जिला मुख्यालय होने के बावजूद बाजार में छाया है अंधेरा, नगर परिषद सजावट करना तो दूर बल्कि खंभों पर लाइटें लगाना भी भूली, हर साल की तरह इस बार भी वहीं पुरानी कहानी
दूदू। रोशनी के पर्व दीपावली पर इस बार भी दूदू की सडक़ें निजी दुकानों पर लगी झालरों और पटाखों की रोशनी के भरोसे ही जगमगाएंगी। क्योंकि, नगर परिषद ने इस त्योहार पर भी सडक़ों को रोशन करने के कोई खास इंतजाम नहीं किए हैं। दरअसल, जिला मुख्यालय होने के बाद भी दूदू के मुख्य बाजारों में नगर परिषद की सजावट तो दूर बल्कि बिजली खंभों पर लगने वाली लाइटें तक नदारद है। लोगों में इसलिए अधिक आक्रोश है क्योंकि पिछले साल भी दूदू निवासियों ने अंधेरे में ही दीपावली का पर्व मनाया था। ऐसे में सवाल उठना वाजिब है कि इस मामले में आखिर जिम्मेदार प्रशासन कदम क्यों नहीं उठा रहा है। यह हालात तो तब है जबकि दूदू के सभी प्रमुख अधिकारी रोजाना इसी बाजार से गुजरते है लेकिन हिंदू धर्म के इस सबसे बड़े पर्व पर रास्तों में छाया अंधेरा उन्हें नजर नहीं आता है। स्थिति यह है कि नगर परिषद होने के बाद भी यहां ग्राम पंचायत जैसा माहौल बना हुआ है। उपमुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र में कमियों का अंबार अब खलने लगा है।
अंधकारमय बाजार से ग्राहकों का भी मोह भंग, व्यापारी परेशान
दीपावली के पर्व पर भी यहां मुख्य बाजार में ना तो पार्किंग की व्यवस्था है और ना ही ना रोडलाइट और ट्रैफिक पुलिस की। ऐसे में व्यापारी अपने व्यापार को लेकर चिंतित है। यहां के व्यापारियों ने बताया कि कई बार इस बाबत मांग की जा चुकी है लेकिन सुनवाई नहीं होती। स्थानीय लोगों का कहना है कि दिवाली पर भी सडक़ों पर अंधेरा ही रहेगा। नगर परिषद दिवाली से पहले दावे तो बहुत करता है लेकिन दावों की हकीकत कुछ और ही है।