मंडे मेगा स्टोरीतिहाड़ में 15 दिन के भीतर 2 गैंगस्टर्स की हत्या:जेल कैसे चलती है, कैदियों की जिंदगी कैसी होती है

तिहाड़ में 15 दिन के भीतर 2 गैंगस्टर्स की हत्या:जेल कैसे चलती है, कैदियों की जिंदगी कैसी होती है

तिहाड़ जेल… नाम सुनते ही एक ऐसी जगह की छवि उभरती है, जहां देश के नामी और खूंखार अपराधी कैद हैं। जहां इतना सख्त पहरा है कि परिंदा भी पर नहीं मार सकता। जिसे देश की सबसे ‘सुरक्षित’ जेल माना जाता है, लेकिन पिछले हफ्ते तिहाड़ जेल के अंदर के 2 CCTV फुटेज ने इस छवि को तार-तार कर दिया है।

पहले CCTV फुटेज में हाफ पैंट और टी-शर्ट पहने कुछ कैदी गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया पर लोहे की नुकीली चीज से 90 वार करते हैं। दूसरे CCTV फुटेज में दिख रहा है कि पुलिस वालों के सामने घायल टिल्लू की बॉडी पर फिर हमला किया जाता है। इससे पहले 14 अप्रैल को भी तिहाड़ में गैंगस्टर प्रिंस तेवतिया की इसी पैटर्न पर हत्या कर दी गई थी। जब हमने जेल के अंदर की दुनिया पर रिसर्च शुरू की, तो कई चौंकाने वाली बातें मालूम हुईं।

 

 भारत की सबसे बड़ी जेल

तिहाड़

1947 में कैदियों को रखने के लिए दिल्ली में एक छोटी सी जेल दिल्ली गेट के पास हुआ करती थी। आजादी के बाद बड़ी जेल की जरूरत महसूस हुई।
: 1957 में पश्चिमी दिल्ली के तिहाड़ गांव में एक जेल की इमारत बनकर तैयार हुई, जिसमें 1273 कैदियों को रखने की जगह थी।

1966 तक इस जेल को चलाने की जिम्मेदारी पंजाब सरकार के पास थी, लेकिन बाद में जेल की कमान दिल्ली सरकार को दे दी गई।

1984 में इसका विस्तार हुआ और पूरे कॉम्प्लेक्स को तिहाड़ जेल का नाम दिया गया । तिहाड़ जेल कैंपस कई हिस्सों में बंटा है, जिसमें 9 सेंट्रल जेल हैं।
 400 एकड़ में फैली तिहाड़ जेल सिर्फ दिल्ली नहीं,

बल्कि दुनिया के सबसे बड़े जेल कैंपसों में से एक है।

कुल कैदियों

की क्षमता 5,200

कुल बंद कैदी

13,000+

सजायाफ्ता कैदी 1150

अंडरट्रायल कैदी 11,900+


नोटः कैदियों की संख्या अगस्त 2022 तक की है। 

कैदियों को रखने का सिस्टम

400 एकड़ के तिहाड़ कैंपस में कुल 9 जेल हैं। यहां कैदियों को रखने का सिस्टम.....

कैदियों को रखने का सिस्टम

400 एकड़ के तिहाड़ कैंपस में कुल 9 जेल हैं। यहां कैदियों को रखने का सिस्टम ....

जेल नंबर-1 ऐसे कैदी जिनका नाम

'S' और 'Y' से शुरू होता है।

जेल नंबर-2

ऐसी कैदी जिन्हें 10 साल या इससे ज्यादा की सजा मिले।

जेल नंबर-3 ऐसे कैदी जिनका नाम

B, V, C, D, E,F और G
: से शुरू होता है।

जेल नंबर-4

ऐसे कैदी, जिनका नाम AR

से शुरू होता है।

वीडियो

 

