सियासत का नया केंद्र ‘कांस्टीट्यूशन क्लब’..खुलकर आमने-सामने हुई ‘भाजपा-कांग्रेस’!

राजस्थान की राजनीति में ‘उद्घाटन या शुभारंभ’ पर रार.. 
 

विधानसभा के कांस्टीट्यूशन क्लब के उद्घाटन और शुभारंभ पर उलझी बीजेपी-कांग्रेस, श्रेय को लेकर राजनीति चरम पर, कांग्रेस ने विरोध करते हुए किया कार्यक्रम के बहिष्कार का ऐलान

कांस्टीट्यूशन क्लब का 8 मार्च को सुबह 11 बजे होना है शुभारंभ, विपक्ष ने कहा-ये तो 23 सितम्बर 2023 को ही हो चुका, अब इस मामले पर हो रही बयानों की बरसात

जयपुर। राजस्थान में विधानसभा के पास स्थित कांग्रेस सरकार की ओर से बनाए गए कॉन्स्टिट्यूशन क्लब के उद्घाटन समारोह को लेकर कांग्रेस और भाजपा में विवाद छिड़ गया है। उद्घाटन समारोह में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला मुख्य अतिथि होंगे। कांग्रेस ने विरोध करते हुए कार्यक्रम का बहिष्कार करने की घोषणा की है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि इसका शिलान्यास और उद्घाटन पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में हो गया था। दरअसल, दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब की तर्ज पर जयपुर के लाल कोठी क्षेत्र में विधानसभा के ठीक पास में ही यह क्लब बनाया गया है। इस क्लब के उद्घाटन को लेकर कांग्रेस और बीजेपी में वाक युद्ध शुरू हो गया है। पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने इस क्लब का निर्माण कराया। शिलान्यास और उद्घाटन भी पूर्ववर्ती कांग्रेस के शासन में हो गया था लेकिन अब शनिवार 8 मार्च को एक बार फिर इस क्लब का उद्घाटन होने जा रहा है। इस उद्घाटन को शुभारंभ नाम दिया गया है क्योंकि इस क्लब में अभी तक कोई इवेंट नहीं हुए हैं।
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब का शुभारंभ राजस्थान विधानसभा की ओर से कराया जा रहा है। लोकसभा सांसद ओम बिरला इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे। इस मौके पर राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल सहित तमाम विधायकों को आमंत्रित किया गया है। 8 मार्च को सुबह 11 बजे शुभारंभ है और इसके बाद लंच का प्रोग्राम भी है। कॉन्स्टिट्यूशन क्लब के शुभारंभ समारोह में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली सहित विपक्ष के तमाम सदस्यों को भी आमंत्रित किया गया है लेकिन विपक्ष ने इस कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया है। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इस कार्यक्रम के बहिष्कार का ऐलान किया है। जूली का कहना है कि दोबारा उद्घाटन करना गलत परिपाटी है। राजस्थान की राजनीति में यह रिवाज उचित नहीं है। विपक्ष के सभी सदस्य भी जूली के निर्णय के साथ हैं। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि जिस क्लब का निर्माण से लेकर उद्घाटन तक हो चुका हो, फिर ऐसे कथित शुभारंभ का कोई औचित्य नहीं है। कांग्रेस ऐसी गलत परम्पराओं का हिस्सा नहीं बनेगी।


विपक्ष पूरी तरह आक्रामक मोड में, कहा-श्रेय लेने की होड़ में किया मुख्यमंत्री का अपमान
पीसीसी चीफ डोटासरा ने कहा कि कॉन्स्टिट्यूशन क्लब के शुभारंभ समारोह में भाजपा की अंतर्कलह सामने आ गई है। भाजपा के नेताओं में वर्चस्व की लड़ाई हो रही है। इस लड़ाई में मुख्यमंत्री का अपमान किया जा रहा है। शुभारंभ का जो निमंत्रण पत्र सामने आया है, उसमें मुख्यमंत्री का नाम विधानसभा अध्यक्ष के नीचे लिखा गया है। कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री का नाम स्पीकर के नीचे लिखाना उनके पद, प्रतिष्ठा और गरिमा के विपरीत है। प्रोटोकॉल के नियमों में राज्यपाल के बाद मुख्यमंत्री का पद शीर्षस्थ होता है, लेकिन कॉन्स्टीट्यूशन क्लब के निमंत्रण में कुछ और ही दिख रहा है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा का पलटवार करते हुए कहा कि वे अपनी खीज उतार रहे हैं। क्लब जनता के टैक्स के पैसों से बना है। इसमें किसी को अहसान जताने की जरूरत नहीं है। यह सही है कि इसका उद्घाटन हो चुका है लेकिन अभी तक इसका संचालन शुरू नहीं हुआ है। अब किसी कंपनी को इसके संचालन की जिम्मेदारी दी गई है और अब यहां संचालन शुरू होगा। 


