जयपुर। लोकसभा सीट जयपुर ग्रामीण..प्रदेश की चुनिंदा सीटों में से एक हॉट सीट बनी हुई है और सभी की निगाहें इस सीट पर टिकी हुई है। इस सीट पर कांग्रेस ने अनिल चोपड़ा के रूप में एक ऐसे युवा चेहरे को मैदान में उतारा है जिसने जयपुर ग्रामीण सीट के सभी समीकरण साध लिए है और अब चुनावी नतीजा उनके पक्ष में जाता नजर आ रहा है। दरअसल, कांग्रेस ने टिकट वितरण के समय ही जयपुर ग्रामीण की सीट पर अपनी पकड़ मजबूत कर दी थी। अनिल चोपड़ा को टिकट देकर ही कांग्रेस आलाकमान ने बड़ा दांव खेल दिया और काफी सोच-विचार के बाद चोपड़ा पर भरोसा जताया। चोपड़ा भी इस भरासे पर पूरी तरह खरे उतर रहे है और ना सिर्फ जमकर जनसंपर्क और प्रचार में जुटे है बल्कि जातीय समीकरणों को अपने पक्ष में करने में कामयाब होते नजर आ रहे है। चोपड़ा का मुकाबला भाजपा के राव राजेंद्र सिंह से हो रहा है लेकिन राव राजेंद्र सिंह इस बार क्षेत्र में उतने एक्टिव नजर नहीं आ रहे है जबकि कांग्रेस के अनिल चोपड़ा युवा होने के साथ ही पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता के रूप में दिन-रात एक किए हुए है। जयपुर ग्रामीण का अधिकांश क्षेत्र अनिल चोपड़ा अब तक कवर चुके है और जल्दी ही वे शेष क्षेत्रों में भी जनसंपर्क के लिए पहुंचने वाले है। अपनी सक्रियता, युवा जोश और लोकप्रिय छवि के चलते वे जयपुर ग्रामीण के मतदाताओं में पैठ बना चुके है और यहां से उनकी जीत लगभग तय नजर आ रही है। जयपुर ग्रामीण के जातीय समीकरणों पर नजर डाले तो इस सीट पर यादव, गुर्जर, जाट और एससी-एसटी का बड़ा वोट बैंक है। जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए ही कांग्रेस ने यहां से जाट को प्रत्याशी बनाया है। इस सीट पर बन रहे जातीय समीकरणों में भाजपा फिलहाल कमजोर नजर आ रही है। इसका भान भाजपा के नेताओं को अंदरखाने हो भी रहा है और शायद इसलिए खुद पीएम मोदी को राजस्थान में अपने प्रचार अभियान की शुरूआत भी जयपुर ग्रामीण सीट से ही करनी पड़ी।
आज सचिन पायलट की जनसभा लगा देगी चोपड़ा की जीत पर मुहर
जयपुर ग्रामीण लोसकभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी अनिल चोपड़ा के पक्ष में आज पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट जालसू में विशाल जनसभा को संबोधित करने जा रहे है। पायलट की इस सभा के बाद अनिल चोपड़ा की जीत लगभग तय हो जाएगी। दरअसल, सचिन पायलट और अनिल चोपड़ा दोनों का ही युवाओं में विशेष के्रज नजर आ रहा है। इसके साथ ही चोपड़ा को अपने जनसंपर्क और प्रचार के दौरान मातृशक्ति, बुजुर्ग और हर वर्ग से भरपूर प्यार और आशीर्वाद भी मिल रहा है। ऐसे में सचिन पायलट की जनसभा काफी अहम मानी जा रही है। एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव रहे चोपड़ा की गिनती प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के समर्थकों में होती है। पायलट उनके नामांकन सभा में भी शामिल हुए थे।
पिछले दस सालों में भाजपा ने जयपुर ग्रामीण को रखा विकास महरूम: चोपड़ा
अपनी दावेदारी और भाजपा ने मुकाबले पर कांग्रेस प्रत्याशी अनिल चोपड़ा ने कहा कि यह युवाओं का देश है और युवाओं के लिए ही काम करूंगा। केंद्र की अग्निवीर जैसी योजनाओं का मैं पुरजोर विरोध करूंगा। चोपड़ा ने कहा कि आज पार्टी ने मुझ पर भरोसा जताया है। पिछले 10 साल से जयपुर ग्रामीण में कोई काम नहीं हुआ है। मैं किसानों और जनता के लिए काम करूंगा। अनिल चौपड़ा ने कहा कि यहां स्थानीय मुद्दों पर भाजपा का कोई नेता बात नहीं करता है। पिछले 10 सालों में भाजपा के सांसद ने क्या काम किया कोई बता नहीं सकता है। लोकसभा क्षेत्र के आमजन मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे है। अनिल चौपड़ा ने दावा करते हुए कहा कि इस बार जयपुर ग्रामीण में इतिहास बनेगा और बदलेगा। 10 साल बाद कांग्रेस प्रचंड बहुमत से जितेगी।
चोपड़ा को युवा और समिर्पत कार्यकर्ता होने का मिल रहा फायदा, उठाएंगे युवाओं की आवाज
