राजस्थान विधानसभा का सबसे ‘काला दिन’..स्पीकर रो पड़े; डोटासरा की गाजर-मूली जारी!

थमता नहीं दिख रहा सत्ता और विपक्ष के बीच गतिरोध.. 
 

बिना विपक्ष के चला सदन, पीसीसी चीफ डोटासरा के पूर्ण बर्खास्तगी की उठी मांग, सदस्यों के व्यवहार से दुखी हुए अध्यक्ष देवनानी, बोले-कभी पक्षपात नहीं किया


इधर, डोटासरा ने कहा-गाजर-मूली हूं, जो तोडक़र खा जाओगे? गहलोत बोले- स्पीकर को इगो छोडऩा चाहिए, निलंबित विधायकों ने फिर किया विधानसभा में घुसने का प्रयास; फिर धरने पर बैठे

पूरे हंगामे के बीच नई व्यवस्था लागू, न वॉर्निंग..न प्रस्ताव.. बस गलती और विधायक का हो जाएगा निलंबन 


जयपुर। राजस्थान विधानसभा में मंगलवार का दिन हंगामेदार रहा। ये दिन राजस्थान के इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा। विधानसभा में सोमवार और मंगलवार को जो हुआ, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। दरअसल, मंत्री अविनाश गहलोत ने इंदिरा गांधी को लेकर विधानसभा में टिप्पणी की थी। इस पर कांग्रेस विधायक नाराज हो गए। उनका निलंबन कर दिया गया और विवाद बढ़ता गया। इसके बाद सोमवार को कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने विधानसभा स्पीकर वासुदेव देवनानी के खिलाफ सदन के अंदर आपत्तिजनक टिप्पणियां की। इस पर विवाद और बढ़ गया। मंगलवार सुबह विधानसभा शुरू होने पर निलंबित विधायकों समेत कांग्रेस के विधायकों ने सदन में घुसने का प्रयास किया। इससे सुरक्षा अधिकारियों और उनके बीच संघर्ष हो गया। इसके बाद कांग्रेस विधायक सदन के बाहर धरने पर बैठ गए। विधानसभा में सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष के बीच विवाद और गहरा गया। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर टिप्प्णी को लेकर शुरू हुआ विवाद सीधे टकराव तक जा पहुंचा है। कांग्रेस विधायक मंगलवार सुबह विधानसभा के मुख्य द्वार पर इक_ा हुए। इसके बाद निलंबित सदस्यों सहित कांग्रेस विधायक अंदर आने लगे तो सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोक लिया। इस दौरान दोनों पक्षों में झड़प हो गई। सुरक्षाकर्मियों ने विधानसभा का गेट बंद कर लिया। विधानसभा में प्रवेश नहीं मिलने के बाद कांग्रेस विधायक सामने बने विधायक आवास के लॉन में जाकर धरने पर बैठ गए हैं और अनिश्चितकालीन धरने के लिए यहीं पर ही टैंट का सामान भी मंगवा लिया गया है।


पहली बार बिना विपक्ष के शुरू हुआ प्रश्नकाल, हालात हो रहे बेकाबू
इधर, बिना प्रतिपक्ष के पहली बार राजस्थान विधानसभा में प्रश्नकाल शुरू हुआ। पूर्व मंत्री व मौजूदा विधायक शांति धारीवाल का कहना है कि विपक्ष अपने आप जाए वह बात अलग है लेकिन सत्ता पक्ष की तरफ से इस तरह की कोशिश की जाए कि विपक्ष बाहर ही रहे ऐसा तो पहली ही बार हुआ है। राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को सियासी घमासान देखने को मिला। जब सदन के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा पर अपमानजनक व्यवहार करने और अमर्यादित भाषा का प्रयोग करने का आरोप लगाया। इस दौरान देवनानी इतने भावुक हो गए कि सदन में उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। देवनानी बोले, मैंने कभी पक्षपात नहीं किया, फिर भी आरोप लगते हैं।


ऐसे शब्द मैनें कभी नहीं सुने, बोलते हुए भावुक हुए स्पीकर
भावुक होते हुए विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा, मैं भी पांच बार से सदन का सदस्य हूं, लेकिन मैंने कभी ऐसे शब्द नहीं सुने। मैंने कभी पक्षपात नहीं किया, फिर भी मुझ पर इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं, यह बेहद दुखद है। देवनानी ने आगे कहा कि अगर इस तरह की भाषा का उपयोग होता रहेगा तो लोकतंत्र का क्या होगा? उन्होंने डोटासरा के आचरण पर सवाल उठाते हुए कहा, मुझे भी लगता है कि वह विधायक बनने के योग्य नहीं हैं। लेकिन इसका निर्णय सदन को करना है। उन्होंने कहा- मैं तो एक छोटा कार्यकर्ता था, कॉलेज में पढ़ता था, सोचा भी नहीं था कि यहां तक पहुंचूंगा, लेकिन आप लोगों ने पहुंचाया। उन्होंने कहा कि सदन में जो बोला गया वह बहुत गंभीर और अपमान जनक है। एक दल का प्रदेशाध्यक्ष भाषण करे, इन शब्दों को मैं दोहरा नहीं सकता। अखबारों में सबने पढ़ा है। वह शब्द सदन के अंदर ही कहे गए हैं, चाहे सदन की कार्यवाही चल रही हो चाहे नहीं चल रही हो।