जेल नंबर-5 ऐसे कैदी जिन्हें 10 साल से कम की सजा मिले।

जेल नंबर - 6 इस जेल में सिर्फ महिला कैदियों को रखा जाता है।

जेल नंबर-7

इसमें बाकी एल्फाबेट से शुरू होने वाले कैदियों को रखा जाता है।
: नोटः क्राइम, रिस्क, अंडर ट्रायल आदि के आधार पर कैदियों को अलग-अलग वार्ड में रखने के भी नियम हैं। इनमें अपवाद भी हो सकते हैं।

Source: Delhi prison Act 2018, Ex. Law Officer, Tihar jail

 

कैदियों के रहने की व्यवस्था

तिहाड़ जेल में कैदियों के रहने के लिए तीन तरह की व्यवस्था है....

बैरक
इसमें 20 या इससे ज्यादा कैदियों को रखा जाता है। इसमें ज्यादातर छोटे-मोटे अपराध वाले कैदी होते हैं।

सेल

इसमें 5 कैदियों को रखा जाता है।

सभी के लिए प्राइवेट स्पेस होता है।

संक्रामक बीमारी और हाई रिस्क कैदियों को इसमें रखा जाता है।
: टिल्लू ताजपुरिया को भी इसी तरह की सेल में रखा गया था।

सिंगल रूम
 तिहाड़ में कैदियों का नॉर्मल रूटीन

सुबह 5 बजे जेल की घंटी बजती है और कैदियों की गिनती की जाती है।

सुबह 6 बजे बैरक या सेल से बाहर आकर कैदी प्रार्थना करते हैं और चाय-नाश्ता बांटा जाता है।
: सुबह 6:30 बजे: जिन कैदियों की कोर्ट में सुनवाई होती है, उन्हें कोर्ट ले जाया जाता है।

• सुबह 7 बजे: कैदी कपड़े, बैरक की सफाई और बाकी जेल के बाकी कामों में जुट जाते हैं।

 से 11 बजे : पढ़ाई के लिए कक्षा चलती है। कैदियों की रिश्तेदारों से मुलाकात भी कराई जाती है।
: 11:30 बजे: कैदियों को खाना दिया जाता है।

 

12 बजे से 3 बजे : कैदियों की गिनती करके बैरक में बंद कर दिया जाता है।

3-4 बजे कैदियों के बीच चाय बांटी जाती है।

4 से 6 बजे : खेलने का समय होता है। इसी समय टीवी भी दिखाया जाता है।
: 6:30 बजे: प्रार्थना के बाद खाना बांटा जाता है।

शाम 7 बजे: कैदियों की गिनती होती है।

• रात 8 बजे: कैदियों को वापस बैरक में बंद किया जाता है।

Source: पूर्व कैदी से हुई बातचीत के आधार पर (जेल प्रभारी इसमें बदलाव कर सकते हैं।)

दैनिक भास्कर

पर्व कैदियों की जबानी,
नाम: रहमान (बदला नाम)

जुर्म: गैंगस्टर

सच

मैं तिहाड़ के जेल नंबर - 8 में भी रहा हूं। यहां तमिलनाडु पुलिस की तैनाती होती है। ये फोन अंदर जाने देने के लिए कैदी को देखकर 50 हजार से 25 लाख रुपए तक लेते हैं। बीड़ी के एक बंडल के लिए कैदी 1000 रूपए तक देते हैं। जेल में आपके पास पैसा है तो ड्रग्स से लेकर सबकुछ मिल जाता है।
: नाम: आशीष (बदला नाम)

जुर्म : अपहरण की साजिश

सही मायने में जेल में 4 तरह के कैदी होते हैं....

