जयपुर/अजमेर। क्या हम इंसान है..क्या हम अपनी बच्चियों का सम्मान करना करना जानते हैं..। आप कहेंगे कि हां जी बिल्कुल। लेकिन अब इस झूठ से अब पर्दा उठ गया है और इस समाज की औकात सामने आ गई है। दरअसल, एक स्कूली छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म के बाद उसे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उसका भविष्य अधर में दिखने लगा है। घटना होने से बाद से उसके स्कूल प्रशासन ने उसके साथ संवेदनहीनता दिखाते हुए पीडि़ता का नाम स्कूल से काट दिया और उसे 12वीं बोर्ड की परीक्षा में भी नहीं बैठने दिया। जिससे उसका एक साल तो खराब हुआ ही साथ ही पूरे समाज पर भी एक सवाल खड़ा हो गया है। पीडि़ता के साथ हुए अन्याय को लेकर अब जिला बालकल्याण समिति सामने आई है। उसने इसके लिए अजमेर जिला सेशन न्यायाधीश से पीडि़ता को न्याय दिलाने के लिए आवाज उठाई है। वहीं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सामने मामला आने के बाद उन्होंने इस पर संज्ञान लेते हुए अजमेर जिला के सेशन जज ने प्राधिकरण सचिव रामपाल जाट को पूरे मामले में जांच के निर्देश दिए है। साथ ही पीडि़ता के पुनर्वास शिक्षा और प्रतिकार भुगतान सुनिश्चित करने के भी आदेश दिए है। पीडि़ता ने बताया कि पिछले साल अक्टूबर महीने में उसके साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद जब वह स्कूल वापस पहुंची तो वहां के टीचिंग स्टाफ ने उसे यह कहकर स्कूल आने से मना कर दिया कि उसके कारण स्कूल का माहौल खराब होगा और उसका नाम स्कूल से काट दिया गया। इतना ही नहीं, बल्कि इसे 12वीं बोर्ड की परीक्षाओं में प्रवेश पत्र नहीं दिया गया जिससे वह एग्जाम ने नहीं बैठ पाई।
मामला खुलने के बाद अब बाल कल्याण समिति ने शुरू की पूरे प्रकरण पर कार्रवाई
वहीं जब यह मामला जिला बाल कल्याण समिति के संज्ञान में आया तो उन्होंने तुरंत इस पर कार्रवाई शुरू की। जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर पीडि़ता के साथ शिक्षा के अधिकार के तहत 12वीं बोर्ड परीक्षा वापस से दिलवाने की मांग की। साथ ही स्कूल की तरफ से लापरवाह रवैया दिखाने के लिए मान्यता रद्द करने की भी मांग की। इसके अलावा जिला बाल कल्याण समिति ने इस पूरे मामले की एक शिकायत कलेक्टर को भी की है। इसके बाद देखना यह होगा कि क्या पीडि़ता का भविष्य खराब होने से बच सकेगा।
कहीं से भी नहीं मिल रहा पीडि़ता को इंसाफ..पूछ रही है कि आखिर मेरी गलती क्या है?
इस दोहरी घटना से आहत पीडि़ता ने बाल कल्याण समिति को इस संबंध में पत्र लिखा। इसके बाद घटना सामने आई है। पीडि़ता के साथ पिछले साल अक्टूबर महीने में सामूहिक दुष्कर्म की घटना हुई थी, जिसके बाद गूगल थाने में मुकदमा भी दर्ज हो गया था। घटना के बाद पीडि़ता जब स्कूल में नियमित अध्ययन के लिए पहुंची तो वहां टीचर्स ने उसे स्कूल आने से यह कहते हुए मना कर दिया कि उसके स्कूल आने से माहौल खराब होगा और बेहतर है कि वह स्कूल ना आए और परीक्षा के समय उसे बुला लिया जाएगा। लेकिन इसके तुरंत बाद पीडि़ता का नाम स्कूल से काट दिया गया और उसे परीक्षा से भी वंचित कर दिया गया।
स्कूल ने कहा हो जाएगा माहौल खराबक, बोर्ड परीक्षा से किया वंचित
4 महीने बाद जब बोर्ड परीक्षाएं शुरू होने को थी तब पीडि़ता को बोर्ड परीक्षा का प्रवेश पत्र भी स्कूल प्रशासन की ओर से नहीं दियश गया। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए बाल कल्याण समिति अध्यक्ष अंजली शर्मा ने तुरंत प्रसंग ज्ञान लिया। साथ ही जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर स्कूल प्रशासन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के साथ ही पीडि़त छात्रा का शैक्षणिक सत्र खराब ना हो इसके लिए भी कहा है। साथ ही पत्र की एक कॉपी जिला कलेक्टर को भी सौंप गई है। इसके अलावा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से भी बाल कल्याण समिति बातचीत कर रही है और पीडि़ता को विधिक मदद उपलब्ध करवाई जा रही है। हालांकि बोर्ड की परीक्षाएं समाप्त हो गई है लेकिन बाल कल्याण समिति प्रयास कर रही है कि बोर्ड की सप्लीमेंट्री परीक्षाओं के दौरान पीडि़ता को बैठने की अनुमति मिल सकें।