जयपुर। महाशिवरात्रि पर्व त्रयोदशी युक्त चतुर्दशी बुधवार को यानि आज मनाया जाएगा। आज प्रात: 11 बजकर 8 मिनट तक त्रयोदशी रहेगी तत्पश्चात चतुर्दशी प्रारम्भ हो जायेगी। यज्ञाचार्य पं. सत्यनारायण शास्त्री माचवा ने बताया कि श्रवण नक्षत्र व सूर्य चन्द्रमा बुध व शनि कुम्भ राशि में दुर्लभ योग बना रहे हैं, यह योग 1965 में बना था। ऐसे में इस योग में मनचाहा कार्य पूरा होगा। यदि कोई भी व्यक्ति देशी गौ माता के दुग्ध, दही, घी से स्नान कराकर शहद व गुडिया शक्कर का लेपन करें और कुशा जल से अभिषेक करें तो पूरा लाभ हासिल होगा। साथ ही पंचामृत से अभिषेक करें और शिव ताण्डव स्तोत्र का पाठ करें। सायं काल प्रदोषकाल के समय गन्ने के रस का अभिषेक करें। पं. सत्यनारायण शास्त्री के अनुसार चार प्रहर की पूजा का समय प्रथम प्रहर, सायंकाल 6.22 से 9.30 तक, द्वितीय प्रहर रात्रि 9.31 से 12.39 तक, तृतीय प्रहर रात्रि 12.40 से 3.48 तक, चतुर्थ प्रहर रात्रि 3. 49 से 6.57 तक निशिथ काल मध्य रात्रि 12.15 से 1.05 तक रहेगा। पं जेपी शास्त्री नानोसर ने बताया कि शिव जी को प्रसन्न करने को प्रसन्न करने के लिए शिव पंचाक्षर मंत्र का जाप करें। अजय शास्त्री, सुनील शास्त्री माचवा ने बताया कि गन्ने के रस से रूद्राभिषेक करे तो धन की कमी कभी नहीं आयेगी। गोपाल शास्त्री माचवा ने बताया कि विवाह में आ रही बाधा को दूर करने का माध्यम पीपल के नीचे शिवालय में पूजा करें शत-प्रतिशत कार्य पूर्ण होगा।
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