अमीर कैदी: पैसे के दम पर इनकी जिंदगी जेल में भी आराम से कटती है। इनके खाने से लेकर साफ-सफाई तक का पूरा इंतजाम होता है।

पहुंच वाले कैदी: पैरवी के दम पर इनके लिए

भी सही व्यवस्था हो जाती है।

मिडिल क्लास कैदीः सबसे बुरे यही लोग फंसते हैं। इन्हें गैंगस्टर्स और बड़े अपराधियों की सेवा करनी होती है।

लोअर क्लास के कैदी: इन्हें बाथरूम, सेल, सड़क और बर्तन सफाई के काम में लगाया जाता है।
: नाम: काजल (बदला नाम)

जुर्म: गैर कानूनी कामों में शामिल

जेल के अंदर पुलिस नहीं क्रिमिनल कमांड करते हैं। वो जानवरों की तरह ट्रीट करते हैं।

मैं छोटी सी सेल में 8 महिलाओं के साथ रहती थी। इसी से लगा वॉशरूम भी था।

जेल स्टाफ को पैसे देकर अपनी जरूरत की चीजें मंगवाई जा सकती हैं।
: जेल के अंदर की दुनिया

 

करेंसी नहीं कूपन चलते हैं

जेल में करेंसी रखने की इजाजत नहीं होती। कैदी पैसे देकर जेल से कूपन या स्मार्ट कार्ड ले सकते हैं। जिसमें महीने में 6 हजार रुपए तक

रिचार्ज किया जा सकता है।

इसका इस्तेमाल जेल कैंटीन से सामान

तीन में होना है।
 खरीदने में होता है।

 

काम नहीं करना तो पैसे देना पड़ेगा

कैदियों से जेल में अलग-अलग तरह के काम कराए जाते हैं। अगर कोई कैदी काम नहीं करना चाहता तो उसे 'हाता' देना पड़ता है। ये कुछ पैसा होता है, जिसे जेल प्रशासन वसूलता है।
जेल के अंदर कमाई भी कैदी चाहें तो अबीर, अगरबत्ती, बेकरी और शॉल आदि बनाना सीख सकते हैं। इसके लिए छोटी-छोटी फैक्ट्रियां हैं। 25 साल के अनिल 9 साल तिहाड़ में सजा काट चुके हैं। वो तिहाड़ हाट में पेंटिंग सीखने के बाद यहीं काम करने लगे। हर रोज उन्हें 99 रुपए मिलते थे।
: जल से पढ़ाई आर डिग्री

तिहाड़ में बंद कैदी पढ़ाई करके डिस्टेंस लर्निंग से डिग्री हासिल कर सकते हैं। पढ़ने के लिए लाइब्रेरी भी होती है।

से ज्यादा सुरक्षा कर्मियों की 3 शिफ्ट में तैनाती ।

जैमर

वॉकी-टॉकी से लैस सुरक्षाकर्मी

3G और 4G इंटरनेट कनेक्टिविटी रोकने के लिए।

7500 सीसीटीवी कैमरा

बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम

कंट्रोल रूम
सुरक्षा बढ़ाने के लिए आगे का पायलट प्लान...

कंट्रोल रूम में वॉकी-टॉकी और एडवांस कंप्यूटर की व्यवस्था।

जेल कैंपस में ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क की सुविधा।

सभी बैरक के बाहर इमरजेंसी कॉल बटन |

 

चेहरे से पहचान करके मॉनिटरिंग करने वाले 20 AI कैमरे ।

ये कैमरे इंसान के शारीरिक मूवमेंट को देखकर सुरक्षाकर्मी को खतरे की जानकारी देंगे।

Source: Delhi prison Act 2018 और जेल अधिकारी से बातचीत के आधार पट


: सुरक्षा बढ़ाने के लिए आगे का पायलट प्लान...

कंट्रोल रूम में वॉकी-टॉकी और एडवांस कंप्यूटर की व्यवस्था।

जेल कैंपस में ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क की सुविधा।

सभी बैटक के बाहर इमरजेंसी कॉल बटन |

चेहरे से पहचान करके मॉनिटरिंग करने वाले 20 AI कैमरे ।

ये कैमरे इंसान के शारीरिक मूवमेंट को देखकर सुरक्षाकर्मी को खतरे की जानकारी देंगे।

Source: Delhi prison Act 2018 और जेल अधिकारी से बातचीत के आधार पर