इन ‘18+’ मौतों का जिम्मेदार कौन..सिर्फ शोक संवेदनाएं; हकीकत मौन!

हादसे जारी है लेकिन सवाल अब भी बरकरार..
 


19 घंटे 51 मिनट लग गए हादसा स्वीकार करने में, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ के पीछे बड़ी चूक और लापरवाही, अब रेलवे के दो वरिष्ठ अफसरों की कमिटी को सौंपी जांच


इस अव्यवस्था के लिए तय होनी चाहिए जिम्मेदारी, आखिर क्यों हजारों की भीड़ को संभालने के लिए प्लेटफार्म नंबर-14 पर तैनात थे सिर्फ दो ही जवान


नई दिल्ली। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 15 फरवरी की रात करीब 9.55 बजे महाकुंभ जाने वाली ट्रेन पकडऩे के लिए यात्रियों के बीच भगदड़ मच गई। हादसे में 18 यात्रियों की मौत हो गई, कई घायल हो गए। हादसे की डिटेल जांच के लिए रेल मंत्रालय ने रेलवे के दो वरिष्ठ अधिकारियों की कमिटी का गठन किया है। जो इस पूरे हादसे की डिटेल जांच कर यह बताएगी कि आखिर इसमें कहां-कहां और किस-किस स्तर पर गलती, चूक या लापरवाही रही। लेकिन हादसे की शुरुआत में रेलवे मंत्रालय की तरफ से भगदड़ मचने और इसमें हुई मौतों से लगातार इनकार किया जाता रहा।
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो को भी अफवाह बताया गया। लेकिन जब दिल्ली के उपराज्यपाल, रक्षा मंत्री और फिर प्रधानमंत्री ने एक्स पर ट्वीट कर उसमें भगदड़ का जिक्र किया तो पहली बार रेलवे की तरफ से 15-16 फरवरी की रात 1.09 बजे रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक्स पर की गई हादसे की पोस्ट में भगदड़ का जिक्र किया। हादसा होने के 19.51 घंटे बाद अगले दिन शाम 5.46 बजे रेलवे बोर्ड की तरफ से अधिकारिक तौर पर हादसे में 18 मौत और घायलों की जानकारी शेयर की गई। इसमें बताया गया कि 18 मृतकों के परिजनों को एक्स ग्रेसिया के रूप में 180 लाख रुपए दिए गए और घायलों को भी भुगतान किया गया। इससे पहले हादसे के बाद सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो और रेलवे बोर्ड से मांगी जा रही जानकारी में अधिकारियों ने इसमें भगदड़ मचने से लगातार इनकार किया। इसे अफवाह बताते हुए अधिकारियों ने कहा कि स्थिति अंडर कंट्रोल है। रेलवे बोर्ड के एक आला अधिकारी ने रात 11.13 बजे भी सिचवेशन अंडर कंट्रोल बताते हुए घायलों को अस्पताल पहुंचाने की बात कही। लेकिन भगदड़ मचने और मौतों का कोई जिक्र नहीं किया। ना ही कोई हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया। रेलवे मंत्रालय की तरफ से महाकुंभ के लिए चलाई जा रही स्पेशल और रूटीन ट्रेनों की रेल भवन में बने वॉर रूम से रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव लगातार निगरानी कर रहे हैं। ऐसे में सूत्रों का सवाल है कि फिर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 15 फरवरी की शाम 7-8 बजे के बाद से यात्रियों की इतनी जबरदस्त बढ़ती भीड़ पर किसी का ध्यान क्यों नहीं गया। बताया गया है कि हर एक घंटे में 1500 सामान्य टिकट बिके।


स्टेशन पर इतनी अधिक भीड़ का पता क्यों नहीं लगा, कर क्या रहे थे जिम्मेदार?
प्लेटफार्म नंबर-14 पर प्रयागराज जाने वाली ट्रेन के आने में देरी थी। इसी बीच प्लेटफार्म नंबर-12 से एक स्पेशल ट्रेन की घोषणा होने लगी। प्लेटफार्म नंबर-14 वाले यात्री 12 की तरफ भागने लगे। बीच रास्ते में सीढिय़ों और एफओबी पर जबरदस्त भीड़ जमा हो गई। प्लेटफार्म नंबर-13 और 16 के बीच भी यात्रियों में कन्फ्यूजन हुआ। लेकिन ना तो वॉर रूम से और ना ही स्टेशन पर तैनात किसी अधिकारी ने भीड़ को कंट्रोल करने की कोशिश की। सूत्रों का कहना है कि असल में महाकुंभ की वजह से प्रयागराज और वहां के अन्य सभी स्टेशनों पर आरपीएफ के काफी जवानों को अन्य स्टेशनों से वहां पर तैनात किया गया है। बताया जाता है कि नई दिल्ली स्टेशन पर जब यह हादसा हुआ। उस वक्त प्लेटफार्म नंबर-14 पर एक या दो ही जवान थे। ऐसे में भीड़ को मैनेज करने वाला वहां कोई था ही नहीं। बेकाबू भीड़ घोषणा सुनकर ट्रेन पकडऩे की आपाधापी में इधर से उधर भागने लगी। जब लोग मर गए। तब रेलवे की नींद टूटी और फिर आरपीएफ के डीजी और जीआरपी के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे। लेकिन उस वक्त तक कांड हो चुका था। सूत्रों का कहना है कि यह किसकी जिम्मेदारी थी।

