यूं ही कुछ नहीं कहते हैं ‘भाजपा के चाणक्य’..मिशन-25 हुआ फेल; ‘अब होगा असली खेल’!

प्रदेश के नेताओं के दावों पर गृहमंत्री अमित शाह ने पानी फेरा, बोले-इस बार राजस्थान में भाजपा की सीटें होंगी कम, अब इस बयान के निकाले जा रहे सियासी मायने

प्रारंभिक तौर पर मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों की रणनीति पर होगा मंथन, वसुंधरा राजे के इफेक्ट पर भी होगी माथापच्ची, बहरहाल चुनाव के नतीजों के बाद राजस्थान में दिख सकती है बड़ी उथल-पुथल
 


जयपुर। प्रदेश में हैट्रिक का दावा करने वाले बीजेपी नेताओं की अमित शाह ने बोलती बंद कर दी है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का कहना है कि राजस्थान में बीजेपी की सीटें कम होंगी। इस बार सभी 25 सीटों पर बीजेपी नहीं जीतेगी। इससे पहले चुनाव के दौरान बीजेपी के नेता सभी 25 सीटों पर जीतने का दावा कर रहे थे। बीजेपी ने पिछले दो लोकसभा चुनावों में सभी सीटों पर जीत हासिल की थी। केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह ने भी कर दी है, जिसको लेकर सियासी हलचल शुरू हो गई है। सियासी जानकार अमित शाह के बयान के अलग-अलग सियासी मायने निकाल रहे है। एक वर्ग का कहना है कि वसुंधरा राजे की अनदेखी बीजेपी को भारी पड़ सकती है। वसुंधरा राजे ने चुनाव प्रचार से दूरी बनाए रखी। जिसकी वजह से बीजेपी को नुकसान हो सकता है। जबकि दूसरे वर्ग का कहना है कि सीएम भजनलाल ने गहलोत सरकार की लोक लुभावन योजना को बंद कर दिया। सीएम जनता के सामने गहलोत जैसी योजनाएं रखने में सफल नहीं हुए है। ऐसे में पार्टी को नुकसान हो सकता है।
दरअसल, अमित शाह ने खुले आम स्वीकार किया है कि साल 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सीटें कम होंगी। शाह के मुताबिक राजस्थान में बीजेपी को एक-दो सीट कम हो सकती है। चुनाव परिणाम से पहले शाह का उक्त बयान काफी अहमियत रखता है। साल 2024 लोकसभा चुनाव में राजस्थान में हैट्रिक लगाने का दावा करने वाली बीजेपी के यू टर्न लेने के मायने क्या है, यह खबर सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। इसके पीछे वोट फीसदी में आई कमी निर्णायक कही जा सकती है। इस बार राजस्थान में महिला और युवाओं को मत प्रतिशत में गिरावट दर्ज की गई है।

लोकसभा की 25 सीटों पर मतदान के बाद वोटिंग आंकड़ों ने भी दे दिए थे संकेत
राजस्थान में विधानसभा चुनाव की तुलना में लोकसभा चुनाव में हुई कम मतदान ने बीजेपी के मिशन-25 पर बड़ा आघात पहुंचाया है। दो चरणों में राजस्थान के 25 लोकसभा सीटों पर हुए मतदान के बाद पार्टी के पास ऊपर तक फीडबैक मिला है कि पूरी 25 सीटें नहीं आएगी। जबकि पिछले दो चुनाव की तरह बीजेपी ने राजस्थान में 25-25 सीटों जीत का दावा किया था। राजस्थान में पहले फेज में 12 लोकसभा सीटों पर मतदान कम होने से बीजेपी को आघात पहुंचा, जिसका खामियाजा बीजेपी के मिशन 25 पर पहुंचा है। साल 2024 में 2019 के मुकाबले मतदान 4.57 प्रतिशत तक कम रहा। पिछले लोकसभा चुनाव में राजस्थान में 66.07 प्रतिशत वोटिंग हुई थी, इस बार वह घटकर 61.57 प्रतिशत रह गई।

हार-जीत के पूरे समीकरणों के लिए इन आंकड़ों को समझाना सबसे जरूरी
लोकसभा चुनाव 2024 में बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर 72.24 प्रतिशत वोटिंग हुई, इस आदिवासी बहुल सीट पर जब जब अधिक वोटिंग हुई है, उसका फायदा बीजेपी मिला है। साल 2009 में यहां 52.68 प्रतिशत, 2014 में 68.86 फीसदी, साल 2019 में 72.75 प्रतिशत रहा था। वहीं, बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र में सर्वाधिक 75.93 फीसदी मतदान हुआ था, यहां भी 26 अप्रेल को यहां वोटिंग हुई थी। हालांकि बीजेपी ने लोकसभा चुनावों के दौरान राजस्थान की 7 लोकसभा सीटों को कमजोर माना था। कमजोर सीटों में दौसा, झुंझुनूं, बाड़मेर, चूरू, नागौर, सीकर, करौली-धौलपुर का नाम शामिल है। इन सीटों पर बीजेपी प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी और दूसरे स्टार प्रचारकों की सभाएं हुईं, लेकिन नतीजा ज्यादा अच्छा नहीं रहा है। इसकी एक बड़ी वजह भीतरघात भी हैं।


राजस्थान के इन सात विधायकों ने भाजपा की राह में बो दिए कांटे, नाम है चौंकाने वाले 
अगर भाजपा कुछ सीटें हार रही हैं तो सबसे बड़ा सवाल है कि राजस्थान में इस बार भाजपा का गणित क्यों गड़बड़ाया है कहां रणनीतिक चूक हुई है। असल में इस बार राजस्थान भाजपा का गणित बिगडऩे में अन्य समीकरणों के अलावा राजस्थान के सात विधायकों ने भी बड़ी भूमिका अदा की है। वर्तमान में कांग्रेस से विधायक हरीश मीणा टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा सीट, ललित यादव अलवर लोकसभा सीट से, बृजेंद्र ओला झुंझुनूं लोकसभा से, दौसा विधायक मुरारी लाल मीणा दौसा लोकसभा सीट से, हनुमान बेनीवाल नागौर लोकसभा सीट से, बीएपी के विधायक राजकुमार रोत बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट और बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट से शिव से निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी लोकसभा चुनाव लड़ा हैं। इस चुनाव में इन विधायकों के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है। लेकिन, उनकी प्रतिष्ठा जरूर दांव पर है।