भजनलाल सरकार ने प्रदेश के कर्मचारियों को दी बड़ी राहत, 1 से 10 जनवरी के बीच अधिकांश विभागों में ट्रांसफर की अनुमति, प्रशासनिक एवं समन्वय विभाग की ओर से जारी आदेश
हालांकि शिक्षा विभाग में प्रतिबंध रहेगा बरकरार, भाजपा नेताओं की डिजायर से होंगे ट्रांसफर, तबादला नीति के अंतिम रूप में आने तक तबादले पुरानी नीति के आधार पर ही होंगे
जयपुर। राजस्थान के राजकीय कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए एक राहत भरी खबर सामने आई है। प्रदेश की भजनलाल सरकार ने तबादलों पर लगी रोक हटा दी है। हालांकि, तबादला नीति के अंतिम रूप में आने तक तबादले पुरानी नीति के आधार पर ही किए जाएंगे। यह रोक केवल दस दिन के लिए हटाई गई है, जिसके कारण अब राज्य में तबादलों का सिलसिला शुरू होगा। हालांकि, इस आदेश में शिक्षा विभाग के तबादले शामिल नहीं हैं। प्रशासनिक एवं समन्वय विभाग की ओर से जारी आदेश के अनुसार 1 जनवरी से लेकर 10 जनवरी 2025 तक राजकीय अधिकारियों, कर्मचारियों के स्थानान्तरण पर लगी पूर्ण रोक को हटा लिया गया है. यह आदेश उन कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए राहत की बात है, जो लंबे समय से तबादले का इंतजार कर रहे थे। आदेश में कहा गया है कि 4 जनवरी 2023 और 15 जनवरी 2023 से लागू किए गए स्थानान्तरण प्रतिबंध को शेष विभागों के लिए 1 जनवरी 2025 से 10 जनवरी 2025 तक हटा लिया गया है। हालांकि, स्कूल शिक्षा विभाग, उच्च शिक्षा, कॉलेज शिक्षा विभाग और तकनीकी शिक्षा विभाग के कर्मचारियों के तबादले पर यह रोक बरकरार रहेगी।
बता दें कि पूर्ववर्ती सरकार के समय से तबादलों पर रोक लगी हुई थी, जिसे भजनलाल सरकार ने गठन के साथ फरवरी 2024 में दस दिन के लिए हटाई थी। प्रदेश के विभिन्न सरकारी महकमों के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ विधायकों की ओर से लंबे समय से रोक हटाने की मांग की जा रही थी। हालांकि, पहले ये माना जा रहा था कि प्रदेश की भजनलाल सरकार तबादला नीति लाने के बाद ही पॉलिसी के तहत तबादले करेगी, लेकिन तबादला नीति पर एक राय नहीं होने के चलते अभी तक पॉलिसी नहीं बन पाई है। बताया जा रहे है की दो दिन पहले कैबिनेट की बैठक में तबादलों को लेकर चर्चा हुई, मंत्रिमंडल की सहमति के बाद बिना पॉलिसी तबादला करने पर सहमति बन गई थी।
मतदाता सूचियों के कार्य से जुड़े कर्मचारियों को मिलेगा महज तीन दिन का समय
इस आदेश के तहत 8 जनवरी 2024 से निर्वाचन विभाग द्वारा जारी मतदाता सूचियों के विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्यक्रम से जुड़े कर्मचारियों के स्थानान्तरण पर 29 अक्टूबर 2024 से 6 जनवरी 2025 तक प्रतिबंध जारी रहेगा। ऐसे कर्मचारियों पर यह आदेश लागू नहीं होगा, यह आदेश राज्य के समस्त निगमों, मंडलों, बोर्डों और स्वायत्तशासी संस्थाओं पर भी लागू होगा। बता दें कि राज्य सरकार ने राजकीय अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादलों पर रोक लगाई थी। इसके बाद से अति आवश्यक तबादलों पर उच्चस्तरीय अनुमति के बाद ही तबादले हो रहे थे। सरकार ने अब 11 महीने बाद इन तबादलों से रोक हटा दी है। अब शिक्षा विभाग को छोड़ सभी विभागों के तबादले हो सकेंगे।