युवाओं के बारे में बोलते हुए अनिल चोपड़ा ने कहा कि यह युवाओं का देश है और युवाओं के लिए ही काम करूंगा। केंद्र की अग्निवीर जैसी योजनाओं का मैं पुरजोर विरोध करूंगा। उन्होंने कहा कि अगर मैं जीत कर संसद भवन में जाता हूं तो। उन्होंने कहा कि लगातार पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का सानिध्य और आशिर्वाद के साथ मार्गदर्शन मुझे मिला है, जिसका बहुत फायदा मिलेगा। मैं जयपुर ग्रामीण का ही रहने वाला हूं। यहां की पूरी परिस्थितियों को जानता हूं और मुझे पूर्ण विश्वास है कि आगामी 19 तारीख को जयपुर ग्रामीण का युवा, किसान बढ़-चढ़ कर वोट देगा और एक नई सुबह का आगाज होगा
सचिन पायलट का क्षेत्र से है पुराना रिश्ता..कारण है कुलरिया परिवार से पुराना नाता
पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का जयपुर ग्रामीण क्षेत्र से रिश्ता काफी पुराना है। दरअसल, इस रिश्ते की शुरूआत सचिन के पिता राजेश पायलट और कुलरिया परिवार की घनिष्ठता के साथ हुई थी। राजेश पायलट और पूर्व उपजिला प्रमुख नारायण कुलरिया के संबंध पारिवारिक रहे थे और लगभग हर अवसर पर दोनों का साथ ही देखा जाता था। राजेश पायलट के बाद सचिन पायलट ने भी इस रिश्ते को संभले रखा और कुलरिया परिवार से निकटता उनकी निकटता सभी को विदित है। नारायण कुलरिया के बाद उनके पुत्र एडवोकेट तेजपरल कुलरिया से भी सचिन पायलट की निकटता जगजाहिर है और एक-दूसरे के सुख-दुख में वे हमेशा भागीदारी निभाते आ रहे है। यही कारण है कि सचिन पायलट दिल से जयपुर ग्रामीण सीट से जुड़ाव रखते है। कुलरिया परिवार भी क्षेत्र में कांग्रेस में परचम बुलंद करने में कभी पीछे नहीं हटा और इस बार भी अनिल चोपड़ा के चुनावी अभियान की कमान एड. तेजपाल कुलरिया ही संभाले हुए है। ऐसे में सचिन पायलट की आज होने वाली सभा और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।
एक नजर जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट के वोटिंग समीकरण पर-
जयपुर ग्रामीण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र परिसीमन के बाद 2008 में अस्तित्व में आया था। इस लोकसभा क्षेत्र के 84.4 फीसदी वोटर गांवों में रहते हैं। बाकी के 15.6 फीसदी वोटर शहरी हैं। ऐसे में चोपड़ा का यहां से दावा और मजबूत हो जाता है। इस सीट पर यादव और जाट समुदाय का वर्चस्व है। यादव या अहीर समुदाय की कोटपूतली, शाहपुरा, बानसूर, झोटवाड़ा, विराटनगर, आमेर में सबसे अधिक आबादी है और 3 लाख से अधिक आबादी के साथ फुलेरा और जमवा रामगढ़ में महत्वपूर्ण है। लोकसभा चुनाव के तहत जयपुर ग्रामीण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में 19 अप्रैल को 21 लाख 84 हजार 978 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। जिनमें 11 लाख 45 हजार 437 पुरुष एवं 10 लाख 39 हजार 533 महिला मतदाताओं के साथ-साथ 8 थर्ड जेंडर मतदाता भी शामिल हैं। जयपुर ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र में जयपुर जिले की सात विधानसभा सीट कोटपुतली, विराटनगर, शाहपुरा, फुलेरा, झोटवाड़ा, आमेर व जामवारामगढ़ और अलवर जिले की बानसूर विधानसभा सीट शामिल हैं।
अब तक मूलभूत सुविधाओं के लिए ही संघर्ष करती आ रही हैं जयपुर ग्रामीण की जनता
जयपुर ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र के विकास की डोर राजधानी के साथ बंधी है। यहां पर चुनाव में स्थानीय मुद्दे तो मायने रखते ही हैं, राजधानी जयपुर में बने चुनावी माहौल का काफी असर पड़ता है। यदि विकास की दृष्टि से देखा जाए तो इस लोकसभा क्षेत्र के ज्यादातर विधानसभा क्षेत्रों में लोग सडक़, पानी, बिजली और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए संघर्ष ही करते नजर आते हैं। इन सुविधाओं के लिए यहां के लोगों को जयपुर पर निर्भर रहना पड़ता है। खासतौर पर स्वास्थ्य के मामले में तो यह पूरा लोकसभा क्षेत्र जयपुर के एसएमएस अस्पताल पर आश्रित है। शायद यहीं कारण है कि बीते दस सालों के कार्यकाल से जनता खुश नहीं है और अब बदलाव की ओर देख रही है। हालांकि राजनीति के मामले में यहां की सभी विधानसभा क्षेत्रों में जयपुर की अपेक्षा कुछ ज्यादा ही माहौल बनता है।