अपने गिरबां में झाकेंगे बोलने वाले तो खुद होंगे बेनकाब.. डॉ. बैरवा का नहीं होगा बाल भी बांका..राजनीतिक ‘षड््यंत्रों का होगा पर्दाफाश’!

डिप्टी सीएम डॉ. प्रेमचंद बैरवा की छवि को नुकसान पहुंचाने के विपक्षी मंसूबे अब होने लगे उजागर, उपचुनाव से पूर्व सोची समझी साजिश के तहत दिया जा रहा मामले को तूल

बड़े-बड़े घोटालों में लिप्त विपक्षी नेताओं की करतूतों से ध्यान भटकाने का प्रयास, भाजपा के दलित वोट बैंक को दरकाने की हो रही कोशिशें; हालांकि समय करेगा सभी का इंसाफ 


जयपुर। राजस्थान के उपमुख्यमंत्री और कद्दावर दलित नेता डॉ. प्रेमचंद बैरवा..। सत्ता परिवर्तन के बाद महज 10 महीनों में ही बैरवा ने प्रदेश में अपने काम के दम पर छाप छोड़ी है वह शायद चंद लोगों या यूं कहे कि विपक्ष को हजम नहीं हो रही है। यहीं कारण है कि उपमुख्यमंत्री के बेटे के लेकर उठे एक छोटे से विषय को इतना तूल दिया जा रहा है जिससे स्पष्ट हो रहा है कि यह एक राजनीतिक साजिश के अलावा कुछ भी नहीं है। सोश्यल मीडिया पर ऐसे विपक्षी नेता इस विषय को तूल दे रहे है जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप है और फिर भी वे खुले घूम रहे है। हालांकि अब जल्दी ही इन साजिशों का पर्दाफाश होगा और षड्यंत्र रचने वालों को भी करारा जवाब मिलेगा। दरअसल, बेतुके आरोपों के बीच बड़ी साजिश रची रची जा रही है। घटनाक्रम के अनुसार भारतीय जनता पार्टी ने राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को सत्ता से बेदखल करने के बाद एक मुख्यमंत्री और दो डिप्टी सीएम के मॉडल से सरकार बनाई। बीजेपी ने पहली बार के विधायक भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री तो दिव्या कुमारी और दलित नेता प्रेमचंद बैरवा को राज्य का डिप्टी सीएम बनाया। प्रेम चंद बैरवा दलित समाज से आने वाले राज्य के पहले डिप्टी सीएम हैं बहुत ही कम समय में उन्होंने जनता के बीच अपनी लोकप्रियता को चरम पर पहुंचा दिया है। लेकिन, बैरवा के बेटे की रील वायरल होने के बाद विपक्ष ने साजिशें रचनी शुरू कर दी और बेतुके आरोप लगाने शुरू कर दिए। इस साजिश के पीछे ना सिर्फ बैरवा की लोकप्रियता को ठेस पहुंचाना है बल्कि उपचुनाव से पूर्व भाजपा के दलित वोट बैंक को दरकाने का प्रयास भी किया जा रहा है। 


विरोधियों को नहीं पच रही बैरवा की स्वच्छ और बेदाग छवि
उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा की छवि प्रदेश की राजनीति में अब तक पूरी तरह स्वच्छ और बेदाग है। विपक्ष को शायद यहीं खल रहा है कि आखिर एक दलित नेता राजस्थान की सत्ता के उस पायदान तक जा पहुंचा है जहां अब वे उनके विरोधियों की आंख में चुभने लगे हैं। दरअसल, डॉ. प्रेमचंद बैरवा ना सिर्फ बेदाग छवि के नेता है बल्कि ना सिर्फ दलितों बल्कि हर वर्ग में अपनी अच्छी-खासी पैठ कायम रखते है। ऐसा नहीं है कि उनके खिलाफ यह साजिश पहली बार रची जा रही है बल्कि उनके विरोधियों और विशेषकर विपक्ष द्वारा कई बार ऐसे प्रयास किए गए लेकिन हर बार उन्हें मुंह की खानी पड़ी। और, इस बार भी विपक्ष को एक बार फिर करारा जवाब मिलना लगभग तय है। 

उपचुनाव से पूर्व भाजपा के दलित वोटों में सेंध का असफल प्रयास
उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा राजस्थान में बेहतरीन काम कर रहे हैं और विपक्षी दलों को ये पसंद नहीं आ रहा है। ऐसे में उनकी छवि को निशाना बनाया जा रहा है। प्रेमचंद बैरवा के समर्थकों का कहना है कि उनके दलित होने के कारण विपक्ष उन पर हमला कर रहा है। राजनीतिक नजरिए से देखा जाए तो विरोधियों ने इस मुद्दे को हवा देने के लिए हर हथकंड़े इसलिए भ्ज्ञी अपनाए है क्योंकि प्रदेश में उपचुनाव सिर पर है और इस बार भाजपा उपचुनाव की सभी सीटों पर अपनी पूरी ताकत झोंके हुए है। ऐसे में विपक्ष ने अपनी पुरानी रणनीति को इस्तेमाल किया है जिससे दलित वोटों को भाजपा के खेमे से दरकाया जा सके। 


जमीन से जुड़े नेता है बैरवा, सियासी हथकंड़ों का जनता खुद देगी जवाब
प्रेमचंद बैरवा पर विपक्ष के हमलों के बाद अब बीजेपी और इससे जुड़े संगठन भी बैरवा के समर्थन में आ गए हैं। उनका कहना है कि पहली बार राजस्थान में एक दलित नेता को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है, ये पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी का एक ऐतिहासिक फैसला है। डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा के कार्य भी राजस्थान में दिख रहे हैं, इसलिए उनके विरोधी साजिश रचते हुए उन्हें पद से हटाने की कोशिश में जुटे हैं। लेकिन, उनके कामकाज के आधार पर आंकलन की जगह बेमतल की बातों को बार-बार उठाकर एक बड़े दलित नेता के खिलाफ साजिश रची जा रही है। बैरवा में पक्ष में एकजुटता यह सीधा संदेश देती है कि विरोधियों की साजिशों को अब जनता खुद जवाब देने जा रही है। 

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