ये निम्न स्तर की सोच का प्रतीक, ओम बिड़ला का आना भी गलत परंपरा: गहलोत
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब के फिर से शुभारंभ समारोह को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी बयान दिया है। गहलोत ने कहा कि लोकसभा स्पीकर को शायद जानकारी दी गई कि नहीं दी गई कि इसका उद्घाटन हो चुका है। तत्कालीन स्पीकर डॉ. सीपी जोशी, तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और शांति धारीवाल यूडीएच मंत्री सब मौजूद थे। उद्घाटन की खबरें सभी अखबारों में छपी है तो ऐसी परम्परा क्यों डाल रहे हैं कि इसका फिर से उद्घाटन कराओ। गहलोत ने कहा कि पांच छह साल पहले वसुंधरा राजे जी ने भी पीएम मोदी को बुलाकर रिफाइनरी के प्रोजेक्ट का दोबारा उद्घाटन कराया था। यह निम्न स्तर की सोच का प्रतीक है। कांस्टीट्यूशन क्लब को बनवाने वाले पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने दावा किया की 23 सितम्बर 2023 को ही एक बड़ा कार्यक्रम करके इसका शुभारंभ किया जा चुका है, ऐसे में अब फिर से लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को बुलाकर इसका उद्घाटन करवाया जाना बिल्कुल सही नहीं है। गहलोत ने कहा कि बीजेपी सरकार सिर्फ कांग्रेस को श्रेय न मिले, इसलिए योजनाओं को ठप कर देती है। गहलोत ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से इस कार्यक्रम से दूर रहने की अपील करते हुए कहा कि अभी भी समय है, ओम बिड़ला को खुद ऐसे प्रोग्राम में भाग नहीं लेना चाहिए।

भाजपा ने कांग्रेस को दिया करारा जवाब, कहा-सिर्फ ढांचा खड़ा करने से पूरी नहीं होती परियोजना
बीजेपी ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सिर्फ ढांचा खड़ा कर देने से कोई परियोजना पूरी नहीं हो जाती। अगर पहले उद्घाटन हो चुका था, तो क्लब का संचालन शुरू क्यों नहीं किया गया? भाजपा नेताओं ने कहा कि कांग्रेस केवल राजनीतिक फायदा उठाने के लिए इस मुद्दे को तूल दे रही है। बीजेपी विधायक गोपाल शर्मा ने कहा कि कांग्रेस ने सिर्फ पट्टियां लगाने का काम किया। विधायक आवास में डेढ़ साल नहीं हुआ, दरारें आ गईं, टाइलें उखड़ गईं, छत से पानी टपकने लग गया। कांग्रेस ने ऐसे भ्रष्टाचार के नमूने जगह-जगह खड़े कर दिए। कांग्रेस ने सिर्फ सिलापट्टी लगाने का ही काम किया।

क्या है कांस्टीट्यूशन क्लब विवाद?..विपक्ष ने स्पीकर पर भी उठाए सवाल
बताते चलें कि पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के समय इस क्लब का निर्माण हुआ था और उद्घाटन भी हो चुका था। अब बीजेपी सरकार फिर से उद्घाटन करने जा रही है, जिसे कांग्रेस गलत परंपरा बता रही है। कांग्रेस ने इस दोबारा उद्घाटन का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। यही नहीं डोटासरा ने इस मुद्दे को लेकर विधानसभा के स्पीकर वासुदेव देवानानी पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने कहा, कांस्टीट्यूशन क्लब  से संबंधित किसी भी निर्णय का अधिकार क्लब के लिए गठित कार्यकारी समिति को है। लेकिन सदन में विधानसभा अध्यक्ष द्वारा क्लब के उद्घाटन का निर्णय लेना पूरी तरह अनुचित एवं नियमाविरुद्ध है। विधानसभा अध्यक्ष ने निर्णय लेने से पूर्व न तो कार्यकारी समिति की बैठक बुलाई और न ही सदस्यों से राय लेकर सर्वसम्मति बनाई। डोटासरा ने अपने बयान में देवनानी पर पक्षपात के आरोप भी लगा दिए।