हरियाणा के नतीजों ने किया हैरान, 49 सीटों के साथ भाजपा को पूर्ण बहुमत, कांग्रेस के खाते में आई 36 सीटें, अन्य को भारी नुकसान; हालांकि एक बार फिर ठीकरा ईवीएम पर फूटा
जम्मू-कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन की बनेगी सरकार, भाजपा को कुछ सीटों का फायदा लेकिन पीडीपी का सूपड़ा साफ, कांग्रेस को भी हुआ नुकसान
चंडीगढ़/जम्मू/जयपुर। हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों ने इस बार चौंका दिया। कांग्रेस इस बार जीत को लेकर आश्वस्त थी। एग्जिट पोल्स से लेकर सियासी बयानों तक यही संकेत मिल रहे थे कि भाजपा इस बार मुकाबले में कमजोर है। कांग्रेस में यह मंथन भी होने लगा था कि 65 से ज्यादा सीटें आती हैं तो कमान किसे सौंपी जाएगी। लेकिन, नतीजों के बाद लगातार तीसरी बार भाजपा की सरकार बन गई। सारे सियासी कयास फेल हो गए और 48 सीटों के साथ भाजपा को बहुमत मिल गया। हालांकि युवाओं में बेराजगारी और किसानों-पहलवानों की नाराजगी जैसे मुद्दे को कांग्रेस जोरशोर से उठा रही थी। इस सबके बावजूद भाजपा कांग्रेस की बगल से जीत को निकालकर ले गई। यह कुछ ऐसा ही है, जैसे कुश्ती में बगलडूब दांव होता है, जब एक पहलवान सामने वाले पहलवान की बगल और पकड़ से बाहर निकलकर उसे परास्त कर देता है। यहां तक कि भाजपा के आंतरिक सर्वेक्षण में भी 35 से 38 सीटों का अंदाजा लगाया गया था। इसके बाद भाजपा ने ऐसी 18 सीटों पर अपना ध्यान केंद्रित किया, जहां पर मुकाबला बहुकोणीय था। वहीं, 39 ऐसी सीटों पर भी भाजपा ने जोर लगाया, जहां उसका कांग्रेस से सीधा मुकाबला था। उधर, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी भी कह चुके थे कि यदि गठबंधन की जरूरत पड़ी तो सारी व्यवस्थाएं हैं।
सत्ता विरोधी नहीं बल्कि सत्ता के पक्ष में हुआ मतदान
हरियाणा में 15वीं विधानसभा चुनाव में 67.90 प्रतिशत मतदान हुआ। यह 2019 के विधानसभा चुनाव में 67.92 प्रतिशत के मुकाबले .02 प्रतिशत कम रहा। राज्य के विधानसभा चुनाव के इतिहास में यह चौथा मौका था, जब सबसे कम मतदान हुआ। इसे सत्ता विरोधी लहर से जोडक़र देखा गया क्योंकि 10 साल से भाजपा यहां सत्ता में थी। यहां तक कि किसी भी एग्जिट पोल में भाजपा को बहुमत मिलने का अनुमान नहीं लगाया था। आठ एग्जिट पोल्स यही बता रहे थे कि कांग्रेस के 10 साल बाद वापसी करने के संकेत हैं।
शुरूआती रुझानों में कांग्रेस रही आगे, उसके बाद नहीं हो सकी वापसी
मंगलवार सुबह रुझानों में भी 100 मिनट तक कांग्रेस आगे रही, फिर भाजपा इस तरह आगे निकली कि दोपहर 12 बजे तक के रुझानों में कांग्रेस 40 के आंकड़े को पार नहीं कर पाई। हरियाणा के चुनावी इतिहास में इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ, जब किसी दल ने हैट्रिक लगाई हो। कोई भी दल लगातार तीसरी बार सरकार नहीं बना पाया। इस बार भाजपा ने रिकॉर्ड बना दिया। 2014, 2019 में जीत के बाद 2024 के विधानसभा चुनाव में भी वह सरकार बनाने की स्थिति में है।
जजपा का वोट बैंक खिसका, लेकिन नुकसान नहीं होने दिया
दुष्यंत चौटाला की जजपा ने 2019 में 14.9 फीसदी मत हासिल किए थे। यह माना गया था कि जाट समुदाय की वजह से जजपा को ये वोट मिले थे। वहीं, इस बार यह माना जा रहा है कि जजपा के वोट बैंक का ज्यादातर हिस्सा कांग्रेस में और कुछ हिस्सा इनेलो में शिफ्ट हो गया। कांग्रेस को पिछली बार 28.2 फीसदी वोट मिले थे, जबकि इस बार वह 40 फीसदी मत हासिल करती दिख रही है। जजपा को इस बार महज एक फीसदी वोट मिलते दिख रहे हैं। वहीं, भाजपा को कांग्रेस से एक फीसदी कम यानी 39 फीसदी वोट मिलते दिख रहे हैं। इसके बावजूद वह कांग्रेस से ज्यादा सीटें लाने में कामयाब रही।
इस बार दलित वोटों को भाजपा ने साधा, कांग्रेस नहीं भुना सकी मुद्दे
