ठकी के इस खेल में मास्टरमांइड-दलाल और खरीददार सब एक...

यहां पुराने टीवी की पिक्चर ट्यूब भी बिक रही लाखों में..नया शातिर ठग गिरोह सक्रिय; ‘बचना है तो जाग जाओ’!
 
प्रदेश में नए ठग गिरोह की दस्तक, अब तक कइयों को बना चुके है अपना शिकार, शेखावाटी क्षेत्र में ही कई मामले दर्ज; अब राजधानी में पैर फैलाने की तैयारी

बिना कोई सबूत छोड़े कर जाते है लाखों की हेराफेरी, पुलिस भी इन शातिरों के सामने साबित हो रही नाकाम, आसानी से पैसा कमाने के लालच में फंस रहे युवा


जयपुर। पुराना ब्लैक एंड व्हाइट टीवी, जो कबाड़ी के पास कुछ सौ रूपए में मिल सकता है, उसकी पिक्चर ट्यूब आपको 40-50 लाख रूपए की कमाई दे सकती है। सुनने में अजीब लग सकता है लेकिन ये एक ऐसा मायाजाल है, जो पिछले करीब दो महीने से राजस्थान में तेजी से फैल रहा है। पुराने टीवी की पिक्चर ट्यूब से लाखों की कमाई के झांसे में आकर लोग कंगाल हो रहे हैं। अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा ठगों पर लुटा रहे हैं। शेखावाटी से शुरू हुआ ठगी का ये तिलिस्म अब राजधानी में भी फैलने लगा है। करीब आधा दर्जन लोग ऐसे ठगों के जाल में फंसकर बर्बाद हो चुके हैं। और अब अपनी पीड़ा पुलिस तक पहुंचाने की जगह लुट-पिट कर घर के कमरों में कैद हैं।
दरअसल, ऐसे मामले सबसे पहले प्रदेश के शेखावाटी अंचल में सामने आए थे। सुर्खियों में पहला मामला झुंझुनूं जिले के नवलगढ़ में सामने आया था। जहां एक दंपति ने एक ग्रामीण को पुराने टीवी की पिक्चर ट्यूब से लाखों कमाने का झांसा दिया। लाखों के इस धंधे में मोटे निवेश के लिए तैयार भी कर लिया लेकिन पैसा देते समय लोगों को शक हुआ तो दंपति को पकड़ लिया। नवलगढ़ के बाद सीकर में ऐसा ही मामला सामने आया, जहां पीडि़त से ठगों ने 11 लाख रूपए ठग लिए। अब राजधानी जयपुर में भी ऐसे मामले सामने आए हैं। पीडि़त खुलकर बोलने और पुलिस तक जाने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में ठग भी मोटी कमाई कर आराम से अगले शिकार पर निकल रहे हैं। दरअसल, पुराने टीवी की पिक्चर ट्यूब लाखों में खरीदने और बेचने के इस फर्जी धंधे में पूरा गिरोह काम कर रहा है। इस धंधे में खरीददार, बेचने वाला, दलाल, फर्जी सरकारी अधिकारी सब एक ही गिरोह के सदस्य हैं। जो एक ऐसा मायाजाल आपके सामने बना देते हैं कि आपको लगता है कि आपने पिक्चर ट्यूब बेची तो भी लाखों कमाओगे और नहीं बेची तो भी लाखों कमाओगे। 


पुरानी पिक्चर ट्यूब और लाखों की धोखाधड़ी, ऐसे चल रहा है पूरा खेल
ठगी के इस खेल में पहले एक आदमी आपसे संपर्क करता है कि वो पुराने टीवी की पिक्चर ट्यूब लाखों में खरीदेगा। ऐसा ऑफर देखते ही आप पिक्चर ट्यूब ढूंढऩे लगते हैं। इसके बाद एंट्री होती है दूसरे ठग की। जो आपको फोन पर कहता है कि आपको तो पुरानी पिक्चर ट्यूब नहीं मिली लेकिन उसे मिल गई है। फलां जगह पर किसी दुकान में है, खरीदने के लिए 10 लाख खर्च करने होंगे। उसके पास 5 लाख रूपए ही हैं अगर बाकी 5 आप मिला दें तो वो आपको धंधे में पार्टनर बना लेगा। इसके बाद तीसरा ठग ऑफर देता है कि ट्यूब 10 लाख की खरीदकर 50 लाख में बेच देंगे। 40 लाख का फायदा है लेकिन पार्टनर बनने के लिए 11 लाख रूपए लगाने होंगे। इसके बाद ठगों के दूसरे साथी सामने आते हैं, जो दुकानदार बनकर आपको ट्यूब बेचने वाले हैं। आप 5 से 10 लाख रूपए जेब से लगाकर ठगों के पार्टनर बन गए। पिक्चर ट्यूब खरीदने के बाद ट्यूब बिकने तक बतौर अमानत आपको सौंपकर ठग पूरी ईमानदारी दिखाते हैं। इसके बाद पूरा गिरोह गायब हो जाता है और आप उस पिक्चर ट्यूब के साथ सिर पकडक़र रह जाते हैं।


