जीणमाता।(विनोद धायल)शक्तिपीठ जीणधाम में चंग थाप व सिर पर सिगड़ी के साथ लोक गीत व भदावों की मधुर राग के बीच बतीसी संघ के सैकड़ों भक्तों ने माता केे दरबार में रात करीब 12 बजे मुख्य धोक लगाई मेले में पिछले छह दिनों में करीब 5 लाख से अधिक लोगों ने अब तक माता के दर्शन किए हैं। माता के दर पर चूनड़ी, प्रसाद व भेंट अर्पित कर भक्तों ने परम्परागत बाना प्राप्त किया। बत्तीसी संघ में राणासर के भक्तों ने मुख्य धोक सबसे पहले माता के दर पर लगाई। बाद में अन्य जत्थों की धोक का सिलसिला चला। जीणमाता के लक्खी मेले की रंगत जमने लगी है। रविवार को जातरूओं की भीड़ देर शाम तक बढ़ती जा रही थी इस दौरान प्रवासी भक्तों ने भी बड़ी संख्या में माता के दरबार में मनौतियां मांगी। बत्तीसी संघ के ठाकुर कल्याणसिंह तंवर ने बताया कि यह परम्परा पौराणिक काल से चली आ रही है। जिसका निर्वाह परिवार द्वारा अब वे स्वयं कर रहे हैं। इस अवसर पर मशाल जलाये जाते हैं। संघ में जाने वाले लोग अपनी मनोकामना पूर्ण होने के लिए पैदल ऊँटगाडिय़ों में व सिर पर जलती हुई सिगड़ी लेकर धामतक पहुंचते है हाथ में त्रिशूल, माथे पर सिगड़ी और गले में लोहे की सांकळ लेकर बत्तीसी संघ के लोग माता के भजनों पर नाचते गाते मंदिर की ओर बढ़ रहे थे। संघ के कुछ लोग चंग व ढप के साथ गीतों पर नृत्य कर रहे थे।
ऐसी होती है चुनड़ी की रस्म
संघ के मुख्य प्रतिनिधि कल्याण सिंह ने बताया कि चैत्र नवरात्र की छट को संघ के अलग- अलग 21 प्रतिनिधि जामा चोरासी पहन कर ढफ ताल के साथ बजाते बत्तीसी के हरियाणा व राजस्थान दोनों राज्यों के प्रतिनिधि तलवार लेकर रात 12 बजे जीणमाता मंदिर मे पहुंचते हैं। ।जीणमाता मंदिर पुजारीयों की उपस्थिति में यह रस्म अदा होती है सप्तमी को सुबह बत्तीसी के संघ को पुजारियों द्वारा बाना दिया जाता है।
जीणधाम की ओर बढ़ रहे हैं जत्थे
मेलो तो माड्यों म्हारी जीण मावड़ी को कोई आयो है संदेशों म्हारा पास, मैया क मेला चालस्या। लोकगीत की गूंज के साथ जीणधाम की ओर बढ़ते पदयात्रियों के छोटे-छोटे जत्थे चैत्र नवरात्री मेले की विशेष परम्पराओं के गवाह बन रहे हैं। सैकड़ों किलोमीटर दूर से पैदल चल कर आ रहे भक्तों के चेहरे जीणधाम की सीमा में आते ही चमकने लगते हैं सोमवार को बतीसी संघ के जत्थे भी जीणधाम पहुंचा इस बीच जीणधाम की सभी धर्मशालाएं श्रद्धालुओं से भरी हैं। ग्राम पंचायत के सरपंच सुभाष शेषमा ने बताया कि मेले में आने वाले भक्तों की विशेष भीड़ के लिए पेयजल व रोशनी व बेरिकेट्स के अतिरिक्त इंतजाम किये गये ।
श्रद्धालुओं को मोबाइल की सेवा नहीं मिल रही है नेटवर्क गायब होने से मोबाइल सिर्फ शोपीस बन कर रह जाता है। सभी मोबाइल कंपनियों के नेटवर्क पूरी तरह ध्वस्त हो चुके हैं अपनों से बिछड़ने के बाद ढूंढना भी मुश्किल हो जाता है, जीण माता में श्रद्धालुओं को अपने परिचितों व घरवालों से बात करने में काफी समस्याओं से गुजरना पड़ रहा है मंदिर पुजारी परिवार व श्रद्धालुओं का कहना है कि सरकार के संचार क्रान्ति की हवा निकल चुकी है। हजारों ,लाखो श्रद्धालुओं की आस्था स्थली जीण धाम के दर्शनार्थियों को मोबाइल सेवा का लाभ नहीं मिल रहा है।