इलाज के नाम पर मौत का कारोबार..झोलाछापों के आगे झुक गई सरकार!

दूदू जिले में झोलाछाप फर्जी डॉक्टरों की भरमार, यहां इलाज के नाम पर बांटी जा रही मौत, जिले के प्रमुख मुख्य चिकित्सा अधिकारी की नाक के नीचे हो रहा नशीली दवाओं का कारोबार

यह प्रकरण आम लोगों के जीवन से जुड़ा है लेकिन आंखें मूंदे बैठे है जिम्मेदार, 300 से ज्यादा फर्जी क्लिनिक हो रहे संचालित; जबकि मुख्य हाइवे पर ही है प्रमुख मुख्य चिकित्सा अधिकारी का कार्यालय


दूदू। डॉक्टर धरती के भगवान कहे जाते हैं। कोई भी बीमारी होने पर डॉक्टर ही याद आते है और विश्वास होता है कि डॉक्टर के पास जाएंगे तो ठीक हो जाएंगे, लेकिन जब डॉक्टर ही फर्जी हो तो फिर इलाज की उम्मीद ही बेमानी है। यह कोई कपोल कल्पना नहीं है बल्कि हकीकत है जो दूदू जिले में चरितार्थ हो रही है। दरअसल, पूरे दूदू क्षेत्र में झोला छाप डॉक्टरों की भरमार है। यहां जगह-जगह झोलाछाप डॉक्टरों के क्लीनिक खुले हुए है और ये झोलाछाप अपने यहां आने वाले मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे है। दूदू के हर गली मुहल्लों में झोलाछाप डॉक्टर साहब के क्लीनिक मिल जाएंगे। जहां बिना कोई डिग्री लिए फर्जी डॉक्टर मरीजों को इलाज के नाम पर रकम ऐंठने व उनके जीवन से खिलवाड़ करते बड़ी आसानी मिल जाएंगे। लेकिन, चल रहे ऐसे क्लीनिकों पर जिम्मेदारों की नजर नहीं पड़ती। आए दिन ऐसे मामले प्रकाश में आते हैं कि मामूली बीमारी को भी ये लोग गंभीर बनाकर अपने सेटिंग वाले निजी अस्पतालों में भर्ती करवाकर मोटा कमीशन भी लेते हैं। विभागीय सूत्रों की माने तो जब भी इन झोला-छाप डॉक्टरों पर अभियान चलाकर कार्रवाई की जाती है तो लिखा पढ़ी कर लौट आती है। बाद में मोटी रकम लेकर मामला रफा-दफा कर पुन: मरीजों की जान से खिलवाड़ करने का लाइसेंस दे दिया जाता है।

दूदू जिले में 300 से ज्यादा फर्जी क्लीनिक, चिकित्सा विभाग ने साध लिया मौन
हमारा समाचार की पड़ताल में सामने आया है कि दूदू में लगभग 300 से ज्यादा फर्जी क्लिनिक संचालित हो रहे है। हालांकि दूदू में नारकोटिक्स टीम की लगातार कार्यवाही हो रही है लेकिन चिकित्सा विभाग मौन बैठा है। दूदू में ऐसे कई प्राइवेट क्लिनिकों ओर अस्पतालों की भरमार है जिनका क्लिनिकल स्टेबलिश एक्ट के तहत रजिस्टे्रशन नहीं है। साथ ही इनके पास पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड का सर्टिफिकेट तक नहीं है। 

खुले में फेका जा रहा मेडिकल वेस्ट, लिख रहे प्रतिबंधित दवाइयां
आमजन तो इन झोलाछाप डॉक्टरों के चक्कर में पड़ ही रहे है लेकिन इन पर नकेल लगाने वाला कोई नहीं है। हालात यह है कि इन फर्जी क्लिनिकों ें बायो वेस्ट संधारण तक का कोई इंतजाम नहीं है। यहां तक कि इन झोलाछापों द्वारा बहुत ज्यादा इमरजेंसी में दी जाने वाली दवाईयां जैसे बेटनेसोल, प्रेटनोसोल, मिथाइल प्रेटनिसोलोंन आदि का खुलेआम इस्तेमाल किया जा रहा है। यह हालात तो तब है जबकि दूदू में ही प्रमुख मुख्य चिकित्सा अधिकारी का दफ्तर है और इनकी नाक के नीचे ही अपने छोटे से लालच के लिए आमजन की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है। 

3 साल पहले हुई थी कार्यवाही, अब आज हुए जस के तस; देखने वाला कोई नहीं

जानकारी के अनुसार क्षेत्र में करीब 3 साल पहले इन झोलाछापों पर कार्रवाई की गई थी। इसके बाद बंद हुए ऐसे सैकड़ो क्लिनिक आज भी चल रहे है ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर किसकी मिलीभगत से यह खुलेआम मौत का व्यापार किया जा रहा है। इसमें अगर प्रमुख मुख्य चिकित्सा अधिकारी ध्यान दे तो ऐसे कई क्लीनिकों पर एनडीपीएस में प्रतिबंधित दवाइयां भी मिल सकती है। क्योंकि नारकोटिक्स द्वारा पिछले 3 माह में लगभग 3 से 4 लोगो को पकड़ा जा चुका है और अन्य को नोटिस देकर पूछताछ की जा रही है।