नकली पुलिसकर्मी बनकर भी शिकायतकर्ता से पैसे हड़पने का मामला हो चुका है दर्ज 
ऐसी ही एक अन्य ठगी में पुलिस को दी रिपोर्ट में नथमल स्वामी (62) निवासी सीकर ने बताया- मंडोता बस स्टैंड पर उसकी चाय की दुकान है। चाय की दुकान पर उसके पास रामनिवास बाबरी नाम का शख्स और उसने दुकान से चाय पी। जिसके बाद उसने नथमल स्वामी से कहा उसे 25 से 30 साल पुराना टेलीविजन कहीं मिल सकता है। तब नथमल ने कहा कि मेरे पास पुराना टेलीविजन पड़ा है। शिकायतकर्ता ने आरोपी को टेलीविजन लाकर दे दिया। तब आरोपी ने टेलीविजन देखकर कहा- इसमें 15-20 लाख रुपए में बिकने वाला कीमती सामान नहीं है और वह चला गया। अगले दिन आरोपी दुकान पर फिर आया और दुकानदार से कहने लगा कि वह 25 से 30 साल पुराना टेलीविजन ढूंढ़ रहा है लेकिन उसे मिल नहीं रहा। आरोपी ने नथमल स्वामी से पैसे हड़पने का प्लान बना लिया था। आरोपी ने नथमल से कहा कि अगर भी पुराने टीवी कही से खरीद ले तो उसमें से कीमती वस्तु निकालकर उसे बेचकर लाखों रूपए कमा सकता है। तब नथमल टीवी खरीदने के लिए राजी हो गया। इसके बाद आरोपी, नथमल स्वामी को बाय गांव में स्टैंड पर ले गया। जहां पर दो व्यक्ति आए जो आरोपी के परिचित थे। आरोपियों ने प्लानिंग के अनुसार टेलीविजन दिखाएं और उनके बदले 4 लाख रुपए मांगे।

पीडि़त के पास ना रुपए बचते है और ना ही कोई सबूत
इस तरह से आरोपियों ने शिकायतकर्ता को पुराने टेलीविजन की ट्यूब खरीदने को कहा। नथमल ने आरोपियों को 4 लाख रुपए देकर उनसे ट्यूब खरीद ली और अपनी जेब में रख ली। कुछ समय वहां पर वर्दी पहने हुए नकली पुलिस वाले आए। जिसको देखकर आरोपी वहां से भाग गए और शिकायतकर्ता से कैश भी छीनकर ले गए। तब शिकायतकर्ता को ठगी का पता चला। जिसके बाद उसने धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया। फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। मामले की जांच हेड कांस्टेबल रामगोपाल कर रहे हैं।

जयपुर में ठग और पीडि़त के बीच की पूरी बातचीत के कुछ अंश..
ठगों का ये गिरोह पूरे इत्मिनान के साथ वारदातों को अंजाम दे रहा है। एक से डेढ़ महीने तक शिकार का ब्रेन वॉश किया जा रहा है। उसे पता ही नहीं चलता कि वो पूरे गिरोह के चंगुल में फंस गया है और जो भी इस धंधे के बारे में उससे संपर्क कर रहा है, वो खुद एक ठग है। जयपुर में सामने आए पीडि़त और ठगों के बीच का वार्तालाप..

कैलाश: पुराने टीवी की पिक्चर ट्यूब हो तो बताओ, 10 लाख में खरीदेंगे, 40-50 लाख में बिक जाएगी।
रवि (पीडि़त का बदला हुआ नाम): मेरी जानकारी में नहीं है, ढूंढऩी पड़ेगी।
कैलाश (करीब 15 दिन बाद): आपको तो नहीं मिली, हमने ढूंढ़ ली है। खाटू श्याम जी के पास किसी गांव में है लेकिन 10 लाख रूपए लगेंगे खरीदने के लिए। 5 लाख मेरे पास हैं, 5 आप मिला दो, मेरे पास पार्टी है जो 45 लाख में खरीद लेगी।

पीडि़त को पहले झांसे में फंयाया, फिर ठगी के बाद ठोकरें खाने को छोड़ा
इसके बाद रवि ने अपने किसी साथी के साथ मिलकर 5 लाख रूपए जमा किए और कैलाश को फोन किया। इस पर वो दोनों कैलाश के साथ रींगस गए। जहां एक दंपति आकर उन्हें पिक्चर ट्यूब का पैकेट दे गए और पैसे ले गए। अगले दिन कैलाश का फोन आया कि पार्टी ट्यूब खरीदने आ रही है, हाईवे पर मिलो। रवि और उसका साथी हाईवे पर पहुंचे। करीब डेढ़ घंटे के इंतजार के बाद एक अल्टो कार में चार लोग आए, जिन्होंने मास्क लगा रखा था। तब तक कैलाश भी आ गया। कैलाश ने रवि के साथ पिक्चर ट्यूब ले जाकर कार सवार लोगों को दिखाई। तभी एक बिना नंबर प्लेट की स्कॉर्पियो आई और उसमें से दो व्यक्ति उतरे और रवि और कैलाश के साथ धक्का-मुक्की करने लगे। इस दौरान उन्होंने बताया कि वो सीबीआई से हैं। इसी आपा-धापी में दोनों ने पिक्चर ट्यूब का पैकेट छीना और स्कॉर्पियो में बैठकर फरार हो गए। इतने में कैलाश भी ऑल्टो में बैठकर वहां से भाग निकला। इसके बाद से कैलाश का फोन बंद है। पूरे गिरोह से रवि और उसके परिजनों का कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है।

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