कहने को तो यहां एक कॉलेज, एक बालिका महाविद्यालय, बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय और मॉडल स्कूल के साथ-साथ एक आईटीआई भी खोल दी; लेकिन हालात बदतर
यहां शिक्षण संस्थानों में ना तो पर्याप्त शिक्षक हैं और ना ही बाकी स्टाफ, आधारभूत सुविधाएं तक नहीं है उपलब्ध, विद्यार्थी सिर्फ उम्मीद लिए कर रहे है इंतजार
जयपुर। कहते हैं दिया तले अंधेरा... लेकिन राजधानी से कुछ किलोमीटर की दूरी पर ये कहावत धरातल पर दिखाई भी देती है। हम बात कर रहे हैं दूदू जिला मुख्यालय में स्थित शिक्षण संस्थानों की। कहने को तो दूदू में सरकार ने एक कॉलेज, एक बालिका महाविद्यालय, बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय और मॉडल स्कूल के साथ-साथ एक आईटीआई भी खोल रखी है। लेकिन हालात यहां के बेहद खराब हैं। यह इस मायने में और अधिक पीड़ादायक हो जाता है, जबकि प्रदेश के उपमुख्यमंत्री प्रेम चंद बैरवा का यह निर्वाचन क्षेत्र है और उच्च शिक्षा विभाग भी उन्हीं के पास है। दरअसल, उपमुख्यमंत्री बैरवा के इस गृह क्षेत्र दूदू जिला मुख्यालय में संचालित सरकारी शिक्षण संस्थानों में ना तो पर्याप्त शिक्षक हैं और ना ही बाकी स्टॉफ। जो शिक्षक हैं, उनमें से भी कुछ प्रतिनियुक्ति पर कहीं दूसरी जगह नियुक्त हैं। इतना ही नहीं इन संस्थानों में ना आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं और ना ही संपर्क सडक़ें। करीब 3 साल से इन संस्थानों की यही दयनीय स्थिति है। यही कारण है कि अब स्थानीय जनता उपमुख्यमंत्री बैरवा से आस लगाए है कि उनकी नजरें इन हालातों पर पड़ें और हालातों में सुधार हो।
कॉलेज है लेकिन सडक़ नहीं, ग्राउंड है लेकिन साधन नहीं
दूदू जिला मुख्यालय पर राज्य सरकार ने राजकीय महाविद्यालय खोल रखा है। जिसमें करीब 650 छात्र-छात्राएं पढ़ रहे हैं। लेकिन इनको अपने कॉलेज तक पहुंचने के लिए भी एक बड़ी लड़ाई प्रतिदिन लडऩी पड़ती है। मुख्य मालपुरा रोड से महाविद्यालय तक पहुंचने के लिए सडक़ है लेकिन सिर्फ कहने के लिए। करीब 700 मीटर की ये सडक़ पूरी तरह क्षतिग्रस्त पड़ी है और पिछले लंबे समय से। बारिश के दौरान यहां भारी जलभराव होता है, जिससे विद्यार्थियों का कॉलेज पहुंचना ही नामुमकिन हो जाता है। इसके अलावा कई बार इस टूटी सडक़ पर विद्यार्थी अपने साधनों से गिरकर घायल हो चुके हैं। इसी तरह सरकार ने यहां एक खेल मैदान भी बना रखा है लेकिन ये भी सिर्फ कहने को। खेल मैदान में बबूल और कांटो भरी घास के अलावा कुछ नहीं है।
बालिका महाविद्यालय को फर्नीचर-स्टाफ का इंतजार, पूरी ही नहीं हो रही मांग
अब बात करते हैं यहां बने राजकीय महिला महाविद्यालय की। महाविद्यालय में 388 छात्राएं पढ़ती हैं लेकिन फर्नीचर सिर्फ 132 के लिए ही है। बाकी छात्राओं के लिए बैठने के साधन तक इस कॉलेज में नहीं हैं। कॉलेज परिसर की चारदीवारी 3 साल बाद भी आज दिनांक तक नहीं बनी है। जो छात्राओं की सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान उठाता है। इसके अलावा चारदीवारी नहीं होने के कारण कुछ स्थानीय काश्तकारों ने महाविद्यालय की जमीन पर खेती-बाड़ी तक शुरू कर दी है। वहीं संसाधनों की स्थिति ऐसी है कि पूरे कॉलेज के लिए परिसर में सिर्फ एक ही कंप्यूटर है। अब एक कंप्यूटर से 388 छात्राओं को कैसे पढ़ाई करवाई जा रही है, ये वहां के शिक्षक ही बता सकते हैं। मुख्य हाईवे से महाविद्यालय तक आने वाली संपर्क सडक़ भी पूरी तरह टूटी पड़ी है।
पीएम श्री स्कूल में शिक्षकों का टोटा, बस वाहवाही लूटने का हुआ काम
दूदू जिला मुख्यालय पर पीएम श्री राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय संचालित है। इसके हालात भी कुछ अलग नहीं हैं। यहां स्वीकृत 42 पदों में से 9 पद खाली हैं। कक्षा 11 व 12 के विज्ञान संकाय के मुख्य विषय गणित, फिजिक्स और बायोलॉजी के प्राध्यापकों के पद खाली हैं। इसके अलावा द्वितीय श्रेणी के गणित व संस्कृत के अध्यापक भी यहां नियुक्त नहीं हैं। शारीरिक शिक्षक और पुस्तकालय अध्यक्ष का पद भी रिक्त है। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि विद्यालय में शिक्षण व्यवस्था के क्या हालात हैं। इसके अलावा पीएम श्री राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के खेल मैदान के चारों तरफ आज तक चारदीवार का निर्माण नहीं हो सका है।
दूदू में इन संस्थानों में भी हाल-बेहाल, आंखें मूंदे बैठे हैं जिम्म्ेदार
दूदू में ही मुख्य नरेना रोड पर संचालित राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय के भी हाल बेहाल हैं। यहां कई प्रमुख विषय के अध्यापकों की कमी के चलते शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है। दूदू जिला मुख्यालय पर संचालित स्वामी विवेकानंद राजकीय मॉडल विद्यालय में भी प्राइमरी स्तर पर तीन शिक्षकों की कमी के चलते 200 छोटे बच्चों का शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है। ऐसे में विद्यालय समिति के द्वारा शिक्षण कार्य के लिए गैर सरकारी शिक्षकों को नियुक्त किया गया है। वहीं दूदू जिला मुख्यालय के मालपुरा रोड पर स्थित एकमात्र तकनीकी सरकारी शिक्षण संस्थान में भी गैर सरकारी व तकनीकी क्षेत्र में डिग्री धारी या डिप्लोमा धारी लोगों से ही शिक्षण कार्य करवाया जा रहा है।