वसुंधरा को अपना ‘संकटमोचक’ बताकर गहलोत ने एक तीर से कर दिए हैं कई शिकार?
राजस्थान विधानसभा चुनाव की सियासी तपिश बढ़ने लगी है. बीजेपी और कांग्रेस के बीच शह-मात का खेल शुरू हो गया है. ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तीन साल पुराने मामले को उठाकर ऐसा सियासी दांव चला है, जिससे एक तरफ सचिन पायलट लहूलुहान हुए तो वसुंधरा राजे को भी राजनीतिक जख्म दिया है.राजस्थान विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे सियासी दांव भी तेज हो गए हैं. ऐसा ही एक दांव मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को तीन साल पुराने मामला उठाकर चला है. गहलोत ने धौलपुर में कहा कि 2020 में सचिन पायलट के विद्रोह के समय उनकी सरकार को वसुंधरा राजे, कैलाश मेघवाल और शोभारानी कुशवाहा ने बचाया था. सवाल उठता है कि क्या गहलोत सचिन पायलट को घेरने के चक्कर में वसुधरा राजे और बीजेपी नेताओं को संकटमोचक बताकर एक तीर से कई निशाने साथ रहे हैं?
धौलपुर की एक जनसभा में सीएम गहलोत ने कहा कि जिन विधायकों ने 2020 के राजनीतिक संकट के दौरान अमित शाह से पैसा लिया था. उनको वो पैसा लौटा देना चाहिए. गहलोत ने अमित शाह, धर्मेंद्र प्रधान और गजेंद्र सिंह शेखावत पर उनकी सरकार को गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया. साथ ही दावा किया कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, बीजेपी नेता कैलाश मेघवाल और शोभारानी कशवाहा ने संकट के दौरान सरकार को बचाने में उनकी मदद की थी
उन्होंने कहा कि तीन साल पहले कांग्रेस विधायकों को जो पैसे बांटे गए थे, अब उस पैसे को बीजेपी वापस नहीं ले रही है. मुझे चिंता है कि पैसे क्यों वापस नहीं ले रहे जबकि मैं कह रहा हूं कि जो पैसे विधायकों से खर्च हो गए है, उस पार्ट को मैं दे दूंगा, कांग्रेस पार्टी से दिला दूंगा. उनका पैसा मत राखो, पैसा अपने पास रखोगे तो हमेशा अमित शाह आप पर दबाव बनाएंगे, वो गृहमंत्री भी हैं. वो धमकाएंगे, डराएंगे, जैसे उन्होंने गुजरात और महाराष्ट्र में धमकाया है. शिवसेना के दो टुकड़े उन्होंने कर दिए.
अशोक गहलोत का यह बयान ऐसे समय आया जब राजस्थान की राजनीति में सचिन पायलट ने भ्रष्टचार के मुद्दे पर मोर्चा खोल रखा है. पायलट हर रैली में सीएम अशोक गहलोत पर बीजेपी सरकार में हुए भ्रष्टाचार को लेकर कार्रवाई न करने का आरोप लगाते हुए नाराजगी व्यक्त कर रहे थे. इसके अलावा बीजेपी साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक तानाबाना बुन रही है और वसुंधरा राजे फिर से बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनने की कवायद में जुटी है.
पायलट को कठघरे में खड़ा किया
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आरोपों में कितनी सच्चाई है यह तो फिलहाल कहना मुश्किल है, लेकिन जिस विश्वास के साथ गहलोत ने से आरोप लगाए हैं उससे सचिन पायलट की बाजी उल्टी पड़ सकती है. राजस्थान के सीएम की टिप्पणी पर सचिन पायलट द्वारा वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली पिछली बीजेपी सरकार के कार्यकाल के दौरान कथित भ्रष्टाचार के मामलों की जांच की मांग पर अड़े रहने के एक दिन बाद आई है. गहलोत ने बगावत करने वाले विधायकों से पैसा लौटाने की बात करके सचिन पायलट को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है, क्योंकि सभी विधायक उनके वफादार थे और उनके कहने पर ही एक महीने से ज्यादा समय तक हरियाणा और दिल्ली के मानेसर में डेरा डाले थे.
वसुंधरा का जिक्र कर गहलोत ने चला दांव
राजस्थान में गहलोत और वसुंधरा राजे के बीच भले ही एक दूसरे के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी हो, लेकिन उनके जानकार दावा करते रहे हैं कि इस राजनीतिक शत्रुता के बावजूद दोनों हमेशा एक-दूसरे के लिए मददगार भी बनते रहे हैं. सीएम गहलोत ने वसुंधरा राजे, कैलाश मेघवाल
और शोभारानी कुशवाहा को संकट मोचक बताकर बीजेपी के अंदर इन नेताओं के प्रति संदेह पैदा करने की कोशिश की है. उन्होंने वसुंधरा राजे का नाम ऐसे समय में लिया है जब वे 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनने की कवायद कर रही हैं,
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यही वजह है कि गहलोत के आरोपों पर वसुंधरा ने फौरन तीखी प्रतिक्रिया दी. वसुंधरा ने गहलोत के दावों को 'अपमान' और 'साजिश' बताया, वसुंधरा ने उन्हें चुनौती दी कि अशोक गहलोत इस मामले को लेकर एफआईआर दर्ज क्यों नहीं कराते हैं. अगर उनके पास सबूत है। कि कांग्रेस के कुछ विधायकों ने रिश्वत स्वीकार की थी तो उन्हें एफआईआर कराना चाहिए.
दरअसल, अशोक गहलोत इस बात को बाखूबी तरीके से जानते हैं कि राजस्थान की सियासत में वसुंधरा राजे ही बीजेपी की सबसे मजबूत चेहरा है और अगर बीजेपी उन्हें आगे कर चुनावी मैदान में उतरती है तो उनके लिए सियासी मुश्किलें खड़ी हो सकती है. ऐसे में गहलोत का बयान बीजेपी की अंदरुनी राजनीति पर असर डाल सकता है. इसका असर वसुंधरा की सीएम कैंडिडेट पद पर दावेदारी पर भी पड़ सकता