जयपुर@ सात माह से चली आ रही निजी स्कूलों, सरकार एवं अभिभावकों की फीस के मुद्दे को लेकर रस्साकशी अब गंभीर मोड़ पर पहुँच गई है। फीस के अभाव में राजस्थान के सभी निजी स्कूलों की आर्थिक स्थिति अब बदहाल हो गई है। राजस्थान के सभी निजी स्कूल संगठनों की बदहाल आर्थिक स्थिति के चलते अब आगमी 5 नवम्बर से विद्यालयों का संचालन सम्पूर्ण रूप से बंद करने को मजबूर हैं। फोरम ऑफ प्राइवेट स्कूल ऑफ राजस्थान के बैनर तले निजी स्कूल संचालकों ने सोमवार को घोषणा करते हुए कहा कि 5 नवंबर से स्कूल अनिश्चित काल के लिए बंद रहेंगे। ऑनलाइन क्लास भी नहीं होगी। स्कूल संचालकों के अनुसार पिछले सात महीनों से वे किसी तरह से स्टाफ को आश्वासन देकर ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन कर रहे थे। लेकिन, अब विद्यालयों की आर्थिक स्थिति अब इस मुकाम पर पहुँच चुकी है। जहाँ विद्यालय अपने कर्मचारियों को वेतन देना तो दूर बल्कि विद्यालयों के रोजमर्रा के खर्चे देने में भी सक्षम नहीं है। ऐसे में विद्यालयों के कर्मचारियों ने अब बिना वेतन कार्य करने लिए मना कर दिया है।
स्कूल संचालकों ने कहा- हाईकोर्ट की एकलपीठ के आदेश को तत्काल लागू किया जाए
फोरम ऑफ प्राइवेट स्कूल ऑफ राजस्थान से जुड़े स्कूल संचालकों का कहना है कि जब तक फीस का मामला कोर्ट में लम्बित है। तब तक माननीय उच्च न्यायालय की एकल पीठ द्वारा गत सात सितंबर को जारी आदेश को तुरन्त प्रभाव से लागू किया जाए एवं अभिभावकों को बाध्य किया जाए कि वे नवम्बर माह तक कि बकाया फीस दीवाली से पहले जमा करवाए। अन्यथा, राज्य सरकार इन सभी विद्यालयों को आर्थिक पैकेज प्रदान करें जिससे कि विद्यालय के कर्मचारियों को दीवाली पर वेतन दिया जा सके।
सरकार ने मांगे नहीं मानी तो 50 हजार स्कूलों के 11 लाख कर्मचारी करेंगे आंदोलन
स्कूल संचालक संस्था के अनिल शर्मा ने कहा कि यदि विद्यालयों को उपरोक्त अंतरिम राहत प्रदान नहीं की जाती है तो मजबूरन 5 नवम्बर से सम्पूर्ण राजस्थान में प्राइवेट स्कूलों का सम्पूर्ण रूप से संचालन बंद करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। जिसके चलते राजस्थान के सभी मिशनरी, सीबीएसई, राजस्थान बोर्ड एवं आईबी बोर्ड से संबंधित करीब 50,000 विद्यालयों में कार्यरत 11 लाख कर्मचारियों के समक्ष रोजगार का संकट उत्पन्न होना अपेक्षित है। ऐसे में इन 11 लाख कर्मचारियों का अपने परिवारों के साथ सड़क पर आकर आंदोलन करना संभावित है। साथ ही प्रदेश में बड़ी संख्या में ऑनलाइन शिक्षा लेने वाले विद्यार्थियों पर इसका गहरा असर पड़ेगा।