अर्धसैनिक बलों के लिए तीन दिवसीय वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित, कहा-प्रकृति के जैसे बने रहना ही असल कामयाबी का उसूल
जोधपुर। सीआईएसएफ के डिप्टी कमांडेंट गिरधर गोपाल भार्गव ने कहा कि पश्चिमी राजस्थान कभी सूखे क्षेत्र के रूप में मशहूर था लेकिन अब यहां मधुमक्खी पालन किया जा रहा है, यह एक सपने के सच होने जैसा है। उन्होंने कहा कि जवान जीवन में सख्त अनुशासन की पालना करते है, बिल्कुल उसी तरह के जीवन की पालना, प्रकृति की अनुपम उपहार मधुमक्खियां करती है। दोनों का काम प्राकृतिक अनुशासन को बनाए रखना है। डिप्टी कमांडेंट कृषि विश्वविद्यालय के किसान कौशल विकास केंद्र की ओर से सोमवार को आयोजित, तीन दिवसीय अर्धसैनिक बलों के लिए वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम के मौके पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रकृति के जैसे बने रहना ही असल कामयाबी का उसूल है। पहले प्रयास में सफलता भले ही पूरी ना मिले लेकिन कोशिश हमेशा शत प्रतिशत होनी चाहिए। इस से पूर्व स्वागत उद्बोधन देते हुए कृषि विज्ञान केंद्र, रायपुर के प्रमुख एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एमएस चांदावत ने कहा इस प्रशिक्षण में जम्मू से लेकर केरल तक देश भर के जवान शामिल है। देश सेवा के साथ जवानों का प्रकृति से यह जुड़ाव बेहद उत्साह जनक है। सेब का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अगर मधुमक्खियां ना हो तो कुछ फसलों का उत्पादन बिल्कुल रुक जाएगा। महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए डॉ चांदावत ने कहा कि मारवाड़ क्षेत्र में नीम और सहजन गुणों से भरपूर होने के साथ-साथ बहुतायत में पाए जाते है। ऐसे में इन क्षेत्रों में मधुमक्खी पालन करने से नीम और सहजन के गुणों से युक्त शहद का उत्पादन भी किया जा सकता है। यह सेहत के लिए बेहद हितकारी है। कार्यक्रम के दौरान जालौर से विशेषज्ञ, डॉ. प्रकाश यादव एवं डॉ रविंद्र सिंह जैतावत ने तीन दिवसीय प्रशिक्षण की रूपरेखा बताई। कार्यक्रम में संचालन नीलिमा मकवाना ने किया। जनसंपर्क अधिकारी डॉ. संगीता शर्मा ने आभार व्यक्त किया। इस दौरान प्रशिक्षण अधिकारी डॉ मनीष बेड़ा, प्रियंका एवं अनिल यादव भी मौजूद रहे।