भरतपुर@ गुर्जर तीसरे दिन मंगलवार को भी भरतपुर जिले के पीलूपुरा में रेलवे ट्रैक पर जमे हैं। जहां सुबह की शुरुआत एक बार फिर चाय बिस्किट के साथ हुई। इस बीच समाज की महिलाओं ने भी मोर्चा संभाला। आंदोलनकारियों के लिए आसपास के गांवों से खाना और बिस्तर आदि का इंतजाम हो रहा है। रात्रि को सर्दी से बचने के लिए गुर्जर ट्रैक पर ही अलाव जला रहे हैं। आसपास के गांवों से रजाई-कंबल आदि मंगाए गए हैं। आंदोलनकारियों के लिए ग्रामीणों की ओर से भोजन-नाश्ते की व्यवस्था की जा रही है। इस बीच लोगों में चर्चा रही कि आंदोलन को 14 साल पूरे हो गए हैं। आरक्षण समेत अपनी अन्य मांगों को लेकर लगभग हर साल वे आंदोलन करते हैं। कई बार पटरियों पर बैठ चुके हैं। रेल यातायात बाधित होने से सैंकड़ों लोग परेशान होते हैं। सरकार के साथ वार्ताओं के दौर चलने के बाद समझौते किए जाते हैं।
दरअसल, गुर्जरों ने वर्ष 2006 में अनुसूचित जनजाति (एसटी) में आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन शुरू किया था। तब कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के नेतृत्व में पहली बार हिंडौन में ट्रेनें रोकी गई थीं। इसके बाद वर्ष 2007 में पाटोली और वर्ष 2008 में पीलूपुरा में उग्र आंदोलन हुए। इस दौरान 72 युवाओ को शहादत भी हुई। इसके बाद से विभिन्न मांगों को लेकर गुर्जर आंदोलन करते आ रहे हैं। मीणा समुदाय के सख्त विरोध के बाद हालांकि गुर्जर अब एसटी में आरक्षण की मांग छोड़ चुके है। लेकिन, सरकार ने पहले उन्हें अब अति पिछड़ा वर्ग की नई कैटेगरी बनाकर 5 प्रतिशत का आरक्षण दिया है। इसमें भी तय कोटे के मुताबिक युवाओं को नौकरियां नहीं मिल पा रही हैं। कुछ भर्तियां कोर्ट में अटकी हुई हैं। इसलिए बैकलॉग बढ़ता जा रहा है। अब बैकलॉग की भर्तियां पूरी करने समेत अन्य मांगों को लेकर वे आंदोलन कर रहे हैं। वहीं, रेलवे ने दूसरे दिन 16 ट्रेनों के रूट बदल दिए। मंगलवार को जनशताब्दी रद्द रहेगी। राजस्थान रोडवेज ने 50 से अधिक बसों का संचालन रोका। वहीं, शहर में पुलिस ने सेवर चौराहा से उच्चैन, बयाना, करौली मेगा हाईवे पर जाने वाले भारी यातायात को बैरीकेड्स लगाकर रोक दिया।
नेतृत्व को लेकर बैंसला को चुनौती
गुर्जर समाज में लगभग सर्वमान्य नेता बन चुके कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला को अब नेतृत्व को लेकर भी चुनौती मिल रही है। दरअसल, कर्नल बैंसला आंदोलन का नेतृत्व अब अपने बेटे विजय बैंसला को सौंपना चाहते हैं। क्योंकि इन 14 साल में उनके कई विश्वासपात्र साथ छोड़ गए या पाला बदल लिया। हालांकि शारीरिक कमजोरी भी नेतृत्व बदलने का एक कारण हो सकता है। हाल ही नहरा क्षेत्र के 80 पंच-पटेलों ने मीटिंग करके हिम्मत सिंह के नेतृत्व में प्रतिनिधि मंडल बनाकर सरकार से जयपुर में वार्ता करके समझौता कर लिया था।