सत्ता पक्ष ने डोटासरा को सदन से परमानेंट बाहर निकालने की मांग की
मंगलवार सुबह कांग्रेस विधायक अपने निलंबित साथियों के साथ विधानसभा में घुसने की कोशिश करते हुए सुरक्षाकर्मियों से भिड़ गए। इसके बाद वे विधानसभा के गेट पर ही धरने पर बैठ गए। दोपहर एक बजे तक धरना देने के बाद कांग्रेस विधायक विधानसभा से चले गए। लेकिन सदन में विवाद और गहराता नजर आ रहा है। सत्ता पक्ष के विधायकों ने डोटासरा को परमानेंट सदन से निकालने की मांग रख दी। सरकार के मंत्री मदन दिलावर और बीजेपी विधायक गोपाल शर्मा ने डोटासरा को सदन से बर्खास्त करने की मांग रखी। इधर, इस पूरे विवाद पर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने सरकार पर हमला बोलते हुए बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री ने उनसे कहा था, हमारा स्पीकर तो जैसा है वैसा है, यह कोई भी काम की बात नहीं मानेगा। डोटासरा ने आगे कहा कि सरकार के भीतर ही मतभेद हैं और उनकी व्यक्तिगत माफी को लेकर कोई सहमति नहीं बनी थी।


एक बार फिर मार्शलों से हुई झड़प, बॉयकॉट के बीच कांग्रेस ने दिया धरना
इस बीच, सदन में प्रश्नकाल जारी रहा, लेकिन कांग्रेस ने बायकॉट कर दिया। कांग्रेस विधायकों ने इंदिरा गांधी पर कथित अपमानजनक टिप्पणी के विरोध में विधानसभा के पश्चिमी गेट पर धरना दिया। जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सचिन पायलट, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली सहित कांग्रेस के सभी विधायक शामिल रहे। विधानसभा नियमों के अनुसार, निलंबित विधायकों को सदन परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं है, लेकिन वे फिर भी अंदर जाने की कोशिश कर रहे थे। स्थिति बिगड़ती देख वरिष्ठ कांग्रेस विधायक राजेंद्र पारीक ने हस्तक्षेप किया और मामला शांत कराया। इस घटना के बाद कांग्रेस ने सरकार और स्पीकर पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाया। कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया कि जब तक मंत्री अविनाश गहलोत माफी नहीं मांगते और उनकी टिप्पणी कार्यवाही से नहीं हटाई जाती, तब तक वे सदन में नहीं जाएंगे।


डोटासरा बोले- गाजर-मूली हूं, जो तोडक़र खा जाओगे? 
धरना स्थल पर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि संसदीय कार्यमंत्री ने खुद कहा कि हमारा स्पीकर जैसा है, वैसा है, यह किसी की भी बात नहीं मानेगा। डोटासरा ने तंज कसते हुए कहा कि क्या मैं गाजर-मूली हूं, जो तोडक़र खा जाओगे? सरकार में मतभेद हैं, माफी मांगने की सहमति सिर्फ मंत्री के लिए बनी थी, मेरी नहीं। अगर कोई गीता पर हाथ रखकर कह दे कि मेरी माफी की सहमति बनी थी, तो मैं सदन छोड़ दूंगा।

राजस्थान विधानसभा में नई व्यवस्था लागू, न वॉर्निंग..न प्रस्ताव.. बस गलती और विधायक का हो जाएगा निलंबन

इस बीच सदन सुचारू रूप से चल सके इसके लिए राजस्थान विधानसभा के स्पीकर वासुदेव देवनानी ने नई व्यवस्था लागू की है। इसके तहत अब लोकसभा की तर्ज पर यदि कोई भी सदस्य आसन की ओर बढऩे की कोशिश करेगा, या सदन की अवहेलना करेगा तो उसका निलंबन स्वत: ही हो जाएगा। इसके लिए कोई प्रस्ताव लाने की जरूरत नहीं होगी। विधानसभा में वर्तमान में हो रहे हंगामे की वजह से स्पीकर ने इस सख्त व्यवस्था को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है। सत्ता पक्ष ने इस फैसले का स्वागत किया है। यानी अब किसी तरह की वॉर्निंग दिये बिना विधानसभा सदस्यों का निलंबन किया जा सकेगा, और इसके लिए कोई प्रस्ताव भी लाना नहीं होगा।  सत्तारूढ़ भाजपा ने विधानसभा अध्यक्ष के इस फैसले का समर्थन किया है। वहीं, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने स्पीकर के इस फैसले को तानाशाही करार दिया है। कांग्रेस का कहना है कि इस तरह की व्यवस्था लागू कर सरकार बहस से बचना चाहती है। विपक्षी दलों का आरोप है कि विधानसभा में चर्चा और संवाद की परंपरा को खत्म किया जा रहा है, ताकि विपक्ष अपनी बात न रख सके।