संशोधन कनून के विरोध में ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड

वक्फ संशोधन कनून के विरोध में ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड 
बोर्ड की बैठक में विरोध प्रदर्शन नहीं करने और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने का निर्णय 

नई दिल्ली। वक्फ एक्ट में नए संशोधन कर नया कानून बनाने को लेकर देशभर में मुस्लिम संगठन की ओर से विरोध प्रकट किया जा रहा है। इसी कड़ी में देशभर के विभिन्न मुस्लिम वर्गो की प्रतिनिधी संस्था ऑल इंडिया बोर्ड उलेमा बोर्ड ने भी वक्फ संशोधन कानून का विरोध किया है और इसे मुस्लिमों के निजी   मामलों में सरकारी हस्तक्षेप बताया है। इस मामले पर राजधानी के नोएडा में ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड की विशेष बैठक आयोजित की गई जिसमें बोर्ड की मुख्य कार्यकारिणी के सदस्यों ने हिस्सा लिया। बैठक में बोर्ड के महासचिव अल्लामा बुनई हसनी ने कहा कि वक्फ का मामला मुस्लिम समुदाय के धर्म व संस्कृति से जुड़ा एक निजी मामला है और संविधान हर भारतीय नागरिक को धार्मिक आजादी, निजता व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है जिसके अंतर्गत प्रत्येक नागरिक अपने धर्म से जुड़ी रिती रिवाज, संस्कृति और अपनी निजता को संरक्षण करने का अधिकार रखता है। वक्फ मुस्लिम वर्ग के धर्म के साथ साथ निजता का मामला है जिसमें केन्द्र व राज्य सरकार को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। बुनई हसनी ने कहा कि ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड की बैठक में सभी सदस्यों ने यह निर्णय लिया कि वक्फ संशोधन कानून के विरोध में कोई प्रदर्शन नहीं करेंगें लेकिन सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का समर्थन करेंगें। बैठक में मौलाना नौशाद अहमद सिद्दीकी, शम्सुल उलमा मौलाना सैयद अतहर अली, मौलाना शमीम अख्तर नदवी मुंबई, इस्लामिक स्कॉलर सैयद अर्शीला फरीदी पटना, मुफ्ती ताहिर हुसैन मजाहिरी यूपी, मौलाना रियाजुद्दीन नक्शबंदी हैदराबाद, श्री सलीम अलवारे, एडवोकेट मोतहर हुसैन दिल्ली, संपादक सैयद मुजफ्फर अली अजमेर, एडवोकेट अमजद खान लखनऊ, मुफ्ती खालिद आजम हैदरी कोलकाता, शेख फैसल इकबाल अरंगाबाद, शेख हफ़ीज़ुल्लाह गुजरात, मिस्टर बादशाह रांची, मौलाना साबित अली नक्शबंदी, मुबीन सिद्दीकी, डॉ नदीम उस्मानी, क़ाज़ी रिज़वानुर रहमान सिद्दीकी गुलबर्गा और डॉक्टर अब्दुल कादिर सैयद शामिल हुए।

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