कोरोना वायरस बीमारी से होने वाली मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही है जिसकी वजह से यह दुनिया की सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है. अब तक 10 लाख 46 हजार से अधिक लोगों की दुनिया में मौत हो चुकी है. लेकिन कुछ एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि कोरोना से होने वाली मौतों से भी बड़ी समस्या 'Long Covid' बन सकती है. आइए जानते हैं क्या है Long Covid और क्यों यह सबसे बड़ी समस्या बन सकती है? 'Long Covid' उस स्थिति को कहते हैं जब कोरोना से रिकवर हुए मरीजों के शरीर में कई प्रकार की दिक्कतें होने लगती हैं और ये समस्याएं कोरोना से ठीक होने के बाद भी लंबे वक्त तक रहती हैं. ब्रिटेन के प्रमुख स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह कोरोना से होने वाली मौतों से भी बड़ी समस्या बन सकती है, क्योंकि ऐसे लोगों की संख्या काफी अधिक होगी जो कोरोना से जान बचाने के बाद भी कई मायनों में बीमार ही रहेंगे. ऐसे कई लोग वापस दफ्तर जाने के लायक भी नहीं होंगे. चूंकि कोरोना से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या अब भी तेजी से बढ़ रही है और यह पता नहीं चल पाया है कि कुल कितने लोग इससे संक्रमित होंगे, इसकी वजह से 'Long Covid' के शिकार होने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ती जाएगी. इतनी बड़ी संख्या में लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराना कई देशों के लिए मुश्किल भरा हो सकता है. ब्रिटेन के जाने-माने साइंटिस्ट टिम स्पेक्टर का कहना है कि कोरोना वायरस काफी लोगों के इम्यून सिस्टम को प्रभावित करता है जिससे उनके शरीर के कई अंग प्रभावित हो जाते हैं. कोरोना से ठीक होने के बाद भी ऐसे लोगों को सांस की तकलीफ, लगातार थकान और दिमागी दिक्कतें होती रहती हैं. यह सब कई महीने तक चलता है. किंग्स कॉलेज लंदन के रिसर्चर्स को यह भी पता चला है कि कोरोना से संक्रमित होने वाले हर 10 में से एक व्यक्ति को 'Long Covid' की परेशानी होती है. रिसर्चर्स ने करीब 40 लाख लोगों के डेटा का विश्लेषण किया था. हर 50 में से एक व्यक्ति तो तीन महीने बाद भी 'Long Covid' से जूझता पाया गया. रिसर्च में जानकारी मिली कि महिलाएं 'Long Covid' से अधिक जूझती हैं और औसतन 45 साल के लोगों को 'Long Covid' का खतरा अधिक होता है. ब्रिटेन के टोनी ब्लेयर इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल चेंज ने कहा है कि 'Long Covid' के बारे में अधिक जानकारी लोगों तक पहुंचाने के लिए सरकार को और अधिक काम करने की जरूरत है.
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