अब तो हटाना पड़ेगा मिलीभगत का अवैध निर्माण..कालवाड़ तहसीलदार को मिली ‘कोर्ट की फटकार’!

हाईकोर्ट ने माना आदेशों की अवमानना का दोषी, कालवाड़ तहसील में खसरा नं. 909 गैर मुमकिन शमशान भूमि पर 20 दुकानों के निर्माण का मामला, पहले ही न्यायालय ने दिए थे भूमि सीमांकन और अतिक्रमण हटाने के आदेश


जयपुर। कालवाड़ तहसील की श्मशान भूमि पर अतिक्रमण हटाने के आदेश के बाद भी कार्रवाई नहीं करने पर हाईकोर्ट ने अब कालवाड़ तहसीलदार को न्यायालय के आदेशों की अवमानना का दोषी माना है और एक बार फिर अतिक्रमण हटाने के निर्देश जारी किए है। याचिकाकर्ता जगदीश प्रसाद द्वारा लगाई गई याचिका में जिला कलेक्टर, जेडीए आयुक्त और कालवाड़ तहसीलदार को पक्षकार बनाया गया था। जिस पर आदेश जारी करते हुए हाईकोर्ट ने पूर्व में जारी आदेशों की पालना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए है। 
प्रकरण के अनुसार कोर्ट द्वारा पूर्व में जारी आदेशों के बाद भी श्मशान भूमि पर धड़ल्ले से 20 दुकानों का अवैध निर्माण किया जा रहा था। इस अवैध निर्माण और अतिक्रमण रोकने के जिम्मेदार जेडीए अधिकारी और कालवाड़ तहसीलदार गहरी नींद में सोते रहे और उन्होंने न्यायालय के आदेश तक की परवाह नहीं की। कोर्ट के आदेश के बाद भी कालवाड़ तहसील में खसरा नं. 909 गैर मुमकिन शमशान भूमि पर धड़ल्ले से दुकानों का अवैध निर्माण किया जा रहा था। कोर्ट आदेश के बाद भी इन दुकानों पर छतें डालने का काम भी लगभग पूरा हो चुका था। जबकि इस श्मशान भूमि पर हाईकोर्ट ने आदेश पारित किया था कि कालवाड़ तहसीलदार को शिकायत की जांच करनी चाहिए और यदि आवश्यक हो तो शिकायत की पुष्टि के लिए भूमि का सीमांकन करने के बाद मौके का निरीक्षण करना चाहिए। साथ ही यदि श्मशान भूमि के किसी हिस्से पर अतिक्रमण किया गया है, तो अतिक्रमण हटाने के लिए उचित कार्रवाई की जानी चाहिए। हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार याचिकाकर्ता को 30 दिनों की अवधि के भीतर तहसीलदार कालवाड़ को आवेदन प्रस्तुत करेगा। जिसके बाद तहसीलदार को 3 महीने में जांच पूरी करनी ही होगी। यह आदेश चीफ जस्टिस मनिन्द्र मोहन श्रीवास्तव एवं जस्टिस भुवन गोयल की बेंच द्वारा जारी किए गए थे। 

मिलीभगत से किया जा रहा दुकानों का निर्माण, अब कोर्ट ने सुनाई खरी-खरी
पूरे प्रकरण के अनुसार ग्राम पंचायत कालवाड़ तहसील कालवाड़, पंस झोटवाड़ा स्थित खसरा नं. 909 गैर मुमकिन शमशान भूमि जयपुर विकास प्राधिकरण के नाम राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज है। लेकिन, मिलीभगत से इस भूमि पर अवैध अतिक्रमण कर 20 दुकानों का निर्माण कार्य मौके पर किया जा रहा था। इसकी कई बार शिकायत की गई लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं गई जिसके बाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। आदेशों की पालना नहीं होने के बाद कोर्ट ने अब दोबारा इस मामले में फटकार लगाते हुए तुरंत अतिक्रमण हटाने के निर्देश जारी किए है।