शिक्षकों के तबादलों पर रोक के पीछे कई अहम कारण, विवादों से बचने की कवायद
शिक्षा विभाग में रोक का अहम कारण तबादला नीति का लंबित रहना है। शिक्षा विभाग में तबादलों के लिए नई नीति अब तक अंतिम रूप नहीं ले पाई है। तबादला नीति को विवादमुक्त और पारदर्शी बनाने के लिए सरकार अभी काम कर रही है। वहीं पूर्ववर्ती सरकारों के कार्यकाल में शिक्षक तबादलों को लेकर कई विवाद सामने आए थे। स्थानांतरणों में भ्रष्टाचार और पक्षपात के आरोप भी लगाए गए थे। सरकार इन विवादों को दोहराने से बचना चाहती है। साथ ही शिक्षकों के तबादले बीच सत्र में होने से छात्रों की पढ़ाई बाधित हो सकती है। बच्चों की शैक्षणिक तैयारी को ध्यान में रखते हुए भी यह फैसला लिया गया है।
हालांकि शिक्षकों में पनप सकता है असंतोष, लंबे समय से हो रही है प्रतिबंध हटाने की मांग
शिक्षक संगठन लंबे समय से तबादलों पर से बैन हटाने की मांग कर रहे हैं। कई शिक्षक पारिवारिक परिस्थितियों या कार्यस्थल पर आने वाली समस्याओं के चलते स्थानांतरण की अनुमति का इंतजार कर रहे हैं। शिक्षकों ने कई बार शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के सामने अपनी समस्याएं रखी हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ है। अब सरकार के इस निर्णय के बाद शिक्षकों में भारी अंसतोष पनप सकता है। बता दें कि शिक्षकों के तबादलों पर से बैन कब हटेगा, यह स्पष्ट नहीं है, लेकिन सरकार के फैसले से शिक्षा विभाग के कर्मचारियों में असंतोष जरूर है। हालांकि, सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले संकल्प पत्र में दावा किया था कि जल्द ही तबादला नीति बनाकर शिक्षकों की समस्याओं का समाधान किया जाएगा, लेकिन अभी तक तबादला नीति तैयार नहीं हुई है। इसलिए तब तक शिक्षकों को इंतजार ही करना होगा।
भाजपा नेताओं की चलेगी सिफारिश, विधायकों-मंत्रियों के घर जमावड़ा शुरू
आपको बता दें कि इस बार तबादलों में सत्ताधारी बीजेपी पार्टी के नेता, विधायक और मंत्रियों की ही डिजायर चलेगी। क्योंकि पहले की सरकारों में भी इसी तरह के अनुभव देखने को मिले हैं। जिस भी पार्टी की सरकार होती है उसी दल के नेताओं की डिजायर को तबादलों के समय तवज्जो दी जाती है। पहले भी देखा गया है कि तबादलों से बैन हटते ही विधायकों और मंत्रियों के घर कार्यकर्ता और कर्मचारियों का जमावड़ा लग जाता है।
11 महीने पहले फरवरी में 10 दिन के लिए हटा था तबादलों से बैन
बता दें कि सत्ता में आते ही भजनलाल सरकार फरवरी में 10 दिन के लिए तबादलों पर से प्रतिबंध हटाया था। लेकिन, उस वक्त शिक्षा विभाग में तबादले नहीं किए गए थे। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने परीक्षाओं का हवाला देते हुए तबादले नहीं करने का निर्णय लिया था। पिछले साल 15 जनवरी से प्रदेश के सभी विभागों में ट्रांसफर-पोस्टिंग पर बैन लगा हुआ था। विधानसभा चुनाव के बाद सरकार बदल गई, जिसके बाद तबादलों की मांग और जोर पकड़ रही थी। मेडिकल, पीएचईडी, ट्रांसपोर्ट, यूडीएच, बिजली, फाइनेंस, पीडब्ल्यूडी समेत अन्य विभागों के कर्मचारियों की तबादले के लिए विधायकों के पास डिजायर आ रही है।