आरटीई फीस पुनर्भरण में विसंगतियों की भरमार..फिर आमने-सामने हुए निजी स्कूल और सरकार! 

शिक्षा विभाग के नए आदेशों से निजी स्कूल संचालकों में असमंजस की स्थिति, कहा-ऐसे में स्कूलों का संचालन हो जाएगा मुश्किल, बगरू विधायक डॉ. वर्मा से लगाई गुहार

जयपुर। शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) में फीस पुर्नभरण राशि की विसंगतियों को लेकर एक बार फिर निजी स्कूल संचालकों और सरकार के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। एक ओर सरकार ने पीपी3, पीपी4 और पीपी5 की तीनों कक्षाओं में अध्यनरत निशुल्क शिक्षा प्राप्त करने वाले बच्चों से शिक्षण शुल्क नहीं लिए जाने और साथ ही राज्य सरकार द्वारा भी उन बच्चों का भुगतान नहीं किए जाने के नए आदेश जारी किए है वहीं इसमें फंस रहे पेंच को लेकर भी कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है। आदेश के अनुसार उपरोक्त सभी कक्षाओं के बच्चों के कक्षा-1 में आने के उपरान्त उसका भुगतान किया जाएगा। लेकिन, सरकार के इस आदेश के कारण अभिभावक और स्कूल संचालक के मध्य वाद विवाद उत्पन हो रहा हैं तथा स्कूल संचालन में भी कुछ समस्या उत्पन हो रही हैं। 
पूरे प्राकरण के अनुसार आरटीई के तहत निजी स्कूलों की 25 फीसदी सीटों पर आर्थिक दृष्टि से कमजोर व अक्षम बच्चों का निशुल्क प्रवेश होता है। प्रवेश के बदले राज्य सरकार निजी स्कूलों को प्रति बच्चे के हिसाब से पुनर्भरण राशि जारी करती है। पिछले सत्र में आरटीई में प्रवेशित करीब 10 हजार से ज्यादा बच्चों का प्रवेश सरकारी स्कूलों में होना सामने आया तो  शिक्षा विभाग ने उसका सत्यापन करवाया। जिसमें करीब पांच हजार बच्चों का प्रवेश निजी स्कूलों में मिला। जिनकी रिपोर्ट भी जिला  शिक्षा विभागों ने दिसंबर व जनवरी महीने में ही शिक्षा निदेशालय भेज दी। जिसके बाद इन बच्चों की पुनर्भरण राशि की उम्मीद जगी थी। लेकिन, शिक्षा विभाग ने सत्यापन रिपोर्ट में खामी मानते हुए नए सिरे से सत्यापन करने के निर्देश दिए हैं। जिससे पुनर्भरण राशि अटकने पर बच्चों की पढ़ाई पर संकट खड़ा हो गया है।

निजी स्कूल संचालकों ने बगरू विधायक को सौंपा ज्ञापन, विसंगतियां दूर करने की मांग
ऐसे में अब निजी स्कूल संचालकों ने बगरू विधायक कैलाश चौधरी को ज्ञापन सौंपकर इन विसंगितियों को दूर करवाने की मांग की है। निजी स्कूल संचालकों द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में बताया गया है कि सरकार द्वारा भुगतान नहीं करने के कारण विद्यालय में आर्थिक स्थिति ठीक नहीं हो रही हैं। ऐसे में बैगर फीस के स्कूल संचालन सम्भव नहीं हैं। साथ ही यह भी स्पष्ट करने की मांग की गई है कि अगर बच्चा कक्षा 1 में आने से पहले स्कूल छोड़ देता हैं तो उसका भुगतान किया जाएगा या नहीं। निजी स्कूल संचालकों ने ज्ञापन में बताया है कि पहले राज्य सरकार द्वारा उपरोक्त सभी कक्षाओं में अध्यनरत निशुल्क शिक्षा प्राप्त बच्चों का भुगतान किया जाता था। लेकिन, वर्तमान में इसको बंद कर दिया गया हैं जो उचित नहीं हैं। ऐसे में राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश में भुगतान को स्पष्ट किया जाए और भुगतान सुचारु रूप में किया जाए।