हादसे की जांच शुरू, सीसीटीवी फुटेज रखी जाएं सुरक्षित
हादसे की जांच के लिए नॉर्दर्न रेलवे के दो आला अधिकारी नरसिंह देव और पंकज गंगवार की उच्च स्तरीय जांच कमिटी बनाई गई है। जो इस पूरे हादसे की डिटेल जांच करके इसकी रिपोर्ट सौंपेगी। कमिटी ने रेलवे से कहा है कि वह इस हादसे से संबंधित तमाम फुटेज सुरक्षित रखे। ताकि वह इसकी जांच कर सकें। जांच रिपोर्ट जल्द से जल्द पूरी कर सौंपने के आदेश दिए गए हैं। इसके लिए कमिटी ने अपना काम भी शुरू कर दिया है। मामले में रेलवे मंत्रालय और रेलवे बोर्ड के तमाम आला अधिकारी भी अपने-अपने स्तर पर हादसे से जुड़े तमाम पहलुओं की पड़ताल करने में जुटे हैं।


प्रयागराज स्टेशन से कुछ नहीं सीखा, क्राउड मैनेजमेंट हुआ फेल
महाकुंभ में डुबकी लगाने के लिए देशभर से प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर लाखों यात्री आ-जा रहे हैं। लेकिन वहां रेलवे जी-जान से क्राउड कंट्रोल करने में जुटा है। जो की रेलवे ने नई दिल्ली स्टेशन पर नहीं किया। जबकि हर दिवाली और छठ पूजा पर रेलवे की तरफ से नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली और आनंद विहार जैसे बड़े रेलवे स्टेशनों पर होल्डिंग एरिया अलग से बनाने समेत भीड़ को कंट्रोल करने के लिए विशेष इंतजाम करता है। जो की महाकुंभ के लिए नहीं किए गए। सवाल यह भी कि करीब दो घंटे में ही इतने अधिक लोग स्टेशन में कैसे पहुंच गए। रेलवे को इस ओर गंभीरता से ध्यान देना होगा ताकि इस तरह का हादसा कोई और ना होने पाए।

हादसे पर राजनीति भी शुरू, विपक्ष ने मांगा रेल मंत्री का इस्तीफा
नई दिल्ली स्टेशन पर मची भगदड़ पर राजनीति भी शुरू हो गई है और रेल मंत्री के इस्तीफे की मांग उठ गई है। राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने कहा कि घटना दुखद है। रेलवे के कुप्रबंध के कारण इतने लोगों की जान गई है। रेल मंत्री को हादसे की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देना चाहिए। रविवार को रेल मंत्री ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और उन्हें हादसे के बारे में विस्तृत जानकारी दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी समेत कई अन्य नेताओं ने हादसे पर दुख जताया है। राहुल गांधी ने भी हादसे के पीछे रेलवे की नाकामी को वजह बताया। उन्होंने कहा कि लोगों की भीड़ को देखते हुए सरकार और प्रशासन को बेहतर इंतजाम करने चाहिए थे।


एक जैसे दो नामों वाली ट्रेनों के चलते पैदा हुआ भ्रम, 

स्टेशन पर मची भगदड़ के अगले दिन रविवार को दिल्ली पुलिस की ओर से जारी बयान में कहा कि प्रयागराज जाने वाली दो एक जैसे नामों वाली ट्रेनों के चलते यात्रियों के बीच भ्रम की स्थिति पैदा हुई। इसके बाद स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार कर रहे यात्रियों में अफरा-तफरी की स्थिति पैदा हुई और भगदड़ मच गई। अधिकारियों के मुताबिक, प्लेटफार्म 16 पर प्रयागराज स्पेशल के आने की घोषणा से प्लेटफार्म 14 पर प्रयागराज एक्सप्रेस का इंतजार कर रहे यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई। असमंजस में फंसे यात्री, जो प्लेटफार्म 14 पर अपनी ट्रेन में सवार नहीं हो सके, उन्होंने यह मान लिया कि उनकी ट्रेन प्लेटफार्म 16 पर आ रही है। इसके चलते अचानक भीड़ बढ़ी और भगदड़ मच गई।