‘बीच में डिस्टर्ब मत कर नहीं तो मेरा जूता बात करेगा’..
सदन में विभिन्न मुद्दों को लेकर हुई पक्ष-विपक्ष में तकरार, कांग्रेस विधायक ने दिया आपत्तिजनक बयान, कृषि मंडियों में हड़ताल का मामला भी उठा, कहा गया-कृषि मंत्री छुट्टी पर तो कौन करेगा बात
आदिवासियों के धर्म पर भी रार, आदिवासी धर्म कोड पर पक्ष-विपक्ष में कहासुनी, विधानसभा की कार्यवाही सोमवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित
विधानसभा में बाबा साहब को चुनाव हराने के मुद्दे पर तथ्यों पर तकरार, अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के चुनाव हारने का मुद्दा उठा
जयपुर। राजस्थान विधानसभा में सिर्फ गतिरोध समाप्त हुआ है लेकिन बवाल अब भ्ज्ञी जारी है। शुक्रवार को विभिन्न मुद्दों को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में तीखी नोंक-झोंक हुई। इस बीच जनजाति और सामाजिक न्याय विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा हुई। इस मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष दोनों ओर के विधायकों ने अपनी-अपनी बात रखी। जहां कांग्रेस विधायकों ने सरकार पर निशाना साधा। वहीं सरकार पक्ष की ओर से पुराने मुद्दों को उठाया गया। जनजाति मंत्री बाबूलाल खर्राड़ी ने जनजाति और सामाजिक न्याय विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के चुनाव हारने का मुद्दा उठाया। जिसके बाद सदन में पक्ष और विपक्ष के बीच नोकझोंक शुरू हो गई। सदन में जनजाति मंत्री बाबूलाल खर्राड़ी ने कहा कि जिसके कारण से इतना सुंदर संविधान मिला था और उस व्यक्ति को जब चुनाव होने थे कांग्रेस ने ही भीमराव अंबेडकर के खिलाफ उम्मीदवार खड़ा किये थे। चुनाव में पंडित नेहरू के पीए को उनके खिलाफ चुनाव लड़वाया गया था। इतना ही नहीं नेहरू जी उनके लिए भाषण भी देने गए थे, इस वजह से चुनाव वह हार गए थे। बाबूलाल खर्राड़ी के बयान के बाद सदन में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इस मुद्दे पर बोलने की इजाजत मांगी। उन्होंने कहा कि बाबा साहब ने अपने एक मित्र को लिखे पत्र में स्पष्ट किया था कि उनको चुनाव हारने में आरएसएस की भूमिका थी। उन्होंने खुद आरोप लगाया था। टीकाराम जूली ने कहा कि उनका लिखा हुआ लेटर टेबल पर लाकर रख दूंगा। इस पर मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि वरिष्ठ प्रचारक ने अंबेडकर का चुनाव प्रचार संभाला था। तो टीकाराम जूली ने इस तथ्य को टेबल पर लाने की बात कही। इसके बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया।
कांग्रेस के विधायक ने किया आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल, बोले-मेरा जूता करेगा बात
अभी सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध खत्म हुआ था कि इस बीच कांग्रेस के विधायक ने सदन में आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया। डूंगरपुर से कांग्रेस विधायक गणेश घोघरा ने भाजपा के विधायक को जूता मारने की बात कही। उन्होंने कहा कि बीच में डिस्टर्ब मत कर नहीं तो मेरा जूता बात करेगा। राजस्थान विधानसभा में गतिरोध खत्म होने के एक दिन बाद फिर से बदजुबानी का मामला सामने आया है। कांग्रेस विधायक गणेश घोघरा ने जनजाति और सामाजिक न्याय की अनुदान मांगों पर बहस के दौरान टोकने पर सत्ता पक्ष के विधायक से कहा कि ओए बात मत कर, नहीं तो मेरा जूता बात करेगा। बीच में डिस्टर्ब मत कर। हालांकि, सभापति समेत किसी विधायक ने गणेश घोघरा के बयान पर आपत्ति नहीं जताई। कांग्रेस एमएलए घोघरा ने आगे कहा कि सभापतिजी, मुझे डिस्टर्ब कर रहे हैं ये। मुझे आपका संरक्षण चाहिए। आप भी पक्षपात न करें। सभापति ने पक्षपात का आरोप लगाने पर टोका और कहा कि आपको ऐसा कहने का अधिकार नहीं है। सभापति संदीप शर्मा ने कहा कि आपको आसन पर इस तरह के आरोप लगाने का अधिकार नहीं है। मैंने उन्हें बोलने की अनुमति थोड़े दी है, आप बोलिए।