हरियाणा में किसी की भी सरकार बनाने में दलितों की अहम भूमिका रही है। राज्य में करीब 21 फीसदी दलित हैं। 17 सीटें अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व हैं। भाजपा-कांग्रेस दोनों दलों ने दलित वर्ग को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जब कांग्रेस के प्रचार से सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा ने दूरी बना ली तो भाजपा ने इस मुद्दे को भुनाया। प्रचार के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि दलित बहन घर पर बैठी है। लोगों का एक बड़ा वर्ग आज सोच रहा है कि उन्हें क्या करना चाहिए। अगर वह (भाजपा में) आती हैं तो हम उन्हें शामिल करने को तैयार हैं। हरियाणा में 60 फीसदी से ज्यादा विधानसभा सीटें ग्रामीण इलाकों में किसान हैं। किसान आंदोलन के बीच भाजपा ने 24 फसलों को एमएसपी पर खरीदने का एलान कर दिया।
भाजपा की हैट्रिक के बाद जयपुर में अनूठा जश्न, सीएम भजनलाल ने बनाई ‘जलेबी’
हरियाणा में बीजेपी के प्रदर्शन को लेकर बीजेपी शासित राज्यों में भी खुशी की लहर है। इस खुशी में राजस्थान के भजनलाल शर्मा ने भाजपा मुख्यालय में अनोखे अंदाज में जीत का जश्न मनाते हुए कार्यकर्ताओं के साथ जलेबी बनाई। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि देश में आने वाले समय में जिन राज्यों में चुनाव हैं, वहां भी हम जीतेंगे और 2029 में केंद्र में भी हम चौथी बार बड़े बहुमत के साथ रिपीट करेंगे। दरअसल, सीएम भजनलाल शर्मा हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद भाजपा कार्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ जलेबी बनाई और जीत का जश्न मनाया। इस दौरान उनके साथ प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ भी रहे मौजूद।
हरियाणा की जीत से राजस्थान के 5 भाजपा नेताओं का बढ़ा राजनीतिक कद
हरियाणा की जीत से राजस्थान के 4 बीजेपी नेताओं का राजनीतिक कद और बढ़ गया है। दरअसल, हरियाणा में 90 सीटों पर विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी के स्टार प्रचारकों की लिस्ट में राजस्थान के 5 नेताओं को जगह दी गई। लिस्ट में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के अलावा पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, डिप्टी सीएम दिया कुमारी और केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का नाम शामिल था। इन सबके अलावा सतीश पूनिया को भी हरियाणा में स्टार प्रचारक बनाया गया था। पूनिया हरियाणा में बीजेपी के स्टार प्रचारक के साथ-साथ चुनाव प्रभारी भी थे। एक तरफ जहां बीजेपी के स्टार प्रचारक पार्टी के चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। तो दूसरी ओर बीजेपी शीर्ष नेतृत्व के अलावा कुछ नेता पर्दे के पीछे जीत की स्क्रिप्ट लिख रहे थे। सतीश पूनिया ने कड़ी मेहनत से राजस्थान में बीजेपी को जीत दिलाने के बाद हरियाणा में भी हैट्रिक लगाने में मदद की। सतीश पूनिया के जाट होने का फायदा हरियाणा में बीजेपी को बखूबी मिला। पार्टी जाट के गढ़ में 7 नई सीटें जीतने में सफल रही है।
जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रंस ने 42 सीटें जीतीं, बीजेपी को मिली 28 सीटें, उमर अब्दुल्ला होंगे नए सीएम
जम्मू-कश्मीर में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजों में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया। नेशनल कॉन्फ्रेंस 42 और कांग्रेस 6 सीटें जीत गईं। सीपीएम को भी एक सीट मिली। जम्मू रीजन में 28 सीटें जीतकर बीजेपी अब मुख्य विपक्षी दल बन गई है। पीडीपी को सिर्फ तीन सीटें मिली। पहली बार आप ने भी एक सीट जीतकर खाता खोला। निर्दलीयों के खाते में 6 सीटें आईं। भाजपा 29 सीट जीतकर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। इस तरह उसने 2014 के चुनाव में मिली 25 सीट के अपने सर्वकालिक उच्चतम आंकड़े में सुधार किया है। हालांकि, भाजपा को सबसे बड़ा झटका नौशेरा निर्वाचन क्षेत्र से उसके केंद्र शासित प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र रैना की नेशनल कॉन्फ्रेंस के हाथों हार से मिला। इसके अलावा पार्टी कश्मीर में किसी भी सीट पर जीत हासिल करने में विफल रही, जहां उसके लगभग दो दर्जन उम्मीदवारों में से अधिकांश की जमानत जब्त हो गई। अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाए जाने के बाद यहां पर पहली बार चुनाव कराए गए।