टूट गए आशियाने और छिन गया रोजगार..बहते आंसू मांग रहे ‘मनमानी का हिसाब’!
जयपुर के सिरसी रोड (झाडख़ंड मोड़ तिराहे से 200 फीट बाइपास पुलिया तक) को चौड़ा करने का मामला, जेडीए की कार्रवाई में पूरी तरह से पक्षपात करने के आरोप, जिनके पास जेडीए के पट्टे उन्हीं पर गिरी गाज
एक तरफ के सोसायटी पट्टों पर मेहरबानी, साथ ही सरकारी निर्माण को भी छोड़ा गया, दशकों से रह रहे लोगों के निर्माण तोड़े गए; जनप्रतिनिधियों की कार्यशैली भी सवालों के घेरे में
जयपुर। रातों की नींद छिन गई और आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे है। यह स्थिति है हाल ही में सिरसी रोड पर हुई जेडीए कार्रवाई के पीडि़तों की। दरअसल, जयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा झाडख़ंड तिराहे से दो सौ फीट बाईपास के बीच सडक़ को चौड़ा करने के लिए की गई कार्रवाई की गई थी। लेकिन, स्थानीय निवासियों एवं व्यापारियों ने सवाल खड़ा करते हुए इसे गलत एवं तानाशाहीपूर्ण की गई कार्रवाई बताया है। इस मामले को लेकर आम जनता ने भेदभाव बरतने का आरोप लगाया है। आरोपों के अनुसार जेडीए की बिना नियम एवं बिना किसी पीडि़त पक्ष को सुने एकतरफा एवं तानाशाहीपूर्ण कार्यवाही करते हुए लोगों के आशियाने उजाड़ दिए। उन्होंने कहा कि न्यायालय के आदेश की पालना करने का हवाला दिया जा रहा है, क्या हाईकोर्ट ने वास्तव में 160 फीट चौड़ी सडक़ का आदेश दिया था। जेडीए ने कहा है 21 नवंबर 2024 के उच्च न्यायालय के आदेश की पालना में अधिसूचना जारी की गई थी जबकि सच्चाई यह है कि 29 नवंबर 2024 को उच्च न्यायालय ने अपने पहले के आदेश को निरस्त कर दिया था। उस आदेश के खिलाफ कोई अपील भी नहीं की गई। इसके बावजूद जेडीए पुराने आदेश का हवाला देकर कार्रवाई करती रही, जिससे लोगों में भ्रम और आक्रोश है। उन्होंने बताया कि जेडीए द्वारा सडक़ के दोनों ओर पहले लाल निशान लगाए गए जब विरोध हुआ तो रुक गए और बाद में फिर पीले निशान लगाए गए, जिनमें 15 से 20 फीट तक का अंतर पाया गया। स्थानीय निवासियों का सवाल है कि जब दोनों ही निशान जेडीए ने लगाए, तो इतना अंतर क्यों है। इससे स्पष्ट है कि जेडीए के पास सडक़ का मध्य बिंदु निर्धारित करने का कोई ठोस मापदंड नहीं है। लोगों का कहना है कि हमारे व्यापार और परिवार उजड़ रहे हैं। सरकार ने हमारी पीड़ा नहीं सुनी। बिना मुआवजा दिए दुकानें और घर गिराए जा रहे हैं। यह लोकतांत्रिक व्यवस्था का अपमान है। पीडि़त पक्ष के अनुसार यह पूरा मामला कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन है। यदि हमारे पास स्वामित्व के दस्तावेज हैं और कोई अधिग्रहण नहीं हुआ है, तो हम अवैध कब्जेदार कैसे हो सकते हैं? जेडीए को इस पर स्पष्ट जवाब देना चाहिए। उन्होंने कहा कि जेडीए को विभिन्न लोगों द्वारा नोटिस और स्वामित्व के दस्तावेज भेजे गए लेकिन जेडीए ने पीडि़त पक्ष की कोई बात नहीं सुनी और नहीं नोटिस का जवाब दिया गया।
