पटेल न होते तो भारत का हिस्सा न होता हैदराबाद... कार्यकारिणी में बोले अमित शाह

बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत सभी नेताओं ने इसे भाग्यनगर कहा। इसी के साथ केंद्रीय अमित शाह ने हैदराबाद के भारत में विलय में देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई के योगदान को भुनाया। अमित शाह ने कार्यकारिणी में कहा कि अगर सरदार पटेल न होते को हैदराबाद का भारत में विलय न होता। दरअसल, जब भारत आजाद हुआ तब हैदराबाद उसमें शामिल नहीं था। इसके लिए एक साल से ज्यादा लंबी जद्दोजहद चली, सैन्य कार्रवाई हुई और तब जाकर हैदराबाद भारत का हिस्सा बना।
अमित शाह ने क्या कहा? हैदराबाद में जनसभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, 'आज मैं भाग्यनगर हैदराबाद में खड़ा हूं। पूरा देश जानता है कि अगर सरदार पटेल ना होते तो आज हैदराबाद भारत का हिस्सा न होता।'
भारत में विलय के तैयार नहीं थीं तीन रियासतें
3 जून 1947 को लॉर्ड माउंटबेटन ने ऐलान किया कि 15 अगस्त 1947 को भारत और पाकिस्तान को आजादी मिलेगी। भारत में सत्ता कांग्रेस को सौंपी जाएगी जबकि मुस्लिम लीग को पाकिस्तान दिया जाएगा। देश की आजादी के बाद ज्यादातर रजवाड़े भारत में शामिल हो गए लेकिन जूनागढ़, कश्मीर और हैदराबाद भारत में शामिल होने को तैयार नहीं थे। ये अलग देश के रूप में मान्यता पाने की कोशिश में थे। हैदराबाद के निजाम उस्मान अली खान आसिफ ने फैसला किया कि उनका रजवाड़ा न तो पाकिस्तान और न ही भारत में शामिल होगा। हैदराबाद में निजाम और सेना में वरिष्ठ पदों पर मुस्लिम थे लेकिन वहां की ज्यादातर आबादी हिंदू (85 फीसदी) थी। शुरू में निजाम ने ब्रिटिश सरकार से हैदराबाद को राष्ट्रमंडल देशों के तहत स्वतंत्र राजतंत्र का दर्जा देने का आग्रह किया। हालांकि ब्रिटिश निजाम के इस प्रस्ताव पर सहमत नहीं हुए। 

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