बहाव क्षेत्र में अवैध फैक्ट्रियों की पौध..हर नियम-हर आदेश तांक पर

भूमाफिया, जेडीए और पुलिस-प्रशासन..प्राकृतिक महाविनाश के ये सभी जिम्मेदार!

कालवाड़ तहसील के नीमेड़ा ग्राम स्थित खसरा नंबर 332/577 का मामला, जमाबंदी पर अब्दुल रहमान प्रकरण का नोट लगा होने के बावजूद धड़ल्ले से किया जा रहा अवैध फैक्ट्री का निर्माण

ग्रामीणों की लगातार शिकायतों के बाद भी मूकदर्शक बने हुए है जेडीए और पुलिस-प्रशासन के अधिकारी, इन्हें हाईकोर्ट के आदेशों की भी परवाह नहीं 

जयपुर। नदी-नालों को बचाने के लिए अदालतें भले ही सक्रिय हों लेकिन प्रशासन की अनदेखी के चलते पेयजल स्त्रोत भी भूमाफिया की भेंट चढ़ते जा रहे हैं। ऐसा ही एक मामला हाल ही में कालवाड़ तहसील के ग्राम नीमेड़ा में देखने को मिल रहा है। जहां पानी के बहाव क्षेत्र में धड़ल्ले से फैक्ट्रियों का निर्माण किया जा रहा है। यह हाल तो तब है जबकि जिस जमीन पर ये निर्माण किया जा रहा है, उसकी जमाबंदी में अब्दुल रहमान प्रकरण का नोट लगा हुआ है। जिसका रेफरेंस भी पेश हो चुका है। लेकिन ना तो इस मामले पर बिंदायका थाना कार्रवाई को तैयार है और ना ही प्रशासन।
दरअसल, मामला नीमेड़ा ग्राम के खसरा नंबर 332/577 से जुड़ा है। जमाबंदी में इस खसरा नंबर पर अब्दुल रहमान प्रकरण का नोट भी लगा हुआ है। इसके बाद भी गत दो महीनों से उक्त भूमि पर धड़ल्ले से फैक्ट्री का निर्माण किया जा रहा है। इतना ही नहीं फैक्ट्री के बाहर के कथित रास्ते पर दर्जनों टैक्ट्रर ट्रॉली मलबा डालकर पानी के प्राकृतिक बहाव के रास्ते को भी बंद कर दिया गया है। लगातार किए जा रहे इस अतिक्रमण को लेकर स्थानीय ग्रामीणों ने बिंदायका थाने में शिकायत भी दी लेकिन थाना पुलिस ने मामला दर्ज किए बिना ही मूल शिकायत, शिकायतकर्ता को यह कहते हुए वापस लौटा दी कि इस जमीन पर अब्दुल रहमान प्रकरण का नोट नहीं है।


जलस्त्रोतों को बचाने के लिए हाईकोर्ट के आदेश के बाद लगाया गया अब्दुल रहमान प्रकरण का नोट
दरअसल, नदी-नालों और उनके बहाव क्षेत्रों में लगातार हो रहे अतिक्रमणों को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट में नागौर के डीडवाना में मारवाड़ बलिया गांव के निवासी अब्दुल रहमान ने 2003 में एक जनहित याचिका पेश की थी। हाईकोर्ट ने इस मामले में अपने आदेश में कहा कि जलस्त्रोतों को बचाने के लिए इनकी 15 अगस्त 1947 यानी ठीक आजादी के दिन वाली स्थिति बहाल की जानी चाहिए। इसके बाद राजस्व विभाग ने नदी-नालों सहित तमाम जलस्त्रोतों और उनके बहाव क्षेत्र से जुड़ी जमीनों के रेफरेंस हाईकोर्ट के निर्देशों पर पेश करने शुरू किए और ऐसी जमीनों की जमाबंदी में भी अब्दुल रहमान प्रकरण का नोट लगा दिया। ऐसी जमीनों पर किसी भी तरह का पक्का निर्माण संभव नहीं है।

भूमाफिया के हौंसले बुलंद, प्राकृतिक बहाव क्षेत्र को भी मलबे से पाटा
हाईकोर्ट के उक्त आदेश के दायरे में नीमेड़ा ग्राम पंचायत का खसरा नंबर 332/577 भी आता है। इसके बावजूद यहां पर पहले पानी के बहाव क्षेत्र में पक्की चारदीवारी का निर्माण किया गया और फिर धीरे-धीरे पूरी फैक्ट्री खड़ी कर ली गई है। फैक्ट्री के बाहर की जमीन पर पक्की सडक़ बनाने के लिए दिन रात मलबा डाला जा रहा है। जिस समय ’हमारा समाचार’ की टीम मौके पर पहुंची, उस समय भी वहां ट्रैक्टर मलबा डालने में लगे हुए थे। 

इस पूरे मामले में चुप्पी साधे हुए है जेडीए और पुलिस-प्रशासन के जिम्मेदार

स्थानीय ग्रामवासियों का कहना है कि इस मामले की शिकायत जेडीए और बिंदायका पुलिस थाने को की गई थी लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। समस्या ये है कि आज एक फैक्ट्री बनी है, कल दूसरी का काम शुरू होगा। अगर निर्माणकर्ताओं को नहीं रोका गया तो पूरा बहाव क्षेत्र ही समाप्त हो जाएगा। इसके अलावा अगर हाईकोर्ट का आदेश कुछ कहता है तो उसकी पालना क्यों नहीं की जा रही है। बिंदायका पुलिस थाना तो ये मानने से ही इनकार कर रहा है कि उक्त जमीन पर अब्दुल रहमान प्रकरण का नोट है। सवाल ये उठता है कि बिना पटवारी की रिपोर्ट के थाने ने अपने स्तर पर ही ये तय कैसे कर लिया कि ये खसरा अलग है। जबकि शिकायतकर्ता खुद उक्त खसरे का सहखातेदार है।