ग्राम सिंवार में ‘पुलिस की मनमानी की इंतेहा’..एक को खुली छूट; दूसरे पर अत्याचार की हद!

जमीनी विवाद में हुई हाथापाई के मामले में इकतरफा कार्रवाई से आक्रोश, प्राकरण में दर्ज दो परिवादों में से सिर्फ एक पर एक्शन; दूसरे को पूरी तरह भुलाया

पीडि़त पक्ष में अब तक की 8 गिरफ्तारियां, दूसरे पक्ष को खाकी की सरपरस्ती, अब एक बार फिर डाला जा रहा गिरफ्तारी का दबाव, पीडि़तों की कहीं सुनवाई नहीं

जयपुर। सिरसी रोड स्थित ग्राम सिंवार में खाकी का एक ऐसा चेहरा सामने आ रहा है जिसे सभी ने हैरान किया हुआ है। यहां एक पक्ष के दबाव में एसी कार्रवाइयों को अंजाम दिया जा रहा है कानून की भी धज्जियां उड़ा रहा है। यहां दो पक्षों के विवाद में इकतरफा गिरफ्तारियां की जा रही है और दूसरे पक्ष को सुना तक नहीं जा रहा है। ऐसे में अब पुलिस की पूरी कार्यशैली पर ही सवाल खड़े होने लगे है। मामला है जमीनी विवाद को लेकर इसी साल के मार्च महीने की ग्यारह तारीख को हुई हाथापाई का। इस प्रकरण में ग्राम सिंवार के खसरा नं. 255 जो आम रास्ता था उसे खुलवाने के लिए जेडीए अधिकारी, तहसीलदार तय पुलिस जाब्ता मौके पर पहुंचे थे। लेकिन, उनकी मौजूदगी में ही दूसरे पक्ष ने पीडि़त भोमाराम, उनके परिवार और वहां मौजूद लोगों पर लाठी-सरियों से हमला कर दिया जिसमें कई लोगों को चोटों भी आई। लेकिन, पक्षपाती कार्रवाई की असली कार्रवाई यहीं से शुरू हुई। मामले में दोनों पक्षों द्वारा परिवाद दर्ज करवाया गया लेकिन  कार्रवाई महज इकतरफा हुई। यहां पीडि़त पक्ष के 14 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई और पीडि़त पक्ष द्वारा भी परिवाद दर्ज करवाया गया। लेकिन हद तो यह हो गई कि पीडि़त पक्ष के आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया लेकिन दूसरे पक्ष पर कोई कार्रवाई तक नहीं हुई। मामला यहीं तक थम जाता तो फिर भी ठीक था लेकिन अब एक बार फिर इस मामले ने तूल पकड़ लिया है और एक बार फिर पुलिस पर पक्षपातपूर्ण कार्रवाई का दबाव बनाया जा रहा है। यहां तक कि पुलिस भी पीडि़त को सलाह दे रही है कि गिरफ्तारी दे दो ताकि मामला शांत हो जाए लेकिन अब इस अन्याय के विरुद्ध आवाज बुलंद होने लगी है। 


पीडि़त पक्ष ने लगाया एससी/एसटी के झूठे मामले दर्ज करने का आरोप, लेकिन सुनवाई कहीं नहीं
पीडि़त पक्ष द्वारा आरोप लगाया लगाया जा रहा है कि उनके खिलाफ एससी/ एसटी के झूठे मुकदमें दर्ज किए जा रहे है। पीडि़त भोमाराम और उसके परिवार ने हमले के बाद दर्ज परिवाद में झूठे मुकदमे दर्ज करवाने की बात कही लेकिन उनकी कहीं सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद एक बार फिर 28 जून को भी दूसरे पक्ष द्वारा पीडि़तों को धमकाया गया और जान से मारने की धमकियां भी दी गई। इसकी शिकायत पीडि़त पक्ष द्वारा अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त, जयपुर पश्चिम को दी गई लेकिन इसके बाद भी पीडि़त पक्ष को अब भी इंसाफ का इंतजार है। स्थित यह है कि पीडि़त पक्ष दर-दर भटकने कारे मजबूर है लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। 

आम रास्ता खुलवाने और कब्जा की गई अपनी जमीन को छुड़ाने के प्रयास से हुई विवाद की शुरूआत
इस पूरे विवाद की जड़ आम रास्ता खुलवाने और जमीन को कब्जा मुक्त करवाने के प्रयास से जुड़ा है। जानकारी के अनुसार पीडि़त की ग्राम सिंवार में काश्त की खाुतदोरी की कृषि भूमि खसरा नं. 250/1 है। साथ ही इस भूमि के पूर्व की ओर खसरा नं. 255 गैर मुमकिन रास्ता है जो जेडीए के नाम से राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज है। इस रास्ते को कब्जा मुक्त करवाने के लिए पीडि़त पक्ष द्वारा प्रयास किया जा रहा था जिसमें भी अन्य पक्ष द्वारा बार-बार रोड़ा अटकाया जा रहा था। हालांकि इसी माह 14 तारीख को यह आम रास्ता खोला गया जिसके बाद से मौके पर और अधिक तनाव की स्थिति बन गई है। साथ ही एक अन्य एक अन्य खसरा नं. से जुड़ा है जिस पर न्यायालय द्वारा स्टे दिया गया है लेकिन फिर भी बार-बार इस स्टे भूमि के लिए भी पीडि़त पक्ष को धमकाया जा रहा है। 


अब पीडि़त पक्ष के बच्चों की गिरफ्तारी का डाला जा रहा दबाव, पुलिस मौन 
इस मामले  में नया मोड़ तब आया जब आम रास्ता जेडीए अधिकारियों द्वारा खुलवाया गया। इस रास्ते के खुलने के बाद से ही दूसरे पक्ष द्वारा पुराने मामले में ही पीडि़त पक्ष के अन्य लोगों की गिरफ्तारी का दबाव बनाया जा रहा है जिनमें से अधिकांशत: पीडि़त पक्ष के बच्चे है जो शिक्षा ग्रहण कर रहे है। हद तो यह है कि पुलिस अब भी पीडि़त पक्ष की सुनवाई नहीं कर रही है और जबरन गिरफ्तारी का दबाव बनाया जा रहा है। ऐसे में अब पीडि़त परिवार के सामने इंसाफ पाने की कोई राह नजर नहीं आ रही है। 


पूरे प्रकरण के 9 मिनट के वीडियो में साफ दिख रहे हमलावरों के चेहरे 
मार्च माह में हुए इस पूरे प्रकरण का एक 9 मिनट का वीडियो भी सामने आया है जिसमें हमलावरों के चेहरे साफ नजर आ रहे है। इस वीडियो में हमलावर हाथ में लाठी-सरिये पकड़े और पीडि़त पक्ष के साथ मारपीट करते नजर आ रहे और इनमें से एक सरकारी अध्यापक भी बताया जा रहा है। लेकिन, पुलिस ने इस सबसे मुंह फेर लिया है। इतना बड़ा सबूत होने के बावजूद पुलिस की इकतरफा कार्रवाई पूरी तरह मिलीभगत की ओर इशारा कर रही है।