आदिवासी धर्म कोड का मुद्दा उठा, भाजपा विधायक बोले-यह आदिवासियों को बांटने का प्रोपेगेंडा
सदन में जनजाति क्षेत्रीय विकास को लेकर चर्चा हुई। इस बीच आदिवासियों के धर्म को लेकर पक्ष और विपक्ष के बीच आपस में जमकर तकरार हुई। कांग्रेस विधायक गणेश घोघरा ने सदन में आदिवासी धर्म कोड का मुद्दा उठाया और इसे लागू करने की मांग की। इसके बाद भाजपा के कई विधायकों ने पलटवार करते हुए कहा कि यह आदिवासियों को बांटने का प्रोपेगेंडा है। आदिवासी ही असली हिंदू हैं। भाजपा विधायक समाराम ने कहा कि जो आदिवासी खुद को हिंदू नहीं मानते हैं, उन्हें टीएडी का फायदा नहीं मिलना चाहिए। पिंडवाड़ा से विधायक समाराम ने कहा वह कई साल से विधानसभा में आ रहे हैं। इस बात की पीड़ा होती है कि आज दिन तक कोई चर्चा नहीं हुई कि आदिवासियों का धर्म कोड क्या है। यह अंग्रेज क्या करके गए कि आदिवासी का धर्म कोड क्या है, आदिवासियों का धर्म कोड नहीं है। आदिवासी हिंदू हैं, परंपरागत हिंदू हैं, वह सदियों से हिंदू हैं। वे गर्व से कहते हैं कि वे हिंदू हैं, उसका कोई कोड नहीं है।
कांग्रेस के सवाल का मंत्री नहीं दे पाए स्पष्ट जवाब; बहस की नौबत आई
शुक्रवार को प्रश्नकाल की कार्यवाही के दौरान एक मौका ऐसा भी आया जब पूछे एक सवाल का मंत्री स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए। यह सवाल अनुसूचित क्षेत्र में ग्राम सेवकों की बैठकों और पालनहार योजना में बकाया भुगतान से जुड़ा था। इन दोनों मामलों को लेकर विपक्ष ने सरकार से जवाब मांगा, लेकिन स्पष्ट उत्तर नहीं मिलने पर बहस की नौबत आ गई। विधायक अनिल कुमार ने सरकार से पूछा कि अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं की बैठकें कितनी हुईं और पूर्ववर्ती सरकार ने इनका आयोजन क्यों नहीं किया? इस पर पंचायत राज एवं शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने जवाब दिया कि पिछली सरकार में ऐसी बैठकें नहीं हुईं और कोई विशेष कार्य भी नहीं हुआ। मंत्री के इस जवाब पर नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने पलटवार करते हुए पूछा कि अब तक की सरकार ने सवा साल में कितनी बैठकें आयोजित की हैं? इस पर मंत्री मदन दिलावर कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दे पाए और कहा मैं देख कर आपको बता दूंगा। इससे विपक्ष ने सरकार की जवाबदेही पर सवाल उठाए।
कृषि मंडियां बंद पड़ी है, कृषि मंत्री कहां है? विधानसभा के शून्यकाल में उठा मामला
शून्यकाल में बूंदी विधायक हरिमोहन शर्मा ने प्रदेश में मंडी व्यापारियों की हड़ताल का मामला उठाया। उन्होंने सवाल किया कि कृषि मंत्री कहां हैं? व्यापारियों से बात कौन करेगा? शर्मा ने कहा कि कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा को डर है कि उनका फोन टैप हो रहा है। सीआईडी उनका पीछा कर रही है, यदि वे छुट्टी पर हैं तो सरकार दूसरे मंत्री को जिम्मा दे। मुख्यमंत्री को इस मामले में हस्तक्षेप कर बात करनी चाहिए। शून्यकाल में अपने स्थगन प्रस्ताव में विधायक शर्मा ने कहा कि हड़ताल के कारण प्रदेश की 247 मंडियां बंद पडी हैं। व्यापारियों ने ऐलान किया है कि यदि सरकार नहीं चेती तो आने वाले दिनों में नई फसल के लिए मंडी नहीं खुल पाएगी। किसानों को इससे होने वाले नुकसान की जिम्मेदारी सरकार की होगी। उन्होंने कहा कि मंडियों में सात हजार करोड़ का टर्न ओवर होता हैं। हजारों मजदूर पांच दिन से बेरोजगार हैं।