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आज भारतीय बौद्धिक जगत अपनी खामोशी की वज़ह से अविश्वसनीय और बदनाम है। इसे ही निर्मल वर्मा ने ‘चुनी हुई चुप्पी’ कहा था, जिसे सामान्यतः ‘सलेक्टिव खामोशी’ कहा जाता है। क्या एक लोकतांत्रिक देश...