बढ़ती गर्मी व ऑक्सीजन की कमी से मर रही मछलियां

अजमेर की आनासागर झील में मछलियां मर रही हैं। ये मृत मछलियां लहरों के साथ बहकर किनारे पर आ रही हैं। माना जा रहा है कि मछलियों की मौत बढ़ती गर्मी व ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई है। मृत मछलियों की बदबू के कारण वहां रह रहे लोगों और राहगीरों का सांस लेना दूभर हो गया है। नगर निगम की ओर से मृत मछलियों को उठवाया भी जा रहा है।  आनासागर झील में पिछले साल तक मत्स्य विभाग की ओर से मछली पालन का ठेका दिया जाता था। लेकिन झील में जलकुंभी ज्यादा फैलने पर नगर निगम ने इस ठेके पर आपत्ति जताई थी। इसके बाद मत्स्य विभाग ने मछली पालन का ठेका देना बंद कर दिया है। इस साल ये ठेका नहीं किया गया है। परन्तु झील में पहले डाले गए मछली के बच्चे (अंडे) अब बड़े हो गए हैं। गर्मी के दौरान झील के पानी में ऑक्सीजन की कमी के कारण मछलियां मरती हैं। नगर निगम की ओर से ऑक्सीजन लेवल को बढ़ाने के लिए कई तरह के प्रयास किए जाते हैं। इसके बावजूद झील में हर साल मछलियां मरती हैं।  

काई के कारण हो रही परेशानी

विशेषज्ञों का मानना है कि गर्मी में झील के पानी में वाष्पीकरण के कारण काई जमने लगती है। ऐसे में काई की मोटी परत के कारण मछलियां को सांस लेने में तकलीफ होने के कारण उनकी मौत हो जाती है। गर्मी बढ़ने के साथ ही मछलियां मरनी शुरू हो गई हैं। लहरों के साथ मृत मछलियां झील के किनारे पर आ रही हैं। मछलियां मरी होने के कारण आसपास के क्षेत्र में दुर्गंध आ रही है। वहीं झील देखने आने वाले पर्यटकों को नाक ढकनी पड़ रही है।

काम नहीं कर रहे वाटर एरिएटर

झील के पानी में ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने के लिए वाटर एरिएटर लगाए जाते हैं। साथ ही पानी में चूना पाउडर भी डाला जाता है। मौजूदा समय में झील में वाटर एरिएटर काम नहीं कर रहे हैं। इन उपकरणों को ठीक कराकर झील में जल्द लगाया जाएगा। वहीं, झील में चूना भी डाला जा रहा है। चूना पानी को साफ करने में मदद करता है। लेकिन फिर भी गर्मी बढ़ने के साथ ही मछलियां मर रही हैं। प्रतिदिन 30 से 40 मृत मछलियां किनारे पर दिखाई देती हैं, उन्हें उठाया जा रहा है।