अब लीपापोती कर नहीं बच सकेंगे केडीए के जिम्मेदार..महाराजा सूरजमल की छतरी तोडऩे का भुगतेंगे परिणाम!

हाड़ा वंश के पूर्व शासक महाराजा सूरजमल जी की 600 वर्ष पुरानी छतरी को तोडऩे का प्रकरण, श्री क्षात्र पुरुषार्थ फाउंडेशन ने की कोटा विकास प्राधिकरण के अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग; मुख्यमंत्री के नाम सौंपे ज्ञापन


बूंदी/जयपुर। हाड़ा वंश के पूर्व शासक महाराजा सूरजमल जी की 600 वर्ष पुरानी छतरी को कोटा विकास प्राधिकरण के गैर जिम्मेदार अधिकारियों के आदेश पर प्राधिकरण के कार्मिकों द्वारा स्थानीय निवासियों को विश्वास में लिए बिना प्राचीन धरोहरों को विस्थापित करने के लिए निर्धारित प्रक्रिया का पालन न करते हुए अपमानजनक तरीके से जेसीबी चलाकर तहस-नहस कर दिया गया है जो हमारे प्रदेश की उन्नत ऐतिहासिक धरोहर के प्रति केडीए प्रशासन की आपराधिक मानसिकता का परिचायक है। कोटा विकास प्राधिकरण द्वारा कुछ निचले स्तर के कर्मचारियों को निलंबित करने एवं छतरी निर्माण के लिए अन्यत्र भूमि उपलब्ध करवाने की बात कर इस अपराध की गंभीरता पर लीपा पोती की जा रही है।
इसे लेकर संपूर्ण राजस्थान के राजपूत समाज सहित सभी समाजों में आक्रोश है। इतिहास से हमारा रागात्मक संबंध है, उसका तो संरक्षण होना चाहिए। इसके विपरित ऐसे ऐतिहासिक महत्व के स्थलों को तोड़ा जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। इस विषय के संबंध में श्री क्षत्रिय युवक संघ के आनुषंगिक संगठन श्री क्षात्र पुरुषार्थ फाउंडेशन के तत्वावधान में प्रदेश में तहसील, उपखंड और जिला मुख्यालयों पर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिए जा रहे है। इसी कड़ी में जयपुर में जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया गया जिसमे करीब 200 बंधु उपस्थिति रहे।

तहसील, उपखंड और जिला मुख्यालयों पर मुख्यमंत्री के नाम दिए गए ज्ञापन

श्री क्षत्रिय युवक संघ के आनुषंगिक संगठन श्री क्षात्र पुरुषार्थ फाउंडेशन द्वारा दिए गए ज्ञापन में मुख्य रूप से महाराजा सूरजमल की छतरी को सामान्य अतिक्रमण की भांति तोडऩे का अपराध करने वाले व ऐसा करने का आदेश देने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों को बर्खास्त कर उनके विरुद्ध आपराधिक मुकदमा दर्ज करवाए जाने, पूरे राजस्थान प्रदेश में ऐसे हजारों प्राचीन स्मारकों के संरक्षण के लिए स्पष्ट नीति निर्धारित कर उसे लागू किए जाने, महाराजा सूरजमल की उक्त छतरी को उसी स्थान पर पूर्ण सम्मान के साथ उसके उसी स्वरूप में पुन:स्थापित करवाए जाने, जिस हवाई अड्डे के निर्माण को लेकर यह गैरजिम्मेदाराना कार्यवाही की गई है, उसका नामकरण महाराजा सूरजमल जी के नाम से कर उनके प्रति आमजन की आस्था का सम्मान किए जाने की मांग रखी की गई है।