सडक़ के सिर्फ एक ओर के निर्माण हटे; दूसरी ओर राहत
लोगों की नाराजगी की वजह यह है कि सडक़ के एक तरफ के अतिक्रमण हटा दिए गए, लेकिन दूसरी ओर ज्यों के त्यों छोड़ दिए। लोगों का कहना है कि एक जनप्रतिनिधि के दबाव में सडक़ के एक तरफ के अतिक्रमण नहीं छेड़े गए। ढाई किलोमीटर क्षेत्र में जेडीए की कार्रवाई को लेकर स्थानीय निवासियों ने विरोध किया। लोगों की नाराजगी इस पर है कि झारखंड मोड़ से 200 फीट बाइपास तक सडक़ 160 फीट चौड़ी करनी है तो उसमें दोनों तरफ के अतिक्रमण हटाए जाने चाहिए। आरोप है कि जेडीए ने एक तरफ के अतिक्रमण ध्वस्त कर दिए, लेकिन दूसरी तरफ अतिक्रमण नहीं हटे। लोगों ने चेताया कि पक्षपातपूर्ण कार्रवाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सिविल लाइन विधानसभा क्षेत्र की तरफ के अतिक्रमण भी हटाया जाएं।
जेडीए की मनमानी कोर्ट में भी उजागर, पहले टाइपिंग त्रुटि बता 48 मीटर कराई, दो माह बाद सडक़ की चौड़ाई 30 मीटर बताई
सिरसी रोड (झाडख़ंड मोड़ तिराहे से 200 फीट बाइपास पुलिया तक) की चौड़ाई कितनी है, इसका जवाब शायद जेडीए के पास भी नहीं है। तभी तो जेडीए अधिकारी हाईकोर्ट में शपथ पत्र देकर टाइपिंग त्रुटि बताते हैं और कुछ माह बाद ही राजस्थान सम्पर्क पोर्टल में जवाब के दौरान सडक़ की चौड़ाई 30 मीटर बताते हैं। दरअसल, बीते वर्ष 21 नवम्बर को कोर्ट ने आदेश में कहा कि 200 फीट बाइपास से खातीपुरा तिराहे तक सडक़ की चौड़ाई 48 मीटर और खातीपुरा तिराहे से झाडख़ंड मोड़ तक 30 मीटर है। इसके बाद जेडीए जोन सात की टीम सक्रिय हुई और 29 नवम्बर को जोन उपायुक्त की ओर से शपथ पत्र पेश किया गया, इसमें जेडीए ने कहा कि खातीपुरा तिराहे से झाडख़ंड मोड़ तिराहे तक भी सडक़ की चौड़ाई 48 मीटर है। टाइपिंग त्रुटि के चलते 30 मीटर अंकित हो गया।
लगभग पूरी कार्रवाई होने के बाद अब राहत की नौटंकी, लोगों ने की मुआवजे की मांग
जेडीए की ओर से लगभग 90 प्रतिशत कार्रवाई पूरी कर ली गई है। 10 प्रतिशत स्ट्रक्चर को कोर्ट स्टे और अन्य दस्तावेज के चलते छोड़ दिया गया। दरअसल, जिन पर कोर्ट स्टे है वह जेडभ्ए को पता ही नहीं थे। इसके अलावा कुछ और भी दस्तावेज पेश किए गए हैं, जिन का परीक्षण करके आगामी दिनों में फैसला लिया जाना तय किया गया। बता दें कि मौके से करीब 274 निर्माण हटाते हुए 200 फीट बाइपास तक सडक़ को 160 फीट चौड़ा किया जाना। इस कार्रवाई में कांग्रेस के पूर्व विधायक परम नवदीप सिंह का अस्पताल और पूर्व डीजीपी नवदीप सिंह के घर पर जेडीए का पीला पंजा चला था।