भूखंड की कीमत को कम दर्शाकर सरकार को लगाया जा रहा मोटा चूना, कालवाड़ के उप पंजीयक कार्यालय की कारस्तानी, स्वमूल्यांकन रिपोर्ट से हुआ फर्जीवाड़े का पर्दाफाश
बदरवास स्थित डॉ. राजेंद्र प्रसाद नगर-ए के भूखंड संख्या 55 का है ताजा मामला, हालांकि यह कोई इकलौता केस नहीं, उच्च स्तरीय जांच में हो सकते हैं बड़े खुलासे
जयपुर। जब बाड़ ही खेत को खाए तो उसे कौन बचाए... अफसरों की कारगुजारियों से राज्य सरकार को कुछ इसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा ही एक मामला राजधानी के पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग में सामने आया है। जहां एक भूखंड की कीमत को कम दर्शाकर राज्य सरकार को पंजीयन एवं मुद्रांक शुल्क के पेटे चार लाख रूपए से अधिक का चूना लगा दिया गया। ये कारस्तानी की गई कालवाड़ स्थित उप पंजीयक कार्यालय में। अहम बात यह है कि ये एक मामला तो उजागर हो गया लेकिन फर्जीवाड़े का ये खेल और भी बड़ा हो सकता है।
पूरे प्रकरण के अनुसार शोभा देवी पत्नी मान सिंह ने बदरवास स्थित डॉ. राजेंद्र प्रसाद नगर-ए के अपने भूखंड संख्या-55 का बेचान गत 4 अक्टूबर 2023 को ग्राम जयभवानीपुरा, निमेडा, तहसील कालवाड़, जिला जयपुर निवासी बिरदीचंद चौधरी पुत्र सुजाराम को किया था। भूखंड की रजिस्ट्री के अनुसार 200 वर्ग गज के इस भूखंड को बिरदीचंद ने शोभा देवी से 9.50 लाख (साढ़े नौ लाख रूपए) में खरीदा। जिसकी रजिस्ट्री के दौरान 57 हजार रूपए की स्टांप ड्यूटी सहित करीब 83 हजार 900 रूपए का भुगतान पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग को कर दिया गया। रजिस्ट्री में ही इस बात का भी हवाला दिया गया है कि खरीद-फरोख्त के दौरान मौके पर भूखंड पर करीब 200 वर्गफिट में निर्माण भी मौजूद था। अब सारा खेल यहीं पर खेला गया और राज्य सरकार के पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग की स्व: मूल्यांकन रिपोर्ट ने ही इस पूरे फर्जीवाड़े की पोल खोलकर रख दी।
स्व मूल्यांकन रिपोर्ट ने किया धांधली के इस पूरे खेल का पर्दाफाश
बदरवास स्थित डॉ. राजेंद्र प्रसाद नगर-ए के इस भूखंड संख्या 55 का स्व:मूल्यांकन करवाने पर साफ पता चल जाता है कि इस भूखंड की रजिस्ट्री कम कीमत पर की गई और राज्य सरकार को स्टांप ड्यूटी और मुद्रांक शुल्क के पेटे करीब साढ़े चार लाख रूपए की चपत लगा दी गई। इस मूल्यांकन रिपोर्ट से कई गड़बडिय़ां पकड़ में आईं है। इन खुलासों के बाद ना सिर्फ एक फर्जीवाड़े बल्कि फर्जीवाड़े की पूरी श्रृंखला बेनकाब हो सकती है। हमारा समाचार की पड़ताल में पूरे प्रकरण में पूरी साजिश का खुलासा हुआ है और यह मामला सिर्फ एक मामले तक थमता नजर नहीं आ रहा है।
दिखाया 200 वर्गफुट में निर्माण, मौके पर मिला पूरे 4 हजार वर्गफुट क्षेत्र में निर्माण
रजिस्ट्री के अनुसार भूखंड संख्या 55 का बेचान साढ़े नौ लाख रूपए में किया गया और मौके पर 200 वर्गफुट का निर्माण दिखाया गया। जबकि स्व:मूल्यांकन रिपोर्ट से स्पष्ट है कि मौके पर 200 नहीं बल्कि 4 हजार वर्ग फुट निर्माण किया गया था। इस तथ्य को छुपाया गया। अहम बात यह है कि मौका रिपोर्ट में भी इस तथ्य को छुपा लिया गया और महज 200 वर्ग फुट का निर्माण दिखाकर साढे नौ लाख रूपए पर ही पंजीयन एवं मुद्रांक शुल्क के पेटे करीब 83 हजार 900 रूपए जमा करवाए गए। जबकि मौके पर भूखंड पर 4 हजार वर्ग फीट निर्माण रजिस्ट्री करवाने के दौरान भी किया हुआ था।
धांधली के इस पूरे खेल में सरकार को लगाया लाखों का चूना
स्व:मूल्यांकन रिपोर्ट के अनुसार इस निर्माण की लागत ही करीब 48 लाख रूपए बैठती है। ऐसे में भूखंड और निर्माण की लागत वर्तमान डीएलसी दरों के हिसाब से करीब 58 लाख 84 हजार 422 रूपए होती है। इस कीमत पर पंजीयन एवं मुद्रांक शुल्क करीब 5 लाख 20 हजार 132 रूपए बनता है। इस तरह इस प्रोपर्टी का अंडर वैल्यूवेशन कर राज्य सरकार को पंजीयन एवं मुद्रांक शुल्क के पेटे करीब 4 लाख 36 हजार 232 रूपए का चूना लगा दिया गया।