नई दिल्ली@ बुधवार को जारी हुई एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (ASER) 2020 में सामने कि देश के 60 फीसदी से ज्यादा स्कूली बच्चों की स्मार्टफोन तक पहुंच है। यह रिपोर्ट स्कूल बंदी के छठे महीने यानी को इस साल सितंबर में तैयार की गई। इसमें भारत में स्टूडेंट्स की डिस्टेंस एजुकेशन मैकेनिज्म, मटेरियल और एक्टिविटीज के साथ ही घरों में रिमोट लर्निंग अल्टरनेटिव जैसे फैक्टर पर फोकस किया गया। देश में फैले कोरोना वायरस के चलते सभी स्कूल मार्च से ही बंद हैं।
तीन-चौथाई बच्चों की पढ़ाई में मदद कर रही फैमिली
रिपोर्ट में यह भी पता चला कि कोरोना महामारी के कारण बंद स्कूलों की वजह से तीन-चौथाई बच्चों को पढ़ाई में परिवार के सदस्यों से मदद मिली रही है। रिपोर्ट के मुताबिक रजिस्टर्ड स्कूल स्टूडेंट्स में से 60 फीसदी से ज्यादा बच्चे ऐसे परिवारों से आते हैं, जिनके पास कम से कम एक स्मार्टफोन उपलब्ध है। रजिस्टर्ड बच्चों के बीच यह अनुपात बीते दो साल में 36.5 फीसदी से बढ़कर 61.8 फीसदी हो गया है। यह आंकड़े सरकारी और प्राइवेट दोनों तरह के स्कूलों में रजिस्टर्ड स्टूडेंट्स पर आधारित है। जारी रिपोर्ट में उन राज्यों के बारे में भी बताया गया है, जहां स्मार्टफोन वाले परिवारों के बच्चों के अनुपात में 30 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि हुई है। इन राज्यों में महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और त्रिपुरा जैसे राज्य शामिल हैं।
26 राज्यों और चार केंद्रशासित प्रदेशों के स्टूडेंट्स शामिल
रिपोर्ट में 26 राज्यों और चार केंद्रशासित प्रदेशों के बच्चों को शामिल किया गया। इस दौरान 52,227 परिवारों और 5 से 16 साल के ऐज ग्रुप के 59,251 बच्चों पर यह अध्ययन किया गया। साथ ही सरकारी स्कूलों के प्राइमरी के 8,963 शिक्षकों और प्राचार्यों से संपर्क किया गया। इस रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि कम ग्रेड वाले बच्चों की तुलना में हाई ग्रेड के स्टूडेंट्स को ज्यादा फैमिली सपोर्ट मिलता है। इसी तरह, ज्यादा पढ़े-लिखें माता-पिता के बच्चों को कम शिक्षित माता-पिता की तुलना में ज्यादा परिवार का सपोर्ट मिलता है।