ऐसे सरकारी कारिदें कर रहे है पूरी सरकार को बदनाम.. जेडीए जोन-12 का तहसीलदार..हर मिलीभगत में है पूरा हिस्सेदार!

जयपुर तहसील के ग्राम सिंवार में गैरमुमकिन रास्ते पर कार्रवाई में जानबूझकर फंसाया अड़ंगा, आदेश में स्पष्ट है कि संबंधित खसरे पर नहीं है कोई स्थगन; फिर भी नहीं किया डिमार्केशन

सवाल पूछने पर चुप्पी साध लेते है तहसीलदार नरेंद्र चौहान, लेकिन अंदरखाने कर रहे है पूरा खेला, जेडीए का प्रवर्तन दस्ता भी आधी-अधूरी कार्रवाई को हुआ मजबूर

जयपुर। वाह जी तहसीलदार साहब वाह..! अगर किसी को मनमानी और आदेशों की धज्जियां उड़ाने का खेल देखना हो तो जेडीए के जोन-12 में उनका स्वागत है। यहां के तहसीलदार अपने आप को सरकार से भी बड़ा समझ बैठे है और मनमर्जी से सभी आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे है। इन तहसीलदार साहब का नाम है नरेंद्र चौहान और इनकी मिलीभगत ने सभी को हैरान कर रखा है। इसका ताजा उदाहरण जयपुर तहसील के ग्राम सिंवार में देखने को मिला जहां गैरमुमकिन रास्ते को खुलवाने की कार्रवाई में खुद तहसीलदार ने जमकर अड़ंगा लगाने का प्रयास किया। दरअसल, ग्राम सिंवार में खसरा नं. 255 में गैर मुमकिन रास्ते पर किसी प्रकार का स्थगन नहीं है लेकिन फिर भी जानबूझकर तहसीलदार द्वारा मिलीभगत कर इसका डिमार्केशन नहीं किया गया। इसका नतीजा यह हुआ कि जब जेडीए का प्रवर्तन दस्ता यहां रास्ता खुलवाने के लिए उसे आधी-अधूरी कार्रवाई के लिए मजबूर होना पड़ा। यहां यह गौर करने वाली बात यह है कि इस खसरे को लेकर दो पक्षों में पहले भी कई बार विवाद हो चुका है लेकिन मौका निरीक्षण के बाद पाया गया कि इस खसरा नं. 255 गैर मुमकिन रास्ते पर किसी प्रकार का कोई स्थगन नहीं है। ऐसे में इस रास्ते से अतिक्रमण हटाया जाना उचित है। लेकिन, तहसीलदार ने जानबूझकर इस मामले में पेंच फंसाने की कोशिश की है। 

पूरे प्रकरण में स्पष्ट नजर आ रही है तहसीलदार की मिलीभगत, होनी चाहिए जांच और कार्रवाई

सिंवार के इस प्रकरण में स्पष्ट है कि तहसीलदार ने किस प्रकार से मिलीभगत कर इस मामले को उलझाने का प्रयास किया है। ऐसा तभी संभव है जब तहसीलदार नरेंद्र चौहान की जेब गर्म हुई हो और वे जानबूझकर इस गैरमुमकिन रास्ते को नहीं खुलने दे रहे है। हैरत की बात तो यह है कि इस खबर में जिस मौका निरीक्षण की बात की गई है उस पर खुद तहसीलदार के हस्ताक्षर है लेकिन फिर भी तहसीलदार लीगातार डिमार्केशन से बच रहे है। ऐसे में ना तो यह रास्ता खुल पा रहा है और ना ही जेडीए का प्रवर्तन दस्ता अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर पा रहा है। तहसीलदार से भी जब इस बाबत सवाल पूछा गया तो उन्होंने पूरी तरह चुप्पी साध ली। हालांकि पटवारी हरकेश शर्मा ने स्थगन नहीं होने और रास्ते को खोलने की कार्रवाई को उचित बताया है। 


यहां जानिए असलीयत, आखिर क्या है मौका निरीक्षण रिपोर्ट में?
दरअसल, ग्राम सिंवार में खसरा नं. 255 के संबंध में गैरमुमकिन रास्ते को खुलवाने एवं अतिक्रमण हटाने की शिकायत पर जोन-12 के तहसीलदार, सिंवार पटवारी एवं बस्सी सीतारामपुरा के भू निरीक्षक की उपस्थिति में मौका निरीक्षण किया गया था। इसकी रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा गया कि मौके पर लगायत खसरा नं. 230, 262 और 261 पर गेहंू की फसल है। इसके अलावा लिखा गया कि वर्तमान राजस्व रिकॉर्ड के मुताबिक खसरा नं. 255 पर किसी प्राकार को कोई स्थगन नहीं है। ऐसे में रास्ते से अतिक्रमण हटाया जाना उचित है। लेकिन इसके बावजूद तहसीलदार की अकर्मण्यता पूरी कार्रवाई के आड़े आ रही है।