपीएस से कम कुछ मंजूर नहीं, एनपीएस में संशोधन का हो रहा है विरोध, हालांकि सरकार के रुख के उलट ऐतिहासिक फैसले की उम्मीद
नई दिल्ली/जयपुर। देश में ‘पुरानी पेंशन’ लागू होगी या ‘एनपीएस’ ही जारी रहेगी, इस पर अंतिम फैसले की घड़ी करीब आ गई है। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के प्रतिनिधियों से बातचीत करेंगे। यह बैठक पीएम आवास पर बुलाई गई है। इस बैठक से पहले जेसीएम के सदस्यों के बीच तालमेल का अभाव साफ नजर आ रहा है। रेलवे के बाद केंद्र में दूसरे सबसे बड़े कर्मचारी संगठन अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) ने प्रधानमंत्री की इस बैठक का बहिष्कार कर दिया है। एआईडीईएफ के पदाधिकारियों का कहना है कि उन्हें ओपीएस के अलावा कुछ भी मंजूर नहीं है। केंद्र सरकार, संसद में कह चुकी है कि पुरानी पेंशन योजना उसके विचाराधीन नहीं है। बजट पेश करने के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ओपीएस का जिक्र तक नहीं किया। केंद्रीय कर्मियों के एक बड़े संगठन ‘कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स’ के महासचिव एसबी यादव ने बताया कि पीएम की बैठक से पहले हमारा स्टैंड क्लीयर है। सरकारी कर्मचारियों को ओपीएस ही चाहिए। एनपीएस में संशोधन, किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं करेंगे। साथ ही ज्वाइंट फोरम फॉर रेस्टोरेशन ऑफ ओल्ड पेंशन स्कीम (जेएफआरओपीएस) नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) के कन्वीनर शिव गोपाल मिश्रा एवं को-कन्वीनर डॉ. एम. राघवैया ओपीएस बाबत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिख चुके है। एआईडीईएफ के अध्यक्ष एसएन पाठक और महासचिव सी. श्रीकुमार का कहना है कि कर्मियों को केवल गारंटीकृत पुरानी पेंशन ही चाहिए।
केंद्र और राज्य कर्मचारी लंबे समय से कर रहे हैं संघर्ष, हालांकि सरकार समर्थन में नहीं
केंद्र एवं राज्यों के कर्मचारी संगठन, पुरानी पेंशन बहाली के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। इस बाबत रामलीला मैदान में कर्मचारियों की कई रैलियां हो चुकी हैं। जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किए गए हैं। कर्मचारी संगठनों ने कई बार प्रधानमंत्री से मिलने का आग्रह किया था। हालांकि पीएम मोदी खुद, सार्वजनिक मंचों से ओपीएस बाबत अपनी राय दे चुके हैं। पीएम ने उन राज्य सरकारों पर भी निशाना साधा था, जिन्होंने ओपीएस लागू की है। इसके अलावा, केंद्र सरकार कई बार कह चुकी है कि पुरानी पेंशन बहाली संभव नहीं है। कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें गारंटीकृत पुरानी पेंशन ही चाहिए। सरकार, बिना गारंटी वाली योजना एनपीएस को समाप्त करे।
अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ ने किया पीएम के साथ बैठक का बहिष्कार
अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी. श्रीकुमार के मुताबिक, उनका संगठन प्रधानमंत्री के साथ होने वाली बैठक में हिस्सा नहीं लेगा। वजह है कि बैठक में ओपीएस पर नहीं, बल्कि एनपीएस पर ही बातचीत होगी। एआईडीईएफ, पहले ही कह चुका है कि उसे एनपीएस में सुधार मंजूर नहीं है। कर्मचारियों को ओपीएस ही चाहिए। बता दें कि अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ ने नॉर्थ ब्लॉक में 15 जुलाई को हुई वित्त मंत्रालय की कमेटी की बैठक का भी बहिष्कार किया था। वित्त मंत्रालय ने पुरानी पेंशन पर बातचीत करने के लिए स्टाफ साइड (नेशनल काउंसिल, जेसीएम) के प्रतिनिधियों की बैठक बुलाई थी। इस बैठक में भी एनपीएस पर बातचीत हुई थी।
जो संगठन बैठक में हिस्सा लेंगे उन्हें भी एनपीएस में संशोधन मंजूर नहीं
केंद्र सरकार के एक बड़े कर्मचारी संगठन कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स ने बैठक से पहले जेसीएम के सचिव शिव गोपाल मिश्रा को पत्र लिखकर सूचित कर दिया था कि कर्मियों को ओपीएस से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। वे एनपीएस की समाप्ति और गारंटीकृत ओपीएस की बहाली चाहते हैं। कॉन्फेडरेशन के महासचिव एसबी यादव कहते हैं, ओपीएस में पेंशन की गारंटी है। कर्मचारी को एक रुपया दिए बिना ही यह सुविधा मिलती है। हालांकि कॉन्फेडरेशन के दो सदस्य, प्रधानमंत्री के साथ होने जा रही बैठक में शिरकत करेंगे, मगर हमारा एजेंडा क्लीयर है। एनपीएस में सुधार पर कोई बातचीत नहीं होगी। कर्मचारियों को केवल गारंटीकृत पेंशन